बिहार में सुशील मोदी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को झटका लगा है। ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने दो सबसे बड़े और राजनीतिक रूप से सबसे संवेदनशील राज्यों में संतुलन बनाने की कवायद के तहत दोनों प्रदेशों के शीर्ष नेताओं को झटका दिया है।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के राजकाज की शुरुआत होते ही उन पर ब्राह्मण विरोध के आरोप लगे थे। बसपा से जुड़ा पूर्वांचल के कद्दावर नेता हरिशंकर तिवारी के यहां छापे के बाद इन आरोपों की और पुष्टि हुई। अब पार्टी ने पूर्वांचल के दो दिग्गज ब्राह्मण नेताओं को बड़ा प्रमोशन दिया है। पहले महेंद्र नाथ पांडेय को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वे चंदौली से पार्टी के सांसद हैं। पिछली फेरबदल में उनको केंद्र में मंत्री बनाया गया था, अब उनको केशव प्रसाद मौर्य की जगह पार्टी का अध्यक्ष बना दिया गया।
दूसरा झटका शिव प्रताप शुक्ल का केंद्र में मंत्री बनना है। महेंद्र नाथ पांडेय मंत्रिपरिषद से हटे तो राज्यसभा सदस्य शिव प्रताप शुक्ल शामिल हुए। उन्हें वित्त राज्यमंत्री बनाया गया है। पांडेय और शुक्ल दोनों को योगी के विरोधी खेमे का नेता माना जाता है। सो, उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह चर्चा है कि चेक एंड बैलेंस के लिए इन दोनों को आगे बढ़ाया गया है। वैसे केशव प्रसाद मौर्य भी स्वतंत्र रूप से काम करते थे, लेकिन कहा जा रहा है कि महेंद्र नाथ पांडेय ज्यादा स्वतंत्र होकर काम करेंगे। इस तरह प्रदेश की राजनीति में सत्ता के दो केंद्र बन सकते हैं।
इसी तरह मंत्रिपरिषद में फेरबदल से बिहार भाजपा के दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी को भी झटका लगा है। उनके धुर विरोधी रहे गिरिराज सिंह पहले से मंत्री थे और अब दूसरे विरोधी अश्विनी चौबे को भी मंत्री बना दिया गया है। ऊपर से गिरिराज सिंह को तरक्की भी मिल गई है। कलराज मिश्र के साथ वे जिस मंत्रालय में राज्यमंत्री थे, उनको उसका स्वतंत्र प्रभार मिल गया है। गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे ये दोनों नेता नीतीश कुमार और भाजपा की पहली सरकार के समय से विरोधी खेमे में थे। बिहार से दूसरे मंत्री बनाए गए आरके सिंह भी गठबंधन को पसंद करने वाले नेताओं में से नहीं रहे हैं। सो, ऐसा माना जा रहा है कि बिहार से इस बार की फेरबदल से मंत्री बने दोनों नामों के बारे में सुशील मोदी से कोई चर्चा नहीं हुई है।
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