सोमवार, 4 सितंबर 2017

2019 तक भाजपा को नीतीश की जरूरत है

                             जदयू के साथ आखिर क्या हुआ?                     जनता दल यू की एनडीए में वापसी ऐसा लग रहा है कि उसको रास नहीं आ रही है। भाजपा के साथ सरकार बनाने के बाद से ही कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। अभी तक विशेष पैकेज की बात आगे नहीं बढ़ी है, उलटे बाढ़ से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ पांच सौ करोड़ रुपए का पैकेज दिया, जबकि 2008 की बाढ़ में मनमोहन सिंह ने एक हजार करोड़ रुपए का पैकेज दिया था। इसी तरह बाढ़ का सर्वेक्षण करने गए मोदी ने नीतीश के साथ लंच नहीं किया था और अब नीतीश के विरोधी नेताओं को केंद्र में मंत्री बना दिया है। 
एक बड़ा झटका यह लगा है कि तमाम चर्चाओं के बावजूद जदयू को केंद्र सरकार में जगह नहीं मिली। अब यह कयास लगाया जा रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि ऐन मौके पर जदयू बाहर रह गई? इसे लेकर भाजपा और जदयू दोनों के पास अपनी अपनी कहानी है। जदयू के नेताओं का आधिकारिक रूप से कहना है कि इस बार की फेरबदल सिर्फ भाजपा के लिए थी, इसलिए जदयू के शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन अनौपचारिक बातचीत में पार्टी के नेता बता रहे हैं कि जदयू को रेलवे मंत्रालय चाहिए था और दो राज्यमंत्री के पद चाहिए थे, जिसके लिए भाजपा राजी नहीं हुई। 
जदयू के नेता इस भरोसे में हैं कि 2019 तक भाजपा को नीतीश की जरूरत है इसलिए उनकी बात देर सबेर मानी जाएगी। पर भाजपा नेता इससे सहमत नहीं हैं। वे मान रहे हैं कि नीतीश के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। वे इस समय भाजपा से अलग होकर कुछ नहीं कर सकते हैं। अब महागठबंधन में उनकी कोई पूछ नहीं है। ऊपर से वे कांग्रेस तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, इससे भाजपा में भी अविश्वास बढ़ा है। सो, दोनों तरफ से शह और मात का खेल चल रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों में से पहले कौन झुकता है। अगर नीतीश अपना नुकसान करने के लिए तैयार हो गए तो वे भाजपा का नुकसान कर सकते हैं, भाजपा को बस इसी बात की चिंता है।                          

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें