भारतीय जनता पार्टी के नए नेतृत्व का सामने किसी नेता के बागी होने की खबरें अपवाद की तरह हैं। जब उत्तर प्रदेश के बलिया के सांसद भरत सिंह ने पार्टी सांसदों की बैठक में सरकार की उपलब्धियों पर सवाल उठाए तो इसकी बड़ी चर्चा हुई थी। हालांकि उसके बाद वे भी शांत हो गए। लेकिन अब कई जगह से सवाल उठने लगे हैं। पार्टी के नेता केंद्र, राज्य और यहां तक की स्थानीय निकायों के कामकाज और यहां तक कि नेतृत्व पर भी पर सवाल उठाने लगे हैं। पिछले दिनों इस तरह की कई घटनाएं सामने आई हैं।
महाराष्ट्र के भंडारा गोंदिया के सांसद नाना पटोले ने पिछले दिनों कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सवाल पूछा जाना अच्छा नहीं लगता है। उन्होंने कहा कि एक बैठक में उन्होंने सवाल पूछ दिए थे तो मोदी नाराज हो गए थे। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि उनकी बात को मीडिया ने गलत तरीके से पेश किया। लेकिन उनके कहने का आशय यहीं था कि पार्टी नेतृत्व के सामने बोलने की अनुमति नहीं है। उन्होंने एक खास मंत्रालय के कामकाज और किसानों की आत्महत्या का मुद्दा उठाया था। इसके एक दो दिन बाद ही खबर आई कि मध्य प्रदेश की मंत्री कुसुम मेहदले ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के कामकाज पर सवाल उठाया है। असल में नितिन गडकरी ने अपने मंत्रालय की उपलब्धियां बताते हुए ट्विट किया तो मध्य प्रदेश की मंत्री ने उस पर सवाल उठाते हुए तीखा जवाब दिया। मध्य प्रदेश की सड़कों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि उनके यहां राजमार्गों की हालत बहुत खराब है। यानी जो बात विपक्ष करता है वह भाजपा सरकार की एक मंत्री ने कहा।
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