उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग ने दुनिया को नचा रखा है। नाक में दम किया हुआ है। तभी किम जोंग प्रमाण है कि यदि जनता गुलाम या भक्त हो तो शासक दुनिया को नचा भी सकता है। देश छोटा हो, पिछड़ा हो तब भी दुनिया उससे थर्राएगी क्योंकि शासक के लिए वैश्विक कायदा नहीं है। दुनिया उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकती है। ईदी अमीन, पोल पोट, कर्नल गद्दाफी और किम जोंग जैसे कई नाम हैं जिन्होने जनता को अपनी कथित क्रांति में गुलाम बना बताया कि खलनायकी क्या होती है! दुनिया आज सुई की घड़ी पर टकटकी टिकाए घबरा रही है कि किम जोंग पहले एटमी मिसाइल दागेगा या उससे पहले अमेरिका उसे तबाह करेगा। एक तरफ परमाणु, हाइड्रोजन बम दागे जाने का खटका है तो दूसरी और सोच है कि किम जोंग उस्तरा ले कर दुनिया को तीसरे महायुद्व में धकेले उससे पहले डोनाल्ड ट्रंप उसे भुन डाले! इस चिंता के आखिर में होगा क्या, यह तो वक्त बताएगा। पर इससे दो बातंे समझ आती हंै। एक, यदि एटमी बम, परमाणु हथियार किसी सनकी, किसी आंतकवादी के हाथ में पड़ जाए तो क्या होगा? दूसरा, किम जोंग उस खतरे का प्रतीक है जिसे हम भारतीयों को अंततः झेलना है। जैसे उत्तर कोरिया है वैसा मवाली देश पाकिस्तान भी है। दोनों चीन के कारण, उसकी मदद से परमाणु और मिसाइलों से लैस देश बने हैं। दोनों के शासकों ने, दोनों के सत्तातंत्र, सेना-अफसर-कम्युनिस्ट पार्टी या मौलनाओं के गठजोड़ ने दशकों से यह फितूर पैदा किया हुआ है कि उन्हे घास खा कर भी जीतना है! अजेय बनना है। दुश्मन को चैन से नहीं रहने देना है। जीने नहीं देना है।
किम जोंग के मामले में कई तरह की विचित्रताएं हंै। अपने को यह समझ नहीं आया कि चीन के नेताओं, बीजिंग के हुक्मरानों ने कैसे किम जोंग को इतना बेकाबू होने दिया कि वह अब उसके काबू में भी नहीं है। यों यह थीसिस बताने वाले कुछ जानकार हंै कि किम जोंग कुल मिला कर चीन का औजार है। अपनी दादागिरी के चलते चीन का अमेरिका, जापान, योरोप आदि से जो पंगा बना है और इन देशों में चीन के साम्राज्यवादी मंसूबों के खिलाफ जो सुगबुगाहट हुई थी तो उसी के चलते बीजिंग से किम जोंग को इशारा बना हुआ होगा कि वह दुनिया को डराए। आखिर कुछ भी हो चीन से ही तो उत्तर कोरिया को राशन-पानी मिल रहा है। शेष दुनिया ने उत्तर कोरिया के खिलाफ तमाम तरह के प्रतिबंध लगा रखे हंै बावजूद इसके किम जोंग परमाणु-हाईड्रोजन बमों को फोड़ किलकारी मार रहा है तो उसे निश्चित ही खाने-पीने- पेट की चिंता नहीं होगी।
मतलब किम जोंग पागल है तो चीन इस पागल को हवा-पानी-राशन देने वाला है। प्रक्षेपास्त्र, परमाणु हथियार, हाईड्रोजन बम जैसे खिलौने चीन उससे बनवा रहा है या नहीं यह आज के संदर्भ में मतलब वाली बात नहीं है। बुनियादी तथ्य यह है कि इनके बीज, इनकी शिक्षा-दिक्षा चीन की बदौलत है। तभी कई जानकार मानते हंै और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात को कई तरह से जाहिर किया है कि किम जोंग को चीन सुधारे नहीं तो ठीक नहीं होगा। अमेरिका और योरोप में यह राय बन गई है कि उन देशों से कारोबार, व्यापार एकदम बंद किया जाए जो उत्तर कोरिया से किसी न किसी रूप से रिश्ता बनाए हुए हैं। मतलब चीन से व्यापार खत्म करो तो किम जोंग सुधरेगें!
