शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

भाजपा के अंदर खींचतान

 कांग्रेस में तो ऐसा अक्सर होता रहता था। नेताओं और मंत्रियों में ठनी रहती थी। नीतिगत मामलों पर भी पार्टी और सरकार के अंदर से आवाजें उठती रहती थीं। लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह की कमान में भाजपा के आने के बाद पहली बार किसी मसले पर भाजपा के अंदर खींचतान दिख रही है। याद करें यूपीए दो के कार्यकाल में कैसे उस समय के गृह मंत्री पी चिदंबरम की नक्सल नीति को ले
कर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव दिग्विजय सिंह ने अंग्रेजी के एक अखबार में लेख लिखा था। दिग्विजय ने चिदंबरम को अहंकारी भी ठहराया था। इसी तरह तब के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के दफ्तर में जासूसी की खबरें आई थीं और इसे लेकर चिदंबरम और मुखर्जी में ठन गई थी, जिसकी पंचायत खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कराई थी। कांग्रेस राज के ऐसे कई किस्से हैं। 
पर मोदी के राज में पहली बार ऐसी आंतरिक खींचतान पार्टी में दिख रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते हुए सीधे वित्त मंत्री पर निशाना साधा और कहा कि उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बरबाद कर दिया है। भाजपा के सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी अर्थव्यवस्था को लेकर ऐसे ही बयान दिए। सो, अब सवाल है कि इसकी अंत परिणति क्या है? क्या मोदी और अमित शाह इस मामले में पार्टी नेताओं से बात करेंगे? इसकी संभावना कम बताई जा रही है। 
भाजपा के जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस मामले को यहीं छोड़ देगी। इसे ज्यादा तूल देने पर राजनीतिक नुकसान की संभावना है क्योंकि अगले दो महीने में दो राज्यों में चुनाव होने हैं। बहरहाल, इस पूरे प्रकरण से भाजपा के कई नेता खुश हैं कि किसी ने तो बोलना शुरू किया। यह सही है कि सुब्रह्मण्यम स्वामी, यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी या शत्रुघ्न सिन्हा के विरोध की वजहें अलग अलग हैं। लेकिन इससे कई नेताओं की हिम्मत खुली है। 
मिसाल के तौर पर भंडारा गोंदिया के सांसद नाना पटोले का जिक्र किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं है कि कोई उनसे सवाल पूछे। उन्होंने यह भी कहा था कि उनके सवाल पूछने पर प्रधानमंत्री नाराज हो गए थे। उस समय तो उन्होंने जैसे तैसे इस मामले को रफा दफा किया लेकिन पिछले दिनों दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुई पार्टी की विस्तारित कार्यकारिणी की बैठक में वे शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र में किसी कार्यक्रम की वजह से वे इसमें शामिल नहीं हुए। वे भाजपा के संभवतः इकलौते सांसद थे, जो इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। उनसे भी पहले उत्तर प्रदेश के बलिया के सांसद भरत सिंह ने पहली बार भाजपा संसदीय दल की बैठक में सवाल उठाए थे और व्यंग्य के साथ कहा था कि कौन सी उपलब्धि लोगों को बताई जाए!

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