शनिवार, 30 सितंबर 2017

राजनीति गरमा गई है भाजपा नेता यशवंत सिन्‍हा के बाद शत्रुघ्‍न सिन्‍हा अब कीर्ति आजाद ने भी जेटली की आलोचना

 पटना  भाजपा नेता व पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा के बयान पर राजनीति लगातार तेज होती जा रही है। भाजपा सांसद व सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के बाद अब यशवंत के सामर्थन में पार्टी से निलंबित सांसद व पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद भी उतर आए हैं। कीर्ति आजाद ने कहा है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सवालों का जवाब देने के बदले यशवंत पर व्यक्तिगत हमले किए, जो गलत था। कीर्ति ने जेटली पर तंज सका कि जो एक बार भी चुनाव नहीं जीता हो, वो जनता का दर्द भला क्‍या समझेगा।
उल्‍लेखनीय है कि यशवंत सिन्‍हा ने एक समाचारपत्र में लिखे अपने लेख में देश की अर्थव्‍सवस्‍था की हालत पर चिंता जाहिर की थी। उन्‍होंने इसके लिए वित्‍त मंत्री अरुण जेटली को जिम्‍मेदार ठहराया था।
 कीर्ति आजाद ने कहा कि अगर कोई अर्थव्यवस्था की धीमी गति का आरोप लगाता है तो देश के वित्त मंत्रीसे अपेक्षा की जाती है कि वे गंभीरता से तथ्‍यगत जवाब देंगे। लेकिन, वित्त मंत्री ने व्‍यक्तिगत हमला करते हुए यशवंत सिन्हा के लिए कहा कि वे 80 साल की उम्र में नौकरी ढूंढ रहे हैं। बात को मुद्दे से भटका दिया।
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर वित्‍त मंत्री अरुण जेटली पर हमलावर कीर्ति आजाद ने कहा कि केंद्र सरकार का 40 महीने का समय बीत चुका है। लोग परेशान हैं। लोग जीएसटी और नोटबंदी को लेकर सवाल पूछते हैं। वित्‍त मंत्री को बताना चाहिए कि अगर सरकार ने कठोर कदम उठाए गए हैं तो लोगों की समस्याएं कैसे खत्म होंगी।
कीर्ति आजाद ने कहा कि टैक्स लगाने पर कम से कम आम लोगों को उसका दर्द नहीं होना चाहिए। विरोध की सियासत पर अपनी सफाई देते हुए कीर्ति बोले कि मान लीजिए कि हम खिलाफ हैं, लेकिन व्‍यवसायियों व आम आदमी की व्यथा को तो दूर कीजिए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्‍या सकारात्मक आलोचना भी बागी होना होता है?अरुण जेटली पर हमलावर कीर्ति आजाद ने कहा कि जेटली कभी लोक सभा चुनाव नहीं जीते हैं। उन्‍हें आम आदमी के बीच बैठने का मौका नहीं मिला। ऐसे वे आम जनता के दुख-दर्द को नहीं समझ सकते।  कीर्ति ने कहा कि यशवंत सिन्हा एक अच्छे अर्थशास्त्री रहे हैं। वित्त मंत्री भी रहे हैं। उन्‍होंने जो लेख लिखा था, उसके ऊपर बिंदुवार जवाब देना चाहिए था।
यह है मामला


- भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने कहा है कि अर्थव्यवस्था बहुत बुरी हालत में है। उन्होंने जीडीपी की गणना के तरीकों पर भी सवाल उठाया है। एक समाचार पत्र में लिखे अपने लेख में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि वर्तमान में हमारी जीडीपी ग्रोथ रेट 5.7 फीसद है, जबकि पुराने तरीके की गणना के अनुसार यह केवल 3.7 फीसद या कम है। वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब कर दी है।
- यशवंत सिन्‍हा ने इशारा किया कि अरुण जेटली को अन्य कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी दी है, जो वित्त मंत्रालय से उनका ध्यान भटका रही है। उन्होंने लिखा है कि पीएम दावा करते हैं कि उन्होंने गरीबी को करीब से देखा है, लेंकिन उनके वित्त मंत्री पूरे देश को गरीबी दिखाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
- यशवंत के आरोपों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी पलटवार किया। एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में जेटली ने सिन्हा को 80 साल की उम्र में नौकरी चाहने वाला बताते हुए कहा कि वे वित्त मंत्री के रूप में अपने रिकार्ड को भूल गए हैं। उन्होंने आरोप लगााया कि सिन्हा कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पीछे-पीछे चल रहे हैं।
- जेटली ने सिन्हा का नाम नहीं लिया, लेकिन स्‍पष्‍ट इशारा उनकी तरफ ही था। कहा कि उनके पास पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य नहीं है, न ही उनके पास ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है।
- अर्थव्यवस्था के हालात पर यशवंत सिन्हा के विचार का पटना से भाजपा सांसद शत्रुघ्‍न सिन्‍हा ने भी समर्थन किया। इसके बाद दरभंगा के भाजपा से निलंबित सांसद कीर्ति आजाद भी यशवंत सिन्‍हा से समर्थन में उतर आए हैं।

राज ठाकरे ने दूसरे प्रांतों के मुंबई आने पर साधा निशाना

एलफिन्सटन रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे में 22 लोगों के मारे जाने के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने
कहा कि अगर इतनी बड़ी संख्या में दूसरे प्रांतों के लोग मुंबई आते रहे तो शहर में ऐसी भगदड़ होती रहेगी।उन्होंने साथ ही चेतावनी दी कि जब तक स्थानीय रेलवे का बुनियादी ढांचा नहीं सुधरता, ‘‘मुंबई में बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए एक भी ईंट नहीं लगानी दी जाएगी।’’ पूर्व में कई बार दूसरे प्रांतों के मुंबई आने वाले लोगों के खिलाफ बयानबाजी कर चुके मनसे नेता ने यहां के दादर इलाके में स्थित अपने घर कृष्ण कुंज में संवाददाताओं से कहा, ‘‘दूसरे क्षेत्रों से आने वाले प्रवासियों की भारी भीड़ के कारण बुनियादी ढांचा संबंधी सुविधाएं चरमराती रही हैं।’’
 ठाकरे ने कहा कि वह यहां के सर जे जे कॉलेज में कला की पढ़ाई के दौरान दो साल तक मुंबई उपनगरीय ट्रेन सेवा में सफर कर चुके हैं और ‘‘आप जिसे मुंबई की जिजीविषा बताते हैं, जो उसे इस तरह की त्रासदियों से उबारती है, वह असल में इस तरह की आपदाओं के कारण उपजने वाली हताशा है।’’ कल एलफिन्सटन रेलवे स्टेशन पर एक संकरे फुट ओवरब्रिज पर व्यस्त समय में मची भगदड़ में कम से कम 22 लोग मारे गए थे और 30 लोग घायल हो गए।ठाकरे ने कहा कि उनके पार्टी के नेता बाला नंदगांवकर ने पूर्व में अधिकारियों को भगदड़ वाली जगह पर एक नया ओवरब्रिज बनाने के लिए पत्र लिखा था लेकिन उनके सुझाव पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और इसकी बजाए नंदगांवकर को एमएमआरडीए से संपर्क करने को कहा गया।उन्होंने कहा कि काकोदकर समिति ने रेलवे के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए एक लाख करोड़ रुपए के व्यय का प्रस्ताव आगे किया था लेकिन उसपर किसी ने अमल नहीं किया और इसकी बजाए बुलेट ट्रेन परियोजना का कार्यान्वयन हो रहा है जिसपर उतना ही खर्च आ रहा है।मनसे नेता ने कहा, ‘‘हमें बुलेट ट्रेन चाहिए या बुनियादी रेल ढांचे में सुधार।’’ उन्होंने ‘‘चरमराती’’ रेल सेवा पर चुप्पी साधने के लिए भाजपा सांसद किरीट सोमैया पर भी निशाना साधा।ठाकरे ने कहा, ‘‘जब कांग्रेस सत्ता में थी, यह आदमी प्लेटफॉर्म की ऊंचाई नापा करता था। अब जब भाजपा नेतृत्व वाली सरकार में इस तरह की त्रासदियां हो रही हैं तो वह अब कहां है?’’
 मनसे नेता ने अपने बारे में दावा किया कि वह भगदड़ की जगह पर या अस्पताल इसलिए नहीं गए क्योंकि ‘‘टेलीविजन कैमरे की जद में आने के लिए इस तरह की जगहों पर नेता पहुंचे हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे (रेलवे) कहते हैं कि भगदड़ बारिश के कारण हुई। मुंबई में पहली बार बारिश नहीं हुई है।’’ ठाकरे ने कहा, ‘‘पांच अक्तूबर को रेल अधिकारियों को एक समयसीमा के साथ मुंबई के स्थानीय लोगों से संबंधित मुद्दों की एक सूची सौंपी जाएगी। अगर चीजें बेहतर हुईं तो हम देखेंगे (कि आगे क्या करना है)।’’ उन्होंने कहा कि स्टेशन पर बने पुलों से गैरकानूनी रेहड़ी पटरी दुकानदारों को हटाने के लिए भी एक समयसीमा दी जाएगी और उसका पालन ना करने पर पार्टी खुद से उस पर काम करेगी।

