गुरुवार, 14 सितंबर 2017

विश्व में बढ़ी हिंदी की धाक

हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया है। सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व को समेटे हिंदी का अब विश्व में लगातार फैलाव हो रहा है। देश-विदेश में इसे जानने-समझने और बोलने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इंटरनेट के इस युग ने हिंदी को वैश्विक स्तर पर धाक जमाने में आसमान दे दिया है।

इंटरनेट पर हिंदी
हिंदी जानने, समझने और बोलने वालों की बढ़ती संख्या के चलते अब विश्वभर की वेबसाइटें हिंदी को भी तवज्जो दे रही हैं। ईमेल, ईकॉमर्स, ईबुक, इंटरनेट, एसएमएस एवं वेब जगत में इसे बड़ी ही सहजता से पाया जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, सन, याहू, आईबीएम तथा ऑरेकल जैसी विश्वस्तरीय कंपनियां अत्यंत व्यापक बाजार और भारी मुनाफे को देखते हुए हिंदी प्रयोग को बढ़ावा दे रही हैं।

तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा
विश्व में 50 करोड़ से अधिक हिंदी भाषी लोग हैं। यह दुनिया की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। पहले स्थान पर चीन की भाषा मंदारिन है। इसे 96 करोड़ लोग बोलते हैं। 70 करोड़ बोलने वालों के साथ अंग्रेजी दूसरे स्थान पर है।

विश्व में बढ़ी हिंदी की धाक
- फिजी, मॉरिशस, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद एवं टोबैगो और संयुक्त अरब अमीरात में हिंदी को अल्पसंख्यक भाषा का दर्जा
- भारत को बेहतर ढंग से जानने के लिए दुनिया के करीब 115 शिक्षण संस्थानों में हिंदी का अध्ययन होता है।
- अमेरिका में 32 विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में हिंदी पढ़ाई जाती है।
- ब्रिटेन की लंदन यूनिवर्सिटी, कैंब्रिज और यॉर्क यूनिवर्सिटी में हिंदी पढ़ाई जाती है।
- जर्मनी के 15 शिक्षण संस्थानों ने हिंदी भाषा और साहित्य के अध्ययन को अपनाया है। कई संगठन हिंदी का प्रचार करते हैं।
- चीन में 1942 में हिंदी अध्ययन शुरू। 1957 में हिंदी रचनाओं का चीनी में अनुवाद कार्य शुरू हुआ।

राजभाषा का दर्जा कब?
अगस्त 1947 में सदियों की दासता से आजादी मिलने के बाद 14 सितंबर, 1949 को संवैधानिक रूप से हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 343 में यह प्रावधान किया गया कि देवनागरी लिपि के साथ हिंदी भारत की राजभाषा होगी।


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