राजस्थान की दो लोकसभा सीटों पर अगले दो महीने में चुनाव होगा। एक सीट अजमेर की है, जो सांवरलाल जाट के निधन से खाली हुई है और दूसरी सीट अलवर की है, जो महंत चांद नाथ के निधन से खाली हुई है। राजस्थान में अगले साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होने वाला है। इसलिए इन दो सीटों के उपचुनाव को उसका रिहर्सल माना जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार के प्रति दोहरी एंटी इन्कंबैंसी का मुकाबला भाजपा को करना होगा।
पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 25 सीटें भाजपा ने जीती थी। लेकिन उस हिसाब से केंद्र में राजस्थान का प्रतिनिधित्व नहीं मिला। इसे लेकर एक बड़े खेमे में निराशा और नाराजगी रही है। इसी तरह अलग अलग आरक्षण आंदोलनों के कारण भी राज्य की राजनीति प्रभावित होती रही है। पिछले दिनों किसान आंदोलन एक व्यक्ति की मौत हुई है, जिसका असर आगे की राजनीति पर होगा। बाहुबली गैंगेस्टर आनंद सिंह की हत्या और अलवर में गौरक्षा के नाम पर हुई पहलू खान की हत्या का मामला भी राजनीति को प्रभावित करेगी।
दूसरी ओर कांग्रेस है, जिसने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। राहुल गांधी ने वहां जाकर रैली भी की है। सो, इन दोनों सीटों के चुनाव उसकी तैयारियों की परीक्षा हैं। इनमें से एक सीट तो अलवर राजघराने के भवंर जितेंद्र सिंह की ही है। वे राहुल गांधी के करीबी हैं और पिछली सरकार में मंत्री भी रहे थे। सो, निजी तौर पर भी उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के लिए ये चुनाव बेहद खास हैं। राहुल ने उन पर भरोसा किया है, लेकिन अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं हुए तो उनको बनाए रखने पर नए सिरे से विचार होगा।
पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 25 सीटें भाजपा ने जीती थी। लेकिन उस हिसाब से केंद्र में राजस्थान का प्रतिनिधित्व नहीं मिला। इसे लेकर एक बड़े खेमे में निराशा और नाराजगी रही है। इसी तरह अलग अलग आरक्षण आंदोलनों के कारण भी राज्य की राजनीति प्रभावित होती रही है। पिछले दिनों किसान आंदोलन एक व्यक्ति की मौत हुई है, जिसका असर आगे की राजनीति पर होगा। बाहुबली गैंगेस्टर आनंद सिंह की हत्या और अलवर में गौरक्षा के नाम पर हुई पहलू खान की हत्या का मामला भी राजनीति को प्रभावित करेगी।
दूसरी ओर कांग्रेस है, जिसने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। राहुल गांधी ने वहां जाकर रैली भी की है। सो, इन दोनों सीटों के चुनाव उसकी तैयारियों की परीक्षा हैं। इनमें से एक सीट तो अलवर राजघराने के भवंर जितेंद्र सिंह की ही है। वे राहुल गांधी के करीबी हैं और पिछली सरकार में मंत्री भी रहे थे। सो, निजी तौर पर भी उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के लिए ये चुनाव बेहद खास हैं। राहुल ने उन पर भरोसा किया है, लेकिन अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं हुए तो उनको बनाए रखने पर नए सिरे से विचार होगा।

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