भारत में अनेक किस्म की प्रचलित हिप्पोक्रेसी में से एक यह भी है कि अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिए। न ब्रूयात सत्यं अप्रियम! परंतु राहुल गांधी लगता है इस बारे में नहीं जानते हैं। इसलिए लगातार ऐसे सत्य बोल रहे हैं, जो अप्रिय है। उनके अप्रिय सत्य ने सत्ता पक्ष को इतना आहत कर दिया है कि उसके एक प्रमुख प्रवक्ता ने संकल्प किया है की वह अब उनको राहुल गांधी नहीं राहुल लाहौरी कहेगा। उसी प्रमुख प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन घोषित होने के बाद संकल्प किया था कि कुछ भी हो जाए, घर से नहीं निकलेंगे, इसके बावजूद महोदय को कोरोना हो गया था। बहरहाल, अब उनका नया संकल्प है कि वे राहुल गांधी को राहुल लाहौरी बुलाएंगे। बात बात में पाकिस्तान और चीन चले जाने वाले अपने खुद के शीर्ष नेताओं को वे क्या बुलाएंगे, यह उन्होंने नहीं बताया है!
असल में राहुल गांधी बात-बात में भारत की तुलना पाकिस्तान या बांग्लादेश से कर दे रहे हैं। इसमें भी उनका कसूर नहीं है। तुलना तो अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां कर रही हैं, वे बस उस बात को ज्यादा लोगों तक पहुंचा दे रहे हैं। यह बात बुरी लग जा रही है। यह सचाई कबूल करने की हिम्मत नहीं है कि हम विकास के कई मानकों पर पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल जैसे देशों से पिछड़ रहे हैं। सो, उस सचाई को छोड़ कर सच बोलने वाले के पीछे लट्ठ लेकर पड़ जाना है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में बांग्लादेश हमसे आगे चला गया। कम से कम इस वित्त वर्ष में तो वह भारत से आगे रहने वाला है। अगले साल जरूर भारत के आगे निकल जाने का अनुमान है। लेकिन अगर एक साल के लिए ही बांग्लादेश भारत से आगे निकलता है तो क्या भारत के लिए चिंता और शर्म की बात नहीं होनी चाहिए? अर्थव्यवस्था के हर पैमाने पर बांग्लादेश भारत से बेहतर कर रहा है। कोरोना वायरस के संकट की वजह से चीन दुनिया के निशाने पर आया तो भारत में यह डंका पीटा गया कि सैकड़ों की संख्या में कंपनियां चीन से अपने कारोबार बंद कर रही हैं और भारत आ रही हैं। हकीकत यह है कि अभी तक एक भी कंपनी चीन से उठ कर भारत नहीं आई है। लेकिन प्रधानमंत्री के दोस्त शिंजो आबे के जापान का प्रधानमंत्री रहते रहते ही जापान की आधा दर्जन से ज्यादा कंपनियां अपना कारखाना लगाने बांग्लादेश पहुंच गईं, जिनमें ऑटोमोबाइल सेक्टर की विशाल कंपनी होंडा भी शामिल है। दुर्भाग्य से हम भारतीयों को इस बात का बुरा नहीं लगता है कि बांग्लादेश हमसे आगे निकल रहा है, बल्कि इस बात का बुरा लगता है कि राहुल गांधी उसके साथ हमारी तुलना क्यों कर रहे हैं!
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने ही बताया है कि कोरोना वायरस की महामारी को दक्षिण एशिया के लगभग सभी देशों ने भारत से बेहतर हैंडल किया है। वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक जारी करते हुए आईएमएफ ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर माइनस 10.30 फीसदी रहेगी। भारत के मुकाबले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान तीनों जगह अर्थव्यवस्था बेहतर रहेगी। भारत के अलावा तीन देशों- अफगानिस्तान, पाकिस्तान और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था माइनस में रहेगी फिर भी भारत से बेहतर रहेगी। अफगानिस्तान में माइनस पांच फीसदी, श्रीलंका में माइनस 4.60 फीसदी और पाकिस्तान में महज 0.40 फीसदी माइनस में जाएगी अर्थव्यवस्था। बांग्लादेश में 3.90 फीसदी और नेपाल में 2.50 फीसदी सकारात्मक विकास दर रहेगी। राहुल गांधी ने कोरोना और अर्थव्यवस्था संभालने के मामले में भी पाकिस्तान और बांग्लादेश को बेहतर बता दिया तो वे लाहौरी हो गए!
ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने भारत में भूख और कुपोषण की सचाई जाहिर की है। दुनिया के 107 विकासशील व गरीब देशों के इस सूचकांक में भारत 94वें स्थान पर है। इसके मुताबिक भारत में करीब 20 करोड़ लोग भरपेट भोजन और पोषण से महरूम हैं। इस सूचकांक में पाकिस्तान हमसे छह स्थान बेहतर है। बाकी बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार आदि की स्थिति और ज्यादा बेहतर है। इस मामले में भी राहुल गांधी का भारत की तुलना बांग्लादेश और पाकिस्तान से करना लोगों को पसंद नहीं आ रहा है। अब सवाल है कि प्रति व्यक्ति जीडीपी का आंकड़ा राहुल गांधी नहीं तैयार कर रहे हैं। उन्होंने आईएमएफ की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट भी तैयार नहीं की है और ग्लोबल हंगर इंडेक्स भी उनका तैयार किया हुआ नहीं है। उन्होंने तो सिर्फ इनकी रिपोर्ट को एक दृष्टि के साथ पेश किया। यहां तो बिना किसी तथ्य और समझदारी के दिन भर टेलीविजन चैनल बताते हैं कि चीन के पास राफेल विमान नहीं है इसलिए वह हमसे कमजोर है। ऐसी बातों से देश के लोग देश सामरिक ताकत के बारे में नजरिया बनाते हैं! यानी अच्छा-अच्छा झूठ बोलें, वह अच्छी बात है!
बहरहाल, यह एक पूर्ण सत्य है कि कोरोना महामारी से लड़ने की बात हो या महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था संभालने की बात हो या भूख व गरीबी को हैंडल करने की बात हो, बांग्लादेश ने हमसे बेहतर काम किया है। कुछ मामलों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने भी भारत के मुकाबले अच्छा काम किया है। ये तीनों मुस्लिम देश हैं। क्या सिर्फ इस वजह से भारत में यह सत्य नहीं बताया जाना चाहिए? पाकिस्तान के साथ तुलना भारत में लोगों की सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काती या आहत करती है, इस चिंता में राहुल गांधी को चुप रह जाना चाहिए या यह झूठ बोलना चाहिए कि हम सबसे बेहतर हैं और विश्व गुरू होने वाले हैं?
यह सही है कि बार बार पाकिस्तान के साथ तुलना करके भारत को कमतर बताना राजनीतिक रूप से राहुल गांधी और कांग्रेस को फायदा नहीं पहुंचाएगा लेकिन इस डर से क्या सच नहीं कहा जाएगा? मुंशी प्रेमचंद की कहानी पंच परमेश्वर का एक संवाद है कि ‘क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं करोगे’? वहीं बात राहुल के लिए कही जा सकती है। क्या राजनीतिक नुकसान के डर से सत्य नहीं बताएंगे? याद रखें देश के लोग सच सुनने को तैयार होंगे तभी स्थितियां बदलेंगी। जब तक इस झूठ में डूबे रहेंगे कि हम जल्दी ही दुनिया की पांचवी, चौथी या तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं और विश्व गुरू बनने से बस चंद कदमों की दूरी पर हैं तब तक इस देश में कुछ भी ठीक नहीं होगा। एक आदमी चाहिए, जो पूरी निर्ममता से देश के लोगों को सत्य बताए। राहुल गांधी यह काम कर रहे हैं। उनको वोट दीजिए न दीजिए पर इसके लिए उनका स्वागत कीजिए, अहसान मानिए।

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