मैंने मोदी सरकार से एक पैसा भी नहीं पाया है - योग गुरु रामदेव

 तेजी से बढ़ते उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) क्षेत्र में पतंजलि एक प्रमुख खिलाड़ी बन रहा है. योग गुरु रामदेव ने कहा है कि उनकी योजना पतंजलि को अगले 4 सालों में सबसे बड़ा एफएमसीजी ब्रांड बनाना है. 10,000 करोड़ के पतंजलि समूह के लिए अपने 'उत्तराधिकार की योजना' का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि उनके उत्तराधिकारी उनके द्वारा प्रशिक्षित लगभग 500 साधुओं की एक टीम होगी.
एक टॉक शो में योगगुरू ने कहा कि अगले दो सालों में पतंजलि एक लाख करोड़ रुपये की उत्‍पादन क्षमता हासिल करेगा. अभी हमारी हरिद्वार इकाई की उत्‍पादन क्षमता 15,000 करोड़ है और तेजपुर की 25,000 करोड़ रुपये. हमारी नई इकाईयां नोएडा, नागपुर, इंदौर और आंध्र प्रदेश में आ रही हैं. हमारे पास 50 छोटी इकाइयां हैं, जहां हम खाद्य तेल, नमक, आदि बना रहे हैं. यहां तक कि अगर हम 1 लाख करोड़ रुपये की उत्पादन क्षमता हासिल करते हैं, तो यह 10 लाख करोड़ रुपये के कुल बाजार का 10 फीसदी हिस्सा ही होगा."
उन्‍होंने आगे यह भी कहा कि कंपनी जल्‍द ही जींस, ट्राउजर्स, कुर्ता, कमीज, सूटिंग, स्पोर्ट्सवियर और योग वियर भी बेचेगी.
इसके साथ ही उन्‍होंने वित्‍त मंत्री अरुण जेटली से गाय के घी और मक्‍खन पर बढ़ाई गई जीएसटी की दर को भी कम करने की मांग की. उन्‍होंने चीनी और विदेशी उत्‍पादों के बहिष्‍कार करने की बात कही, लेकिन विदेशी बाजारों में भारतीय उत्‍पादों के निर्यात की वकालत भी की. हालांकि उन्‍होंने कहा कि पतंजलि समूह गरीब देशों का शोषण नहीं करेगा.. "चाहे वह बांग्लादेश, नेपाल, यहां तक कि पाकिस्तान या अफ्रीकी देश हों, हम वहां से जो भी लाभ कमाएंगे, उसे भारत नहीं लाएंगे, बल्कि वहीं पैसा फिर से निवेश करेंगे".
योग गुरु ने यह भी कहा कि उन्‍होंने अपनी कंपनी के लिए कभी भी राजनीतिक संपर्कों का इस्‍तेमाल नहीं किया. उन्‍होंने कहा कि मैं पूरी जिम्‍मेदारी के साथ यह कह सकता हूं कि मैंने मोदी सरकार से एक पैसा भी नहीं पाया है.

नरेंद्र भाई के गिनती उलटी शुरू हो गई

राज-सिंहासन पर नरेंद्र भाई मोदी के पांच सौ के आसपास ही दिन-रात बाकी बचे हैं और गिनती उलटी शुरू भी हो गई। मुझे तो 22 मई 2014 को ही यक़ीन हो गया था कि 2019 किसी भी हालत में उनका नहीं होगा और अगर कोई चुनाव नतीजों के दरमियान उस सुबह दूरदर्शन समाचार पर हो रही बहस फिर से देखे तो मुझ पर ठट्ठा मार कर हंसते भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ताओं को देख कर आज अपनी खोपड़ी खुजाएगा। मैं ने उस सुबह हर चैनल पर कहा कि ये नतीज़े ज़मीनी हक़ीक़त नहीं हैं, ये झक्कूबाज़ी के आसमानी परदे पर लिखे हुए हैं और तीन बरस बीतते-बीतते यह परदा तार-तार हो जाएगा। ज़ाहिर है कि चैनल-एंकर और विपक्षी प्रवक्ता मेरी खिल्ली उड़ा रहे थे। कांग्रेस जब 44 पर सिमट रही हो और भारतीय जनता पार्टी 282 छू रही हो तो तात्कालिक उछाह और गहरी मायूसी के उस माहौल में मुझ से हो रहा सलूक ठीक ही था।
लेकिन जिन्हें साढ़े तीन साल पहले की उस तपती सुबह चुनाव के उन नतीजों की आंच पर इतना पक्का यक़ीन था कि वह कम-से-कम दस साल तक तो भाजपा की देगची को खौलाए रखेगी, अब उन्होंने अपनी आंखें मसलना शुरू कर दी हैं। इसलिए कि एक बात तो साफ हो गई है कि राहुल गांधी के पैर अब जहां-जहां पड़ेंगे, नरेंद्र और अमित भाई शाह की संयुक्त-ज़ागीर बन गई भाजपा का बंटाढार होता जाएगा। पिछले हफ्ते अमेरिका के भारतवंशियों की तालियां अपनी झोली में राहुल गांधी ने जिस तरह समेटीं, उसने भाजपा का चैन-हरण कर लिया। बाकी कसर अमेरिका से लौटते ही राहुल के गुजरात दौरे ने पूरी कर दी। सो, ताज़ा माहौल अमित भाई को कलपा रहा है, नरेंद्र भाई को सनका रहा है और मोहन भागवत को बिदका रहा है।
नरेंद्र भाई अगर न होते तो भाजपा, पता नहीं कब, पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आती? सो, उन्हें यह श्रेय तो देना ही होगा कि लफ़्फाज़ी के बूते ही सही, सपनों की सौदागरी के सहारे ही सही, वे भाजपा की पीठ पर सवार होकर सनसनाते हुए रायसीना-पहाड़ी चढ़ गए। लेकिन आते ही अपने देश पर वे इस तरह पिल न पड़े होते तो आज की उलटी बयार शायद कुछ और वक़्त बाद बहनी शुरू होती। हो सकता है, अगले चुनावों के बाद ही हवा बदलती। लेकिन चाबुक हाथ में ले कर चलने का नरेंद्र भाई का शौक इतनी जल्दी उन पर भारी इसलिए पड़ गया कि अपने पूज्य को प्रसन्न करने के चक्कर में पुजारियों ने ऐसे-ऐसे कान-फाड़ू भजन सुनाए कि देश की उकताहट यहां आ पहुंची।
अमित भाई के मन में नरेंद्र भाई का प्रति-रूप बनने की ऐसी लालसा जगी कि उन्होंने भाजपा-संगठन के साथ वही सब करना शुरू कर दिया, जो उनके प्रणेता सरकार और संसद के साथ करने पर तुले हैं। सरकार में अगर नरेंद्र भाई के अलावा सबकी ज़ुबां थरथरा रही है तो संगठन में अमित भाई के अलावा बाकी सबकी टांगें कांप रही हैं। ऐसे में हृदय-सम्राटों को कोई कब तक दिल में बिठाए रख सकता है? इसलिए सरकार और संगठन के बरामदों में ऐसे लोग अब इने-गिने ही रह गए हैं, जो एक हाथ अपने दिल पर रख कर आज भी दूसरे हाथ से आरती का थाल घुमाने को तैयार हों। अवाम के जिस तबके के दिल में नरेंद्र भाई बस गए लगते थे, नोट-बंदी और जीएसटी ने उन दिलों को भी बेतरह झकझोर दिया। नतीजा यह है कि आसमान से गिर रही भाजपा खजूर में भी अटक पाएगी या नहीं, मालूम नहीं। जिस सोशल-मीडिया के क़सीदे पढ़ते-पढ़ते भाजपा के होंठ नहीं थकते थे, वह भाजपा अब अपने बचे-खुचे चाहने वालों की हिफ़ाजत के लिए उन्हें इस ‘बुराई’ से दूर रहने की हिदायत दे रही है।
आज विजयादशमी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत हर साल की तरह इस बार भी अपने मन की बात कहेंगे। पिछली विजयादशमी पर उन्होंने ‘मत-संप्रदायों का भेद न करने वाले’ शैवदर्शन के आचार्य अभिनवगुप्त को याद किया था; ‘समता और बंधुता का अलख जगाने वाले’ रामानुजाचार्य को याद किया था; ‘स्वाभिमान की रक्षा और पाख्ंाड का घ्वंस करने वाले’ गुरु गोविंद सिंह को याद किया था; और, ‘सभी पंथ-संप्रदायों के समन्वय’ के समर्थक गुलाबराव महाराज को याद किया था। इससे पहले, 2015 की विजयादशमी पर भागवत ने कहा थाः ‘‘सस्ती लोकप्रियता अथवा राजनीतिक लाभ लेने के मोह से दूर रहते हुए समाज के सभी वर्गों के प्रति आत्मीयतापूर्ण भाव रख कर ही समाज का मन बदला जा सकता है’’।
भाजपा की सरकार बनने के फौरन बाद आई विजयादशमी पर भागवत बोले थेः ‘‘समाज ने देश के सत्ता-तंत्र में एक बड़ा परिवर्तन लाया है। अभी इस परिवर्तन को छह महीने भी पूरे नहीं हुए हैं, परंतु ऐसे संकेत यदा-कदा प्राप्त होते रहते हैं, जिससे लगता है कि भारत की जनता के संपूर्ण सुरक्षित, सर्वांगीण उन्नत जीवन की आकांक्षा का प्रतिबिंब शासन-प्रशासन की नीतियों में खिलने लगेगा। आने वाले दिनों में देश की नीति सुव्यवस्थित हो कर आगे बढ़े, यह इस सरकार को करना होगा।’’
भागवत आज क्या बोलेंगे, वे जानें। मैं तो इतना जानता हूं कि उनका मन भी कसक रहा है। संघ की सहयोगी संस्थाएं नरेंद्र भाई के घूंसों से कराह रही हैं। 62 बरस पहले बना और एक करोड़ की सदस्यता वाला भारतीय मज़दूर संघ मोदी-सरकार की नीतियों को ले कर अपनी नाराज़गी एक बार नहीं, कई बार ज़ाहिर कर चुका है। 38 साल पहले बना भारतीय किसान संघ नरेंद्र भाई की सरकार को लानत भेज रहा है। 26 साल पहले बना स्वदेशी जागरण मंच भारत की विदेशों पर बढ़ती निर्भरता को ले कर गुस्से में है। 23 साल पहले जन्मी लघु उद्योग भारती चौपट हो रहे काम-धंधों को ले कर आगबबूली है। 39 बरस पहले बना सहकार भारतीय खुल कर कह रहा है कि सरकार ने सहकारिता को भुला दिया है। 43 साल पहले बनी ग्राहक पंचायत महंगाई को ले कर इतनी गुस्से में है कि उसे सड़कों पर आने से रोकने के लिए भागवत को चिरौरी करनी पड़ती है।
और, संघ के भीतर भी क्या कम खदबदाहट है? कई दिग्गज विदेशी निवेश पर श्वेत-पत्र अब तक नहीं आने को ले कर चिंतित हैं। सार्वजनिक उपक्रमों के बिना सोचे-समझे विनिवेश से खुद भागवत बेचैन हैं। सातवें वेतन आयोग की विसंगतियां अब तक दूर नहीं होने पर भी पितृ-संगठन के भीतर फ़िक्र बढ़ रही है। आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को सामाजिक सुरक्षा क़ानून के दायरे में अब तक नहीं लाने ने संघ के ज़्यादातर लोगों को लाल-पीला कर रखा है।
इसलिए मैं मानता हूं कि नरेंद्र भाई की सरकार अपने निर्धारित समय से कम-से-कम दो साल देरी से चल रही है। देश हमेशा सरकारों से तेज़ चलता है। सो, नरेंद्र भाई की बुलैट ट्रेन जब चलेगी, तब चलेगी; देश की बैलेट ट्रैन तो अब सरकने लगी है। वह प्लेटफॉर्म छोड़ रही है। जिन्हें उसकी सीटी सुनाई नहीं दे रही, वे अपनी मीनार में रहें। भारत को तो अपने पुराने दिन फिर बुला रहे हैं।

