भारत सरकार पूर्व भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) ऑफिसर और सूचना आयुक्त यशवर्धन कुमार सिन्हा को नए मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) बनाने के लिए तैयार है।यह पद पिछले कई महीनों से खाली पड़ा था।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इसके अलावा पत्रकार उदय महुरकर और उप नियंत्रक और महालेखा परीक्षक सरोज पुन्हानी को सूचना आयुक्त बनाया गया है।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय चयन समिति में शामिल विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सिन्हा और महुरकर की नियुक्ति के खिलाफ कड़ा विरोध जताया है।
24 अक्टूबर को हुई मीटिंग में चौधरी ने इन नियुक्तियों महज ‘औपचारिकता पूरा करना’ बताया है और कहा कि यह आरटीआई एक्ट में निहित उद्देश्य एवं पारदर्शिता तथा जवाबदेही के लक्ष्य को करारा झटका है।
यह पता चला है कि चौधरी ने कहा था कि सीआईसी ऐसा होना चाहिए जिसके पास घरेलू अनुभव हो और वो कानून, विज्ञान, मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में काम किया हो।
उन्होंने कहा कि आईएफएस ऑफिसर के पास ऐसे अनुभव नहीं होते हैं, इसलिए यशवर्धन कुमार सिन्हा की नियुक्ति उचित नहीं है।
चौधरी ने कहा था कि इसकी जगह पर सूचना आयुक्त वनजा एन. सरना को नियुक्त किया जाना चाहिए, जो सीनियर भी हैं और जरूरी मानदंडों पर खरी उतरती हैं।
कांग्रेस नेता चौधरी ने ये भी कहा कि महुरकर की नियुक्ति अपने आप कर ली गई है, जिन्होंने सूचना आयुक्त के पद के लिए आवेदन भी नहीं दिया था और 355 आवेदनकर्ताओं की सूची में उनका नाम नहीं है।
महुरकर के लेखों और सोशल मीडिया प्रोफाइल का जिक्र करते हुए चौधरी ने कहा कि वे सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा एवं इसकी विचारधारा के खुले समर्थक हैं। इंडिया टुडे के वरिष्ठ उप संपादक महुरकर ने मोदी सरकार और उनके ‘शासन के मंत्र’ पर किताब लिखी है।
महुरकर और पुनहानी के अलावा अन्य शॉर्टलिस्ट किए गए कैंडिडेट में रक्षा उत्पादन विभाग के पूर्व सचिव सुभाष चंद्र, डिप्टी कैग मीनाक्षी गुप्ता, पूर्व प्रधान महानिदेशक (समाचार) ऑल इंडिया रेडियो इरा जोशी, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के पूर्व सचिव, अरुण कुमार पांडा और पूर्व श्रम सचिव हीरा लाल सामरिया शामिल थे।
मुख्य सूचना आयुक्त के पद के लिए 139 लोगों और सूचना आयुक्त के पद के लिए 355 लोगों ने आवेदन किया था।
वर्तमान में केंद्रीय सूचना आयोग में केवल पांच सूचना आयुक्त (सिन्हा सहित) हैं, जबकि कुल पद 11 है।
इससे पहले आयुक्तों का कार्यकाल पांच वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक था लेकिन पिछले वर्ष आरटीआई अधिनियम में संशोधन द्वारा केंद्र सरकार ने कार्यकाल घटाकर तीन साल कर दिया।

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