इस दो टूक सोच के बावजूद नतीजा जीरो है। किम जोंग ने अब हाईड्रोजन बम का भी टेस्ट कर डाला है तो मान लेना चाहिए कि किम जोंग वह शख्स है जो तानाशाह बाप का ऐसा बिगड़ा बच्चा है जो दिखला देगा कि वह तानाशाह बाप का बाप है। हिटलर की तरह उसे दुनिया को विश्व युद्व में धकेलना है। उसे परमाणु हथियारों से खेलना है। उसे सनक है कि जब हथियार है तो वह क्यों न गली का दादा हो? क्यों न दक्षिण कोरिया, जापान, ताईवान, अमेरिका को डराते हुए कहे कि मुजरा करो। किम जोंग तानाशाह मनोविज्ञान का वह एक्स्ट्रीम रूप है जिसमें वह अकेला सबकुछ है और जनता को गुलाम बना देश-दुनिया में यह पताका फहराना चाहता है कि उस जैसा दूसरा कोई महाबली नहीं। तय माने कि किम जोंग को मजा आ रहा होगा यह देख कर कि वह अमेरिका उसकी इस धमकी से घबराया जब उसने उसके ग्वाम द्वीप के पास एटमी मिसाइल टेस्ट छोड़ने का ऐलान किया।
सोचंे यदि ऐसा हुआ तो अमेरिका क्या करेगा? हिसाब से अमेरिका को भी फिलहाल एक अतिवादी, राष्ट्रवादी नेता मिला हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप के आगे विकल्प है कि किम जोंग कुछ करे उससे पहले मिसाईल हमला कर उत्तर कोरिया को तबाह कर दिया जाए। लेकिन जान लंे अमेरिका और ट्रंप प्रशासन की हिम्मत नहीं जुट रही है। इसलिए कि किम जोंग की सारी तौपे, मिसाईल दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल और जापान पर निशाना साधे हुए है। या तो अमेरिका उस पर परमाणु बम फेंक कर उसे एक झटके में तबाह करेंंंंंंंंंंंंंंंंं। पर तब वह तबाही दक्षिण कोरिया को भी ले डुबेगी। एटमी तबाही का असर आसपास के देशों तक पहुंचेगा। अमेरिका लडाकू विमानों, समुद्री बेडे, दक्षिण कोरिया में तैनात पैदल सेना आदि से हमला करे तो यह गारंटी नहीं होगी कि उस पर किम जोंग तड़ाक एटमी प्रक्षेपास्त्र नही दागेगा। किम जोंग पर इस बात का असर नहीं होना है कि टैंक से गोले चले या लडाकू विमानों ने बम फेंके तो उनके कितने लाख नागरिक मरेंगे। वह तुरंत एक ऐसा बम दक्षिण कोरिया, जापान पर दाग सकता है कि दुनिया एटमी हमले में रो पड़े। तीसरा महायुद्व छिड़ जाए।
तभी दुनिया में हाहाकार, रोने का वक्त कभी भी आ सकता है। सबको मालूम है कि किम जोंग पागल है मगर वह अपने देश का बेताज बादशाह, भगवान है। जनता उसकी गुलाम है। शायद भक्त भी हो। वहा उसके सामने कोई बोल नहीं सकता। चूं नहीं कर सकता। उसे कोई समझा नहीं सकता। उसे कोई रोक नहीं सकता। उसके लोग, उसकी जनता उसे विश्व का नंबर एक नेता मानती है। उसने कुछ ऐसा जादू किया हुआ है, ऐसा प्रबंध किया हुआ है जिसमें लोगों को अपनी गरीबी भी अमीरी लगती है। उन्हे समझ ही नहीं है कि वे गरीब और गुलाम है। वे बगल के दक्षिण कोरिया की खुशहाली को टीवी पर नहीं देख सकते। बाहरी दुनिया से पूरी तरह बेखबर है। सब कुछ नियंत्रित और तानाशाही तंत्र में जकड़ा हुआ। मतलब सब किम जोंग के खिलौने!
संदेह नहीं कि किम के लिए दुनिया भी खिलौना है। इसलिए पता नहीं कब घड़ी की सुई उस मुकाम पर पहुंच जाए जब किम जोंग एटमी बम, प्रक्षेपास्त्र छोड़ने का बटन दबा दे।
कितनी दहला देने वाली बात है यह! पर यही तो किम जोंग के लिए किलकारी वाली बात है!
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