मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020

कौन सबकों आपस में लड़वा रहा है?

 


इस समय देश में एक अजीबोगरीब स्थिति है। सब आपस में लड़ रहे हैं। जिनके बीच कभी ऐसा भाईचारा होता था, जिसकी मिसाल दी जाती थी वे भी लड़ रहे हैं। फिल्म बिरादरी के लोग आपसी भाईचारा भूल कर आपस में लड़ रहे हैं। पत्रकार आपसी सद्भाव ताक पर रख कर एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। न्यायपालिका के शीर्ष स्तर पर आपसी लड़ाई की जैसी मिसाल अभी देखने को मिली है वह समूचे इतिहास में नहीं है। देश की शीर्ष एजेंसी सीबीआई के अधिकारियों की आपसी लड़ाई भी पहले देखने को नहीं मिली थी। क्या नेता, क्या उद्योगपति और क्या साधु-संत सबने आपस में ही मोर्चा खोला है।


भारत में फिल्म बिरादरी के भाईचारे की मिसाल दी जाती थी। पूरा बॉलीवुड एक क्लोज सोसायटी की तरह था, जिसकी खबरें कभी बाहर नहीं आती थीं। फिल्मी गॉसिप भी उतने ही सुनाई देते थे, जितने हीरो-हीरोइन चाहते थे। पर इस समय पूरा फिल्म उद्योग खेमे में बंट गया है। सब एक-दूसरे के खिलाफ खबरें लीक कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं। धर्म और क्षेत्रीयता के आधार पर फिल्म उद्योग को बांटा जा रहा है। मौजूदा सत्ता प्रतिष्ठान से वरदहस्त प्राप्त कुछ हीरो-हीरोइन कथित तौर पर फिल्म उद्योग को इस्लामीकरण से बचाना चाहते हैं और दुबई कनेक्शन खत्म करना चाहते हैं। इस चक्कर में उन्होंने फिल्म उद्योग की जड़ में ही मट्ठा डाल दिया है।


इसी तरह पत्रकार बिरादरी खासतौर से न्यूज चैनलों का मामला है।


हाल के दिनों तक चैनलों के बीच टीआरपी की प्रतिस्पर्धा के बावजूद खूब सद्भाव रहता था। सब एक जैसी खबरें दिखाते थे और फील्ड में उनके रिपोर्टर एक दूसरे से वीडियो फुटेज ट्रांसफर करके अपना काम चलाते थे। लेकिन अब फील्ड में पत्रकारों के बीच मारपीट हो रही है और स्टूडियो में बैठ कर गाली-गलौज हो रही है। सत्ता प्रतिष्ठान से वरदहस्त प्राप्त एक पत्रकार ने बाकी सारे चैनलों के पत्रकारों को ‘चाय-बिस्कुट’ वाला पत्रकार बता रहा है। यह पहली बार हो रहा है कि किसी पत्रकार को पुलिस या कोई एजेंसी समन भेज रही है तो दूसरे चैनल उसका विरोध करने की बजाय उसका स्वागत कर रहे हैं और पुलिस को नए सबूत मुहैया करा रहे हैं।


देश की प्रीमियम जांच एजेंसी सीबीआई का झगड़ा पूरे देश ने देखा था। कैसे एजेंसी के प्रमुख और नंबर दो अधिकारी के बीच विवाद हुआ। एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए और आधी रात को तख्तापलट के बाद एजेंसी के प्रमुख को हटा कर नया सिस्टम बनाया गया। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के बाद चार सबसे वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस करके चीफ जस्टिस पर कई किस्म के आरोप लगाए। एक खास जज को सारे संवेदनशील मामले दिए जाने का विरोध किया। प्रेस कांफ्रेंस करने वाले सारे जज रिटायर हो गए हैं परंतु सर्वोच्च न्यायपालिका के जजों में जो ऐतिहासिक भाईचारा था, वह अब पहले की तरह नहीं रहा। इस लिहाज से यह एक विचित्र समय है, जिसमें सब एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। कोई तो है, जो सबको लड़ा कर अपना उल्लू सीधा कर रहा है?


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