बिहार में टूटे ट्रैक पर दौड़ी राज्‍यरानी एक्‍सप्रेस

पटना । आए दिन रेल दुर्घटनाओं के बावजूद लापरवाही है कि थमने का नाम नहीं ले रही। ताजा मामला बिहार का है, जहां टूटे ट्रैक से होकर राज्‍यरानी एक्सप्रेस गुजर गई। संयोग अच्छा था कि कोई दुर्घटना नहीं हुई। बाद में ट्रैक की मरम्‍मत कर रेल परिचालन आरंभ किया गया। इस दौरान ट्रेनों को जहां-तहां रोक देने के कारण भारी अव्‍यवस्‍था फैली रही। यात्रियों ने हंगामा भी किया।
मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार केा अथमगोला में राज्‍यरानी एक्‍सप्रेस के टूटे ट्रैक से गुजर जाने के बाद रेलवे अधिकारियों को इसकी सूचना मिली तो हड़कंप मच गया। तत्काल उस मार्ग से गुजरने वाली ट्रेनों को विभिन्न स्टेशनों पर रोककर मरम्मत का कार्य शुरू किया गया। ट्रैक को ठीक कराने के बाद दोबारा परिचालन शुरू हुआ।
ट्रैक की मरम्‍मत के दौरान भागलपुर इंटरसिटी एक्‍सप्रेस को बाढ़ में रोकना पड़ा। इसके अलावा पाटलिपुत्र एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों को आसपास के स्टेशनों पर रोका गया। पटना से धनबाद जा रही पाटलिपुत्र एक्सप्रेस को गुलजारबाग में काफी देर तक रोके जाने के कारण यात्रियों ने जमकर हंगामा किया।
दो रेलकर्मी निलंबित
इस बीच रांची जनशताब्दी एक्सप्रेस में शुक्रवार को ड्यूटी से गायब रल कर्मी दीपक कुमार एवं मनीष कुमार को निलंबित कर दिया गया। सीनियर डीसीएम ने गाड़ी का औचक निरीक्षण किया तो दोनों कर्मचारी गायब पाए गए।

शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

भाजपा के अंदर खींचतान

 कांग्रेस में तो ऐसा अक्सर होता रहता था। नेताओं और मंत्रियों में ठनी रहती थी। नीतिगत मामलों पर भी पार्टी और सरकार के अंदर से आवाजें उठती रहती थीं। लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह की कमान में भाजपा के आने के बाद पहली बार किसी मसले पर भाजपा के अंदर खींचतान दिख रही है। याद करें यूपीए दो के कार्यकाल में कैसे उस समय के गृह मंत्री पी चिदंबरम की नक्सल नीति को ले
कर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव दिग्विजय सिंह ने अंग्रेजी के एक अखबार में लेख लिखा था। दिग्विजय ने चिदंबरम को अहंकारी भी ठहराया था। इसी तरह तब के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के दफ्तर में जासूसी की खबरें आई थीं और इसे लेकर चिदंबरम और मुखर्जी में ठन गई थी, जिसकी पंचायत खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कराई थी। कांग्रेस राज के ऐसे कई किस्से हैं। 
पर मोदी के राज में पहली बार ऐसी आंतरिक खींचतान पार्टी में दिख रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते हुए सीधे वित्त मंत्री पर निशाना साधा और कहा कि उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बरबाद कर दिया है। भाजपा के सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी अर्थव्यवस्था को लेकर ऐसे ही बयान दिए। सो, अब सवाल है कि इसकी अंत परिणति क्या है? क्या मोदी और अमित शाह इस मामले में पार्टी नेताओं से बात करेंगे? इसकी संभावना कम बताई जा रही है। 
भाजपा के जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस मामले को यहीं छोड़ देगी। इसे ज्यादा तूल देने पर राजनीतिक नुकसान की संभावना है क्योंकि अगले दो महीने में दो राज्यों में चुनाव होने हैं। बहरहाल, इस पूरे प्रकरण से भाजपा के कई नेता खुश हैं कि किसी ने तो बोलना शुरू किया। यह सही है कि सुब्रह्मण्यम स्वामी, यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी या शत्रुघ्न सिन्हा के विरोध की वजहें अलग अलग हैं। लेकिन इससे कई नेताओं की हिम्मत खुली है। 
मिसाल के तौर पर भंडारा गोंदिया के सांसद नाना पटोले का जिक्र किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं है कि कोई उनसे सवाल पूछे। उन्होंने यह भी कहा था कि उनके सवाल पूछने पर प्रधानमंत्री नाराज हो गए थे। उस समय तो उन्होंने जैसे तैसे इस मामले को रफा दफा किया लेकिन पिछले दिनों दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुई पार्टी की विस्तारित कार्यकारिणी की बैठक में वे शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र में किसी कार्यक्रम की वजह से वे इसमें शामिल नहीं हुए। वे भाजपा के संभवतः इकलौते सांसद थे, जो इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। उनसे भी पहले उत्तर प्रदेश के बलिया के सांसद भरत सिंह ने पहली बार भाजपा संसदीय दल की बैठक में सवाल उठाए थे और व्यंग्य के साथ कहा था कि कौन सी उपलब्धि लोगों को बताई जाए!

मुंबई: रेलवे ब्रिज पर भगदड़ में 22 की मौत जबकि 40 से 45 लोग घायल हो गए हैं।

मुंबई के एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के फुट ओवर ब्रिज पर भगदड़ मच जाने से 22 लोगों की मौत हो गई जबकि 40 से 45 लोग घायल हो गए हैं। ब्रिज पर भारी भीड़ भी थी। घटना सुबह 11 बजे के आसपास की है। घायलों को केईएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हादसे पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है।
इस हादसे में मरने वालों को 10 लाख रुपये मुआवजा मिलेगा। 5 लाख रुपये राज्य सरकार की ओर से और 5 लाख रुपये रेलवे की ओर से दिया जाएगा। रेलवे की ओर से मिलने वाले मुआवजे का एलान रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किया है। इसके अलावा रेल मंत्री ने गंभीर रूप से घायल लोगों को 1 लाख रुपये और मामूली रूप से घायल लोगों को 50 हजार रुपये देने का एलान किया है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल के मुंबई पहुंचने के बाद उन्होंने भगदड़ में मारे गए लोगों के प्रति गहरी संवेदना जताई और कहा है कि इस दुर्घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
इसके साथ ही महाराष्ट्र सरकार में मंत्री विनोद तावड़े ने हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को पांच लाख रूपए की आर्थिक मदद की बात कही है। घायलों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा उठाए जाने की घोषणा की है।
आपदा प्रबंधन के साथ ही मौके पर फायर ब्रिगेड की टीम भी लोगों के रेस्क्यू के लिए पहुंचीं। बताया जा रहा है कि जब पुल गिरने की अफवाह फैली, तो भगदड़ मच गई और पुल पर फिसलन के कारण यह हादसा और भी बड़ा हो गया है। भगदड़ मचने के बाद काफी औरतें बेहोश हो गई थी।
हादसे की ये वजहें बताई जा रही हैं-शॉर्ट सर्किट 
भारी बारिश के बीच ही शॉर्ट सर्किट होने की अफवाह फैल गई। हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अफवाह की वजह से लोगों में अफरातफरी मच गई और लोग अचानक इधर-उधर भागने लगे। बारिश से बचने के लिए लोग ब्रिज पर ही खड़े हुए थे।फुटओवर ब्रिज टूटने की बात
चश्मदीदों ने बताया कि इस दौरान लोगों को अचानक से समझ में नहीं आया कि किधर जाना है। इसी दौरान वहां पर फुटओवर ब्रिज के टूटने का हल्ला मच गया और लोगों में भगदड़ मच गई।ज्यादा भीड़
शुक्रवार को छुट्टी होने की वजह से स्टेशन पर भीड़ ज्यादा थी और लोग काफी अधिक संख्या में स्टेशन पर मौजूद थे। इस वजह से यह हादसा काफी बड़ा हो गया।
फौरन राहत कार्य में जुटे लोग 
घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर हुए हादसे के बाद वहां मौजूद लोग ही फौरन राहत एवं बचाव कार्य में जुट गए। पुलिस और अस्पताल की कोई भी सुविधा पहुंचने तक लोगों ने खुद ही घायलों की मदद की। घटनास्थल पर मौजूद एक यात्री किशोर ठक्कर ने हादसे के खौफनाक मंजर को बयां करते हुए बताया कि भगदड़ के बाद एक के ऊपर एक लाशें और घायल पड़ी हुई थीं। हमने उन्हें उठाया और वाहनों तक ले गए।
पहले भी की जा चुकी है पुल को दुरुस्त करने की मांग
शुक्रवार को हुए इस हादसे के बाद रेलवे प्रशासन पर सीधे उंगली उठ रही है। एलफिन्सटन रोड स्टेशन के फुटओवर ब्रिज की खस्ता हालत को सुधारने के लिए पहले भी मांग हो चुकी है।
इस मामले पर पुलिस का कहना है कि घटना की जांच की जा रही है। उधर, पश्चिम रेलवे ने कहा है कि घटनास्थल पर मेडिकल टीम पहुंच गई है और घायलों को सहायता मुहैया कराई जा रही है। वरिष्ठ अधिकारी स्टेशन पर राहत और बचाव कार्य की निगरानी कर रहे हैं। रेलवे के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने बताया कि रेल मंत्री पीयूष गोयल मुंबई पहुंच रहे हैं।
सेंट्रल लाइन के परेल स्टेशन और वेस्टर्न रेल लाइन के एलफिंस्टन स्टेशन को कनेक्ट करने वाले ब्रिज पर पीक आवर की भीड़ थी। घटना के समय जब अचानक बारिश आई, तब सभी लोग ब्रिज पर ही रुक गए। ब्रिज पर भीड़ बढ़ने लगी, जबकि कोई उतरने को तैयार नहीं था। ऐसी स्थिति में सेंट्रल लाइन की ट्रेन पकड़ने के लिए धक्का-मुक्की होने लगी और इसी घटना ने भगदड़ का रूप ले लिया।

नेहल ने थाईलैण्ड में बढाया पिंकसिटी का मान

जयपुर। शहर की नन्ही प्रतिभाषाली 11 साल की नेहल गुप्ता ने पिंकसिटी का गौरव बढ़ाते हुए थाइलैंड में आयोजित ’’ब्लूमफेयर इंडिया-वे टू बॉलीवुड सीज़न 2’’ की विजेता बनी। इंडिया के हुनर की खोज करने के लिए इस प्रतियोगिता का फाइनल हाल ही 18 से 20 सितंबर को बैंकॉक (थाइलैंड) में आयोजित किया गया। जिसमें टैगोर नगर निवासी नेहल गुप्ता ने 14 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए विजेता का खिताब जीता। खास बात यह है कि नेहल गुप्ता इस प्रतियोगिता को जीतने वाली सबसे कम उम्र की प्रतिभागी रही।
इससे पूर्व इस प्रतियोगिता का सेमीफाइनल जयपुर में आयोजित किया गया था। फाइनल राउंड में बतौर जज बॉलीवुड डायरेक्टर एवं ब्लूमफेयर प्रोडक्षन के अध्यक्ष हसनैेन हैदराबादवाला, एक्टर इमरान हाष्नी, एक्ट्रेस अर्जुमन मुग़ल और ब्लूमफेयर प्रोडक्षन के डायरेक्टर
अहमद कबीर शादान ने षिरकत की।
नेहल के पापा नीरज खंडेलवाल ने बताया की वहां फाइनल प्रतियोगिता में कुल पांच राउंड हुए जिसमें एक्टिंग एवं डांस परर्फोमेंस, फिटनेस एंड विन्टेज, बीच एंड रेड कॉरपेट और फोटोषूट रखे गये थे। वहां सभी प्रतिभागियों में सबसे कम उम्र की प्रतिभागी होने के बावजूद नेहल ने कड़ी टक्कर देते हुए विजेता का खिताब जीता। नेहल ने पूरी मेहनत और लगन के साथ प्रतियोगिता के हर राउंड में भाग लेते हुए साबित कर दिया की लड़कियां किसी से कम नहीं होती।
यहां पिंकसिटी प्रेसक्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में ब्लूमफेयर प्रोडक्षन की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर रितु सूद गुप्ता, वाइब्रेन्ट एंटरटेंटमेंट की फाउंडर मीनू गुप्ता, सेंट जेवियर स्कूल के प्रिंसीपल फादर जोन रवि एवं वाइस प्रिंसीपल सी.के.फुनोस, क्लास टीचर, बस्कर्स डांस इंस्टीट्यूट की फैकल्टी, एवं या या सोसायटी की फाउंडर मधुलिका सिंह ने नेहल गुप्ता की प्रतिभा के बारे में जानकारी दी।
नेहल ने बताया कि अगर परिवार साथ दे तो बेटिया भी अपने परिवार, समाज व देष का नाम रोषन करने की काबलियत रखती है। सेंट जे़वियर स्कूल में क्लॉस 6 की स्टूडेंस नेहल अपने स्कूल के कराटे ग्रुप की लीडर भी है। यहां गुरूवार को आयोजित एक कार्यक्रम में स्कूल के टीचर ने बताया कि नेहल शुरू से ही प्रतिभाषाली रही है। इससे पहले भी उसने अगस्त माह में शहर में आयोजित टेलैंट अफेयर प्रतियोगिता में भी बेस्ट डांसर का प्रथम स्थान प्राप्त किया था।
जयपुर पहुॅंचने पर नेहल गुप्ता का सभी परिवारजन और टैगोर नगर वासियों ने माला पहनाकर ढ़ोलबाजे के साथ शानदार स्वागत किया। क्षेत्रीय थानाधिकारी भोपाल सिंह भाटी ने भी नेहल को बधाई देते हुए जीवन में आगे तरक्की करने की शुभकामनाएं दी और कहा कि बेटिया किसी से कम नहीं होती उन्हें जितना हो सके सपोर्ट करना चाहिए।  photo's by >Kamlesh Shrimal

डिजिटल पेमेंट से बैंकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

मोदी सरकार लगातार कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने में जुटी हुई है, लेकिन बैंकों के लिए यह अभियान काफी मुश्किल साबित हो रहा है. एसबीआई रिपोर्ट की तरफ से जारी एक रिपेार्ट के मुताबिक डिजिटल पेमेंट से बैंकों को 3800 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान उठाना पड़ रहा है.
बैंकों की जेब पर बढ़ा दबाव
नोटबंदी के बाद से बैंक लगातार कैशलेस लेनदेन के लिए प्वाइंट आॅफ सेल (पीओएस) टर्मिनल्स और मशीनों की संख्या बढ़ाने में जुटे हुए हैं. जहां मार्च 2016 में बैंकों ने 13.8 लाख पीओएस टर्मिनल्स लगाए थे. नोटबंदी के बाद इनकी संख्या लगातार बढ़ी है और जुलाई, 2017 तक 28.4 पीओएस टर्मिनल्स लगाए गए हैं. इसके हिसाब से  बैंक औसतन 5000 पीओएस टर्मिनल्स हर दिन लगा रहे हैं.
कैशलेस लेनदेन में बढ़ोत्तरी
इससे मोदी सरकार के डिजिटल पेमेंट के अभियान को जरूर बढ़ावा मिला है. एसबीआई रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद से डेबिट और क्रेडिट कार्ड के ट्रांजैक्शन में बढ़ोत्तरी हुई है.  अक्टूबर, 2016 में जहां 51,900 करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन हुए. वही जुलाई 2017 तक 68,500 करोड़ के स्तर पर पहुंच गए हैं. इसके अलावा दिसंबर 2016 में सबसे ज्यादा 89,200 करोड़ रुपये के कैशलेस ट्रांजैक्शन हुए थे.
सिर्फ 900 करोड की हो रही आय 
एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘हमारा अनुमान है कि व्थ्थ्.न्ै ट्रांजैक्शन से  बैंको को 4700 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान उठाना पड़ रहा है. जबकि व्छ.न्ै ट्रांजैक्शन से बैंकों का नेट रेवेन्यू 900 करोड़ रुपये हैं. इस तरह उन्हें सालाना 3800 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
ऐसे काम करती है पेमेंट इंडस्ट्री
एसबीआई रिपोर्ट के मुताबिक पेमेंट कार्ड इंडस्ट्री 4 पार्टी माॅडल पर काम करती है. इसमें एक जारी करने वाला बैंक, प्राप्त करने वाला बैंक, कारोबारी और ग्राहक शामिल होता है. पीओएस पर जब कोई ट्रांजैक्शन के दौरान कार्ड जारी करने वाला और प्राप्त करने वाला एक ही बैंक होता है. इसे  व्छ.न्ै ट्रांजैक्शन कहा जाता है. वहीं, जब जारी करने वाला बैंक अलग और प्राप्त करने वाला अलग होता है, तो ऐसे ट्रांजैक्शन को ‘ व्थ्थ्.न्ैष् कहा जाता है.
ऐसे बैंक उठाते हैं खर्च
पीओएस टर्मिनल्स लगाने के लिए बैंकों को इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगने वाला खर्च उठाना पड़ता है. इसमें पीओएम टर्मिनल लगाना, क्लियरिंग, सेटलमेंट, कारोबारियों को प्रशिक्षण देना, टर्मिनल प्रबंधन करना और इनकी आपूर्ति करने समेत अन्य चीजों में खर्च करना पड़ता है. बैंकों को मर्चेंट डिस्कांउट रेट और महीने के किराये से आय होती है, जो काफी कम रहता है.
टेलिकाॅम स्ट्रक्चर हो बेहतर
एसबीआई रिपोर्ट ने सरकार को टेलिकाॅम स्ट्रक्चर को बेहतर करने का सुझाव दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार अगर अपने डिजिटल पेमेंट्स के एजेंडे को सही दिशा में बढ़ाना चाहती है, तो उसे वित्तीय लेनदेन के लिए बेहतर स्पेक्ट्रम की व्यवस्था करनी चाहिए.

पनामा मामले में भारत में कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. - यशवंत सिन्हा

पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा और मौजूदा वित्तमंत्री अरुण जेटली में स्थिति तू-तू, मैं-मैं की आ गई है. पहले यशवंत सिन्हा ने अर्थव्यवस्था पर सवाल उठाए उसके बाद अरुण जेटली ने पलटवार किया. जेटली ने कहा कि कुछ लोग 80 साल की उम्र में जॉब के लिए अप्लाई कर रहे हैं. अब यशवंत सिन्हा ने जेटली पर फिर से करारा वार किया है.
1. 'अगर मैं नौकरी का आवेदक होता, तो शायद वो (अरुण जेटली) पहले नंबर पर ना होते'.
2. अरुण जेटली मेरी पृष्ठभूमि भूल गए हैं. मैंने राजनीति में दर-दर की ठोकर खाई है. 12 साल की IAS की नौकरी बाकी थी जब राजनीति में आ गए हैं. आडवाणी जी ने कहा था कि कभी पर्सनल अटैक नहीं करना चाहिए.
3. मैं हर सेक्टर पर चर्चा करने को तैयार हूं, हर सेक्टर में गिरावट हो रही है.
4. मैंने राजनीति में आने के कुछ समय के बाद ही अपनी लोकसभा की सीट चुन ली थी. मुझे अपनी लोकसभा की सीट चुनने में 25 साल नहीं लगे हैं. यशवंत बोले कि जिन्होंने लोकसभा की शक्ल नहीं देखी, वो मेरे ऊपर आरोप लगा रहे हैं. मैंने किसी पर पर्सनल अटैक नहीं किया है.
5. मैंने वीपी सिंह की सरकार में मंत्री पद ठुकरा दिया था, लेकिन अरुण जेटली ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में राज्यमंत्री का पद स्वीकार कर लिया. वह लोकसभा में पहुंचे भी नहीं थे.
6. उन्होंने कहा कि कालेधन पर वित्तमंत्री पर देश को गुमराह कर रहे हैं, कालेधन और पनामा पर जेटली गुमराह कर रहे हैं. पनामा मामले में भारत में कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है.
7. मैं और चिदंबरम कभी दोस्त नहीं रहे हैं, बल्कि अरुण जेटली और चिदंबरम दोस्त रहे हैं.
8. हम मुद्दे से भटकने नहीं देंगे, इसलिए पर्सनल आरोप लगा रहे हैं. जो लोकसभा का सदस्य है वही लोगों की बात समझ सकता है, पांव में छाले पड़ेंगे तो ही कुछ समझ आएगा.
9. लोग आज भी मेरे पास जॉब की सर्च में आते हैं, क्या अरुण जेटली के पास लोग आते हैं.
10. उन्होंने कहा कि मैं यूज़लैस मंत्री था, अगर ऐसा था तो मुझे विदेश मंत्री क्यों बनाया गया था?

राष्ट्रीय शहरी विकास नीति की सख्त जरूरत _ मोदी

अंधाधुंध शहरीकरण ने ग्रामीण भारत की जड़ों को हिला कर रख दिया है. 2011 जनगणना की माने तो देश की लगभग 32 फीसदी यानि 37 करोड़ की आबादी शहरी इलाकों में रहने लगी है. विशेषज्ञ बताते हैं कि जनसंख्या ऐसे ही बढ़ती रही तो 2030 तक शहरी आबादी लगभग 60 करोड़ हो जाएगी. अगर आबादी के बढ़ने की रफ्तार ऐसी ही रही तो देश के कुल 85 करोड़ लोग शहरों में रहेंगे. यानि अगले 40 सालों में शहरी आबादी दोगुनी हो जाएगी.
ये बहुत बड़ा बदलाव होगा जिसके बारे में अभी से और गंभीरता से नहीं सोंचा गया तो कोई भी योजना बनाना मुश्किल ही साबित होगा.
शहरी विकास के लिए नहीं है कोई नीति
शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी के मंत्रालय का काम काज संभालते ही जब बैठकों का दौर शुरू हुआ तो पता चला कि आजादी के 70 सालों के बाद भी शहरी विकास के लिए कोई नीति ही नहीं है. सरकारें आकर चली जाती हैं और नीतियां भी उसी रफ्तार से बदलती रहतीं हैं. यानि सब कुछ एड-हॉक सिस्टम पर चलता रहा है.
राष्ट्रीय शहरी विकास नीति की सख्त जरूरत
मंत्रीजी ने आला अधिकारियों के साथ मंथन किया और पाया कि एक राष्ट्रीय शहरी विकास नीति की सख्त जरूरत है. इस बाबत एक समिति बनाने के निर्देश दे दिए गए हैं. इस समिति में अधिकारियों के साथ-साथ विशेषज्ञ भी शामिल होंगे जो पूरे देश के लिए एक शहरी विकास नीति बनाने की रुपरेखा तैयार करेंगे. एक खाका तैयार करने के बाद राज्य सरकारों से भी मशवरा किया जाएगा ताकि इस योजना में सबकी भागीदारी हो.
फिलहाल शहरी विकास में केन्द्र सरकार के चार पाइलट प्रोजेक्ट चल रहे हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं
• अटल मिशन यानि अमृत मिशन- इसके तहत शहरी इलाके के हर घर में पानी, सीवेज, कूडे की रीसाइकलिंग, बरसात के पानी को बचाना और हर साल शहर में एक पार्क बनाना मुख्य योजना है. पूरी योजना के तहत 500 चुने हुए शहरों में 1900 पार्क बनाने की योजना है. अटल मिशन के लिए मोदी सरकार ने पांच साल के लिए एक लाख करोड़ रुपये दिए हैं. इस योजना में 50:50 के अनुपात में राज्यों से पैसे शेयर किए जातें हैं.
• पीएम आवास योजना- 2022 तक शहरों में रह रहे हर व्यक्ति के लिए घर का निर्माण इसका मुख्य उद्देश्य है. कुल 26 लाख घर बनाने की योजना है और इसके लिए एक लाख चालिस हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. अब तक 2 लाख घर बन भी चुके हैं. लेकिन 2022 तक 1 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य है.
• स्वच्छ भारत मिशन- मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. कुल 62 हजार करोड़ खर्च किए जाने हैं जिसमें 15 हजार करोड़ केन्द्र देगा. लक्ष्य है 2अक्टूबर 2019 महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर पूरा देश खुले में शौंच मुक्त हो जाए और क्लीन इंडिया की राह पर चल पड़े.
• स्मार्ट सीटी मिशन- अबतक इस मिशन के तहत 90 से ज्यादा शहरों का चयन हो चुका है. खर्च के लिए कुल 2 लाख करोड़ रुपये आवंटित भी कर दिए गए हैं. चुने गए शहरों में से कोई भी शहर काम शुरू करेगा उसे पांच सालों में काम पूरा करना होगा और पैसे भी मिल जाएंगे.
सूत्र बताते हैं कि अब तक शहरी इलाकों में लोग पानी, बिजली, पार्क और सीवेज जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं. स्थानीय निकायों में न वित्तीय और न ही प्रशासनिक क्षमता होती है कि वो इन मुश्किलों को दूर करने में सफल हो सकें.
योजनाओं का अभाव नहीं है लेकिन अगली सरकार को पसंद नहीं आयीं तो योजना जमीन तक पहुंचते ही दम तोड़ देगी. इसलिए पांच साल की सरकार और पांच साल की योजना से हट कर अब तैयारी करनी है 2050 की जब देश का डेमोग्राफिक प्रोफाईल बदल चुका होगा. इसलिए मोदी सरकार ने तय किया है कि 2011 की जनगणना को आधार बनाते हुए एक एकीकृत राष्ट्रीय शहरी विकास नीति तैयार की जाए. ताकि इस अंधाधुंध शहरीकरण से पैदा होने वाली मुश्किलों से छुटकारा पाने का उपाय पहले ही निकाला जा सके.

गुरुवार, 28 सितंबर 2017

मुख्यमंत्री एवं सद्गुरू ने मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की पुस्तिका का किया विमोचन

जयपुर,। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरू जग्गी वासुदेव ने गुरूवार को सीतापुरा स्थित जेईसीसी के कन्वेंशन हॉल में जयपुर जिले में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान (एमजेएसए) की पुस्तिका का विमोचन किया। यह पुस्तक पंचायतीराज विभाग, जलग्रहण एवं भू-संरक्षण विभाग, जिला परिषद, जयपुर द्वारा तैयार की गई है।

इस अवसर पर ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री  राजेन्द्र राठौड़, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री  अरूण चतुर्वेदी, नदी बेसिन प्राधिकरण के अध्यक्ष  श्रीराम वेदिरे, मुख्य सचिव अशोक जैन, अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन एवं पर्यावरण  निहाल चंद गोयल, अतिरिक्त मुख्य सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज  सुदर्शन सेठी, जिला कलक्टर सिद्धार्थ महाजन, सहित कई अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

यौन शोषण के आरोप में घिरे तरुण तेजपाल का अब कानून से बचना नामुमकिन हो गया है.

तहलका के संस्थापक पत्रकार तरुण तेजपाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में गोवा की अदालत ने आरोप तय कर दिए हैं. कोर्ट के इस फैसले ने तरुण की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अपनी कलम और खुफिया कैमरे के इस्तेमाल से तरुण ने पूरे देश में तहलका मचाया. बड़े-बड़े खुलासे कर सत्ता के गलियारों में सनसनी फैलाई. उनकी ऐसी पहचान बनी कि लोग आंख मूंदकर उन पर भरोसा करने लगे. लेकिन बरसों की कमाई, नाम और शोहरत को बस एक कदम ने बर्बाद कर दिया. अपनी ही टीम की महिला पत्रकार के साथ यौन शोषण के आरोप में घिरे तरुण तेजपाल का अब कानून से बचना नामुमकिन हो गया है.
7 नवंबर, 2013, शनिवार को गोवा के एक फाइव स्टार होटल में तहलका का थिंक फेस्ट चल रहा था. तहलका के एडिटर इन चीफ और जाने-माने पत्रकार तरुण तेजपाल समेत दुनिया के कई मशहूर चेहरे इस फेस्ट का हिस्सा थे. और इन्हीं नामचीन चेहरों के बीच एक चेहरा उस गुमनाम लड़की का भी था, जो आई तो थी इस फेस्ट में अपनी ड्यूटी निभाने, लेकिन इससे पहले की वो अपना फर्ज अदा कर यहां से लौटती, वो खुद अपने ही बॉस तरुण तेजपाल के नापाक इरादों का शिकार बन गई.
लड़की की मानें तो तेजपाल ने उसके साथ एक नहीं, बल्कि दो-दो बार ज्यादती की और मुंह खोलने पर बुरे अंजाम की धमकी भी दी. तहलका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी से की गई शिकायत के बाद जब इस लड़की ने गोवा पुलिस को अपने साथ बीती पूरी कहानी बताई, तो सुनने वाले बस सुनते ही रह गए. क्योंकि ये तेजपाल का वो चेहरा था, जो अब तक किसी ने नहीं देखा था.
गोवा पुलिस को दिए लड़की के बयान के मुताबिक, उस रात जब वह एक गेस्ट को उसके कमरे तक छोड़ कर वापस लौट रही थी, तो इसी होटल के ब्लॉक 7 के एक लिफ्ट के सामने उसे उसके बॉस तरुण तेजपाल मिल गए. तेजपाल ने गेस्ट को दोबारा जगाने की बात कह अचानक उसे वापस उसी लिफ्ट के अंदर खींच लिया, लेकिन अभी ये लड़की कुछ समझ पाती कि इसी बीच तेजपाल ने लिफ्ट के बटन कुछ ऐसे दबाने शुरू किए, जिससे ना तो लिफ्ट कहीं रुके और ना ही दरवाजा खुले.
और तब तेजपाल ने इसी बंद लिफ्ट में जो कुछ किया, जब उसके राज खुले तो अक्सर अपने स्टिंग ऑपरेशन और खुलासों की बदौलत सियासी हलकों में तहलका मचाने वाले तरुण तेजपाल की जिंदगी में ही तहलका मच गया.
तेजपाल की बेटी की अच्छी दोस्त है पीड़िता
गोवा पुलिस को दिए गए बयान में पीड़ित लड़की ने बताया कि तरुण तेजपाल ने तब लिफ्ट में ही उससे छेड़छाड़ शुरू कर दी. तेजपाल की ये हरकत उसके लिए जितना बड़ा झटका था, कहीं उससे भी बड़ा सदमा, क्योंकि अब तक वो तेजपाल को अपने पिता का दोस्त मानती रही थी और खुद तेजपाल की बेटी उसकी अच्छी दोस्त है.
पीड़ित लड़की के मुताबिक जब तेजपाल उसके साथ बंद लिफ्ट में ज्यादती कर रहे थे, वो इन रिश्तों की दुहाई दे रही थी. और तो और उसने तेजपाल को उनकी बेटी से अपनी दोस्ती की याद दिलाई, लेकिन तेजपाल के सिर पर जैसे कोई भूत सवार था. हालत ये हो गई कि जब थोड़ी देर बाद लिफ्ट रुकी, तो वो किसी तरह अपने कपड़े संभालकर लिफ्ट से निकल भागी, लेकिन ये इस लड़की की परेशानियों का अंत नहीं था.
दूसरी बार भी लिफ्ट में ही की थी छेड़खानी
उस रात तो इस लड़की ने अपने फोन पर अपने ब्वॉयफ्रैंड के अलावा दोस्तों को इस वाकये के बारे में बताया, लेकिन अगले दिन मौका मिलते ही फिर से उसी होटल की एक लिफ्ट में तेजपाल ने उसके साथ वही हरकत दोहराई और अब उसके लिए ये सबकुछ बर्दाश्त से बाहर हो चुका था. और इसी के बाद इस लड़की ने अपनी बेस्ट फ्रैंड और तेजपाल की बेटी को उसके पिता की पूरी करतूत बयान कर दी. लेकिन जानते हैं, तब तेजपाल की बेटी ने क्या जवाब दिया, लड़की की मानें तो उसने कहा कि उसने पहले भी अपने पिता को तब एक दूसरी औरत के साथ ऐसा करते देखा था, जब उसकी उम्र सिर्फ़ 13 साल की थी.
यौन शोषण को लेकर अब तक सिर्फ़ बातें हो रही थीं. इल्ज़ाम लग रहे थे, इल्ज़ामों का जवाब ढूंढ़ा जा रहा था. लेकिन अब जो कुछ हुआ वो यकीनन तरुण तेजपाल पर भारी पड़ने वाला है. एक तरफ़ दिल्ली हाई कोर्ट ने तेजपाल की अग्रिम ज़मानत की अर्ज़ी पर फ़ैसला 29 नवंबर तक सुरक्षित रखा है, वहीं दूसरी तरफ पीड़ित लड़की ने गोवा में मजिस्ट्रेट के सामने तेजपाल की करतूतों का कच्चा-चिट्ठा खोल कर रख दिया है.
गोवा पुलिस के सामने औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के बाद पीड़ित लड़की ने गोवा जाकर मजिस्ट्रेट के सामने भी बयान दर्ज करा दिया. यौन शोषण और बलात्कार के आरोप में तरुण तेजपाल की गिरफ्तारी का काउंटडाउन शुरू हो चुका है.
ड़ित लड़की की शिकायत पर गोवा पुलिस तरुण तेजपाल को पहले ही पणजी के डोना पॉला थाने में हाजिरी लगाने का समन जारी कर चुकी है. मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने के बाद अब गिरफ्तारी का वारंट कभी भी जारी हो सकता है. मजिस्ट्रेट को दिए 22 पेज के बयान में लड़की ने पूरे तफ्सील से बताया है.
क्या-क्या हुआ, लड़की ने दिया था ब्योरा
7 और 8 नवंबर की रात थिंक फेस्ट में उसके साथ क्या-क्या हुआ, अपने बयान में लड़की ने साफ किया है कि जो भी हुआ उसकी मर्जी के खिलाफ हुआ. तेजपाल की तरफ से सहमति की बात उठाने से उसकी मानहानि हो रही है. उसने थिंक फेस्ट में मौजूद तहलका के सहकर्मियों से बातचीत का ब्योरा भी दिया है. इसके अलावा तेजपाल को भेजे एसएमस और ईमेल की कॉपी भी जमा की है.
बयान में लड़की ने ये भी कहा है कि मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी ने उसकी कोई मदद नहीं की. बल्कि तेजपाल के रिश्तेदारों की तरफ से उस पर पुलिस में बयान नहीं देने का दबाव भी बनाया गया.
बीजेपी सरकार पर लगाया था आरोप
गोवा पुलिस के मुताबिक, लड़की की शिकायत और मजिस्ट्रेट को दिया बयान घटना के बाद तहलका प्रबंधन को भेजे ई-मेल से मैच करते हैं. तेजपाल इस घटना को लेकर भले ही अपने बयान बदलते रहे, लेकिन पीड़ित लड़की अपने बयान पर अडिग है.
गोवा पुलिस अपनी तरफ से शुरुआती तफ्तीश और तेजपाल पर कानूनी शिकंजा कसने की पूरी कर चुकी है. लेकिन इसे लेकर तेजपाल और उनके करीबियों का कहना है कि उन्हें फंसाया जा रहा है और इसे गोवा की बीजेपी सरकार उकसा रही है. लेकिन गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने उन आरोपों को सिरे से खारिज किया.
हालांकि मुख्यमंत्री गिरफ्तारी के सवाल पर जवाब टाल गए. ये कहते हुए कि ये पुलिस का मामला है और इसे उन पर ही छोड़ देना बेहतर है. कार्रवाई शुरू हो चुकी है. तेजपाल के गोवा पुलिस के सामने हाजिर होने का समन भी जारी हो चुका है. पुलिस का कहना है, कि तेजपाल अगर समन की अनदेखी करते हैं, तो उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा.
तेजपाल आहिस्ता-आहिस्ता क़ानून के जाल में ऐसे फंस रहे हैं कि आने वाले वक्त में खुली हवा में सांस लेना उनके लिए ख्वाब साबित हो सकता है. दिल्ली हाई कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली और दूसरी तरफ गोवा पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए समन भेजकर उसी गोवा में हाज़िर होने को कहा है जिस गोवा से इस स्कैंडल की शुरूआत हुई थी.
इस पूरे मामले की जांच गोवा पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही है. तेजपाल के खिलाफ यौन शोषण का मामला आने के बाद गोवा पुलिस ने ही बलात्कार का मामला दर्ज किया था. इसके बाद गोवा पुलिस तेजपाल से पूछताछ के लिए उनके दिल्ली स्थित घर भी आई, लेकिन कोई पूछताछ नहीं हुई. इस बीच गोवा सरकार के रुख से साफ है कि वो मामले को ऐसे ही नहीं छोड़ने वाली है.
पैसा भी खूब कमाया
रुण तेजपाल ने पत्रकारिता को एक नई पहचान दी. स्टिंग ऑपरेशन के ज़रिए बड़े-बड़े खुलासे किए. लेकिन पत्रकारिता के ऊंचे पायदानों पर चढ़ने के साथ ही उन्होंने अपना कारोबार भी तेज़ी से फैलाया. करोड़ों के मालिक तेजपाल अब क्लब और रिसॉर्ट के धंधे में भी पांव पसार रहे थे, लेकिन अचानक ही उनके सितारे गर्दिश में पहुंच गए.
खबरें परोसने वाले शख्स के खुद खबरों में आने के बाद अब हर किसी की नजरें तेजपाल की संपत्ति के ढेर की ओर भी मुड़ चुकी हैं क्योंकि ये बात भी सामने आ रही है कि उन्होंने तहलका में रहते हुए अच्छा-खासा कारोबारी साम्राज्य खड़ा कर दिया है.
आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक, अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड तहलका का प्रकाशन करती है. इस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में रॉयल बिल्डिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड की हिस्सेदारी 66.75 फीसदी है जिसके मालिक हैं के डी सिंह. इसमें तरुण तेजपाल का हिस्सा है 19.25 और तेजपाल परिवार के बाकी सदस्यों की हिस्सेदारी है 2.56 फीसदी. बाकी 11.44 फीसदी पर दूसरे लोगों का हक है.
2012-13 में रॉयल बिल्डिंग ने अनंत मीडिया में 35 करोड़ 52 लाख का निवेश किया और तरुण तेजपाल को 4 करोड़ 64 लाख रुपए नॉन कंपीटिंग फी के रूप में दिए गए. तेजपाल थिंकवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हैं, जिसमें उनकी हिस्सेदारी 80 फीसदी है. 10 फीसदी की मालकिन उनकी बहन नीना तेजपाल हैं और बाकी बचे 10 फीसदी पर तहलका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी का हक है. इस कंपनी को 2013 में अब तक 1 करोड़ 99 लाख की शुद्ध कमाई हो चुकी है.
दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में क्लब का निर्माण
इसके अलावा दिल्ली के ग्रेटर कैलाश पार्ट 2 में तरुण तेजपाल की कंपनी की ओर से एक क्लब प्रूफरॉक के निर्माण में शराब कारोबार के बड़े व्यापारी रहे पॉन्टी चड्ढा की कंपनी की भी करोड़ों में हिस्सेदारी है.
दिल्ली ही नहीं, उत्तराखंड के नैनीताल जिले के गेठिया में भी तरुण तेजपाल का 7 कमरों वाला टू चिमनी नाम का बड़ा व्यवसायिक रिसॉर्ट है. लेकिन जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक इस रिसॉर्ट के लिए किसी भी तरह का लाइसेंस नहीं लिया गया है. सूत्रों की मानें तो तेजपाल दंपति ने नैनिताल जिले में कोटाबाग और धारी में भी जमीन खरीदी है. कहा जा रहा है कि गेठिया में ही तेजपाल दंपती के पास 4560 गज जमीन है जबकि राज्य के बाहर के लोगों को उत्तराखंड में सिर्फ 250 गज जमीन खरीदने की ही इजाजत है.

राजगीर के कन्वेंशन हॉल में 5 को लोजपा महासम्मेलन

नालंदा। राजगीर के कन्वेंशन हॉल में 5 को होने वाले लोजपा महासम्मेलन को यादगार बनाने के लिए पार्टी के कार्यकर्ता जुट चुके हैं। इसके लिए लगातार सभाएं भी आयोजित की जा रही है ताकि कार्यकर्ताओं को उनके दायित्व का बोध कराया जा सके। इसी को लेकर लोजपा के जिला कार्यालय में एक बैठक आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता पार्टी के जिलाध्यक्ष राजू पासवान एवं जिला प्रवक्ता रामकेश्वर प्रसाद ने की। उन्होंने कहा कि लोजपा के इस महासम्मेलन को यादगार बनाने के लिए कार्यकर्ता जुट चुके हैं। हर जगह तोरण द्वार तथा पताके, होर्डिंग लगाए जा रहे हैं। आने वाले अतिथियों के विश्राम तथा भोजन की भी व्यवस्था कराई जा रही है । उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान तथा सांसद चिराग पासवान एवं पशुपति पारस के
भाषण का लाभ कार्यकर्ता उठा पाएंगे। उनके भाषण से कार्यकर्ताओं के बीच उर्जा का संचार करेगा जो अगामी चुनाव के लिए फायदेमंद साबित होगा।

पत्रकार दिखें तो मरवा दो..

बीजापुर,  छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जान जोखिम में डालकर खबरें जुटाने वाले पत्रकारों के लिए वायरलेस सेट पर डेथ वारंट जारी हुआ है। नई दुनिया के हाथ 41 सेकंड का एक ऑडियो हाथ लगा है, जिसमें एक अधिकारी अपने मातहतों को आदेश दे रहा है कि पत्रकार दिखें तो मरवा दो।
चूंकि क्षेत्र में वायरलेस सेट का इस्तेमाल सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन व पुलिस करती है, लिहाजा पत्रकार मामले की जांच की मांग को लेकर गुरुवार को कमिश्नर कार्यालय के सामने 2 घंटे धरना देंगे। फिर सीएम के नाम ज्ञापन सौंपेंगे।
बीजापुर से नई दुनिया टीम के साथ दक्षिण बस्तर के 5 पत्रकारों का दल तेलंगाना की सीमा से लगे पुजारी कांकेर स्थित पांडव पर्वत की स्टोरी करने गया था। 27 जुलाई को तेज बारिश के चलते दल 29 जुलाई को लौट आया था। पत्रकारों का दल जब रवाना हुआ, उसी दौरान वायरलेस सेट में एक संदेश प्रसारित होने की सूचना मिली थी।
प्रसारित संदेश का हिस्सा
वॉइस-1 अधिकारी - वो नक्सली तो नहीं हैं? इधर कोई घटना-वटना करने आया हो. देख लो कौन है? क्या है? तस्दीक कर लो, उसके बाद सब लिखा-पढ़ी बन जाती है.. देख लेना.. समझे। और उधर सब संभाले रहना.. सब छोटी-बड़ी फोर्स इधर-उधर पर है.. हाई अलर्ट रहना और उधर से कोई पत्रकार..जो है.. मतलब जो नक्सलियों को कवर करने जाएगा.. उसको सीधा मरवा देना.. समझ गए।
वॉइस-2 मातहत - रॉजर सर.. रॉजर सर.. वो कल एक.. ठीक है.. ओके।
जांच हो, दोषी को मिले सजा ऑडियो सही है तो मैं इसकी घोर निंदा करता हूं। हालांकि अभी यह नहीं कह सकते कि ऑडियो में जो आवाज है, वह सीआरपीएफ की है या जिला पुलिस अथवा कोबरा बटालियन की। मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। दोषषी जो भी हो, सजा मिलनी चाहिए। मैं पत्रकारों को पूरा सहयोग करने को तैयार हूं।
आलोक अवस्थी, डीआईजी सीआरपीएफ

भाजपा के सभी नेता बार बार दोहराते हैं कि यह सरकार गरीब कल्याण के लिए समर्पित है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के चार करोड़ घरों में डेढ़ साल से कम समय में बिजली पहुंचाने की घोषणा की है। उन्होंने गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों को मुफ्त गैस कनेक्शन देने की अपनी सरकार की उज्ज्वला योजना का एक तरह से विस्तार किया है। उसी योजना की तरह गरीबों के घर में मुफ्त बिजली का कनेक्शन पहुंचाया जाएगा और बाकी लोगों के घरों में भी बहुत कम पैसे लेकर बिजली पहुंचाई जाएगी। बिजली पहुंचाने की योजना 16 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा होगी। इस योजना को लांच करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अपना यह संकल्प भी दोहराया कि उनकी सरकार गरीब कल्याण के लिए समर्पित है।
प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के मंत्री व भाजपा के सभी नेता यह बात बार बार दोहराते हैं कि यह सरकार गरीब कल्याण के लिए समर्पित है। हालांकि ऐसा नहीं है कि सरकार की शुरुआत इस एजेंडे के साथ हुई थी। केंद्र में मोदी की सरकार आने के बाद विपक्ष ने और खास कर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सूट बूट की सरकार का जो आरोप लगाया, उसके बाद सरकार की नीतियां बदलीं।
प्रधानंमत्री मोदी ने समाजवादी और साम्यवादी आर्थिकी के कुछ पन्ने उधार लेकर उन पर अमल शुरू कर दिया। यूपीए की विफलता का स्मारक बताते बताते मोदी की सरकार ने मनरेगा में फंडिंग बढ़ा दी। सस्ते अनाज की योजना को जारी रखा और उज्ज्वला योजना के तहत गरीबों को मुफ्त में रसोई गैस का कनेक्शन बांटा। नोटबंदी भी इसी योजना का हिस्सा थी और जीएसटी भी इसी का हिस्सा है। राजस्व की चोरी रोकना या रोकने का प्रयास करने का मैसेज देना गरीब कल्याण की राजनीति का ही हिस्सा है।
उज्ज्वला और सौभाग्य योजना
उज्ज्वला और सौभाग्य ये दो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे लोक लुभावन योजना है। उज्ज्वला योजना के तहत अब तक दो करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन मिली है। अगले डेढ़ साल में इसी तरह चार करोड़ घरों में बिजली कनेक्शन देने का फैसला हुआ है। इसके आगे क्या सरकार गरीबों के घरों में गैस की सस्ती रिफीलिंग कराएगी और सस्ती बिजली देगी?
ऐसा कई जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में या चुनाव की घोषणा से ठीक पहले इसका ऐलान हो सकता है। आखिर सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ा कर जो पैसा इकट्ठा किया है, वह सामाजिक विकास की योजनाओं पर ही तो खर्च होना है।
सो, यह संभव है कि उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन और सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन लेने वालों को आधे दाम पर गैस और बिजली मिले। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले सभी परिवार इसके दायरे में आ सकते हैं। देश की आर्थिक संकट में आती दिख रही है। लगातार कई तिमाहियों से विकास दर कम हो रही है, निर्यात का आंकड़ा नकारात्मक हो रहा है, निवेश नहीं आ रहा है और वित्तीय घाटा भी बढ़ रहा है। इसे ठीक करने के लिए कहा जा रहा है कि सरकार घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देने जा रही है। लेकिन इसके बावजूद लोक लुभावन घोषणाओं पर अमल होगा। क्योंकि यह माना जाता है कि आर्थिकी संभालना और वोट हासिल करना ये दोनों अलग अलग चीजें हैं।
तभी कहा जा रहा है कि आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने और सख्त फैसले की बात करते करते मोदी सरकार भी लोक भावन घोषणाओं की ओर मुड़ गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बिजली पहुंचाने की सौभाग्य योजना का ऐलान किया तो कम से कम दो राज्य सरकारों ने आगे बढ़ कर इसका श्रेय लिया। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने कहा कि मोदी अब अरविंद केजरीवाल की तरह राजनीति करने लगे हैं। सबसे पहले केजरीवाल ने गरीबों के लिए बिजली की दर आधी की थी। उधर नीतीश कुमार की पार्टी के एक नेता ने दावा किया कि सौभाग्य योजना बिहार सरकार के हर घर को बिजली पहुंचाने की योजना के तर्ज पर शुरू हुआ है।

बुधवार, 27 सितंबर 2017

पान-मसाला बेचने वाली दुकानों पर नहीं बिकेंगे चिप्स और बिस्कुट

लोगों के लिए इससे ज्यादा राहत की बात और क्या हो सकती है कि अब पान-मसाले की बिक्री करने वाली दुकानों पर चिप्स और बिस्कुट की बिक्री नहीं की जा सकेगी। सरकार के नए आदेश के मुताबिक इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह उन अभिभावकों के लिए एक अच्छी खबर है जिनके बच्चे चिप्स और बिस्कुट खरीदने के लिए अक्सर इन दुकानों पर जाया करते थे।
आर्थिक सलाहकार की ओर से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में भेजे गए पत्र में अरुण कुमार झा ने कहा, “तंबाकू उत्पादों के विनियमन को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। इसके लिए एक ऐसी प्रणाली विकसित करनी होगी जो दुकानों को तंबाकू उत्पाद की बिक्री के लिए अनुमति या नगर प्राधिकरण की ओर से ऑथोराइजेशन उपलब्ध करा सके।
साथ ही इसमें एक प्रावधान जोड़ने की जरूरत है जिसके अनुसार तंबाकू उत्पाद बेचने वाली दुकानें कोई भी गैर तंबाकू उत्पाद जैसे कि टॉफी, कैंडी, चिप्स, बिस्कुट, सॉफ्ट ड्रिंक आदि नहीं बेच सकते। यह सब चीजें मुख्य तौर पर बच्चों के लिए लक्षित होती हैं।

केंद्र सरकार ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद एक्ट 2003 (सीओटीपीए) अधिनियमित किया है। इससे बच्चों और युवाओं को तंबाकू के सेवन के आदी होने से बचाया जा सकेगा। साथ ही इसका उदेश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार लाना भी है। हालांकि, संस्थानों के लिए इसकी निगरानी करना थोड़ा मुश्किल है। शैक्षिक संस्थानों के आसपास चॉकलेट और चिप्स की दुकानें होती हैं, लेकिन इन चीजों के साथ साथ सिगरेट और तंबाकू भी बेचा जाता है।

मंगलवार, 26 सितंबर 2017

बिहार में अपराधी मस्त और पुलिस पस्त होता दिख रहा है

पूर्वी चंपारण। बिहार में अपराधी मस्त और पुलिस पस्त होता दिख रहा है। कानून व्यवस्था दिनों-दिन लचर हो गयी है। बिहार में एक बार फिर अपराध का ग्राफ बढ़ गया है। अपराधियों ने ढाका के राजद विधायक फैसल रहमान को एक बार फिर कॉल कर बीस लाख की रंगदारी की मांग की है। रंगदारी की रकम जल्द से जल्द देने की बात कही है, अन्यथा अंजाम भुगतने की धमकी दी है। फोन पर अपराधियों ने कहा है कि पहले भी रुपये मांगे थे जो अभी तक नहीं पहुंची। इस बार जिस नंबर से रंगदारी मांगी गई है, वह नेपाली नंबर है। विधायक रहमान इन दिनों पटना में है। रंगदारी मांगे जाने की सूचना पटना एसएसपी, मोतिहारी एसपी और सिकरहना एएसपी को देते हुए सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने बताया कि इससे परिजन काफी डरे हुए हैं। कुछ दिनों पहले 12 सितंबर को भी ढाका विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी विधायक फैसल रहमान के मोबाइल फोन पर किसी अज्ञात व्यक्ति ने फोन करके 20 लाख रुपये की रंगदारी की मांग की थी। आरजेडी विधायक का आरोप है कि रंगदारी नहीं देने पर उन्हें अंजाम भुगतने की धमकी भी दी गई। उन्होंने कहा कि प्रशासन इस मामलें को गंभीरता से नहीं ले रही है। सिकरहना के अपर पुलिस अधीक्षक बमबम चौधरी ने बताया कि विधायक की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद कार्रवाई शुरू कर दी है। एएसपी का दावा है कि रंगदारी मांगने वालों को जल्द से जल्द गिरफ्ता किया जाएगा।

बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद शराब की तस्करी का सिलसिला जहां जारी है

पटना। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद शराब की तस्करी का सिलसिला जहां जारी है वहीं अवैध शराब के कारोबार में संलग्न लोगों की गिरफ्तारी के लिए जारी अभियान में पुलिस ने प्रदेश के विभिन्न जिलों से आज चालीस लाख रुपए मूल्य से अधिक की 630 कार्टन विदेशी शराब जब्त कर आठ तस्करों को गिरफ्तार किया है। हाजीपुर से यहां प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, वैशाली जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों से 550 कार्टन विदेशी शराब बरामद की गई है।
सूचना के आधार पर पुलिस ने जिले के बेलसर थाना क्षेत्र के बीबीपुर गांव स्थित एक पाल्ट्री फार्म पर छापेमारी कर 400 कार्टन विदेशी शराब जब्त की है। वहीं, जिले के गंगा ब्रिज थाना क्षेत्र के दीवान टोक गांव के समीप एक कंटेनर की तलाशी के दौरान उसमें छुपा कर रख गए 130 कार्टन शराब बरामद की गई है। इधर महनार थाना क्षेत्र के इस्हाकपुरटेक गांव के समीप स्कार्पियो गाड़ी से 20 कार्टन अंग्रेजी शराब पुलिस ने जब्त किया है।
इस सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनसे पूछताछ की जा रही है। बेगूसराय से प्राप्त समाचार के अनुसार, जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बंदुआर ढ़ाला के निकट से पुलिस ने आज छह तस्करों को गिरफ्तार कर 80 कार्टन विदेशी शराब बरामद किया है। इस दौरान मौके पर से छह तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। तस्करों के पास से एक लाख 51 हजार रुपए और दो मोटरसाइकिल भी जप्त किया गया है।