शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020

वीणा वाटिका की ऑनलाइन इंटरनेशनल ड्राइंग प्रतियोगिता 19 नवंबर को

 


जयपुर । वीणा वाटिका द्वारा "माई बड़ी नेचर "के नाम से "प्रकृति और हम अलग नहीं एक हैं हम" विषय पर   ऑनलाइन इंटरनेशनल ड्राइंग प्रतियोगिता 19 नवंबर को आयोजित की गई है। 

वीणा वाटीका द्वारा शुरू से ही जनसाधारण को प्रकृति के प्रति जागरूक करने का उद्देश रहा है ।  जिस से आने वाली पीढ़ी ना केवल प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझे बल्कि इस अनमोल धरोहर को जागरूक होकर अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। 

प्रतियोगिता में अभी तक भारतवर्ष सहित ऑस्ट्रेलिया बांग्लादेश यूएसए इत्यादि देशों से प्रतियोगिता के लिए लोगों की एंट्रियां आ चुकी है और इन का सिलसिला अभी जारी है ।  विजेता प्रतियोगियों को मेडल और सर्टिफिकेट देकर पुरस्कृत किया जाएगा साथ ही यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर भी उनकी पेंटिंग्स को दिखाया जाएगा l 

 

ऑनलाइन इंटरनेशनल प्रतियोगिता के लिए https://tinyuri.com/veenavatikacontest ऑनलाइन लिंक पर अपनी पेंटिंग्स 19 नवंबर 2020 तक भेज सकते हैं l

शांति वार्ताओं में 20 साल बाद भी महिलाओं की समान भागीदारी नहीं: संयुक्त राष्ट्र एजेंसी

 

लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ‘यूएन वुमेन’ की प्रमुख ने शांति वार्ताओं में महिलाओं की समान भागीदारी की मांग करने वाले प्रस्ताव के 20 साल पूरे होने के अवसर पर कहा कि इस प्रस्ताव पर अमल ही नहीं किया गया।


उन्होंने कहा कि महिलाओं को संघर्षों को समाप्त करने के लिए होने वाली वार्ताओं से अब भी सोच-समझकर बाहर रखा जाता है और इन वार्ताओं में पुरुष उनके जीवन को प्रभावित करने वाले फैसले लेते हैं।


संयुक्त राष्ट्र महिला की कार्यकारी निदेशक फुमजिले म्लाम्बो नगकुका ने सुरक्षा परिषद को बताया कि कुछ अच्छी पहलों के बावजूद 1992 से 2019 तक मात्र 13 प्रतिशत महिलाएं शांति वार्ताओं में वार्ताकारों के तौर पर शामिल की गईं, मात्र छह प्रतिशत महिलाओं ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई और मात्र छह प्रतिशत महिलाएं इन समझौतों पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल रहीं।


उन्होंने कहा कि वार्ताकारों ने महिलाओं और शांति स्थापित करने वाले अन्य लोगों को सशक्त बनाने के बजाय हिंसा को बढ़ावा देने वाले कारकों को सशक्त बनाया और महिलाओं को या तो अनौपचारिक प्रक्रियाओं में शामिल रखा गया या फिर उन्हें केवल दर्शक की भूमिका में रखा गया।


जर्मनी की विदेश राज्य मंत्री मिशेल मुंटेफेरिंग ने 31 अक्टूबर, 2000 में पारित संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव को ‘छोटी क्रांति’ बताया, क्योंकि सुरक्षा परिषद ने पहली बार मिलकर यह स्पष्ट किया कि विश्व में शांति एवं सुरक्षा कायम रखने के लिए महिलाओं की समान भागीदारी आवश्यक है।


उन्होंने कहा कि सुरक्षा और संघर्ष रोकथाम के लिए लैंगिक समानता बहुत आवश्यक है और लैंगिक हिंसा या यौन उत्पीड़न ऐसा अपराध है, जिसके लिए सजा दी जानी चाहिए और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।


मुंटेफेरिंग ने कहा, ‘20 साल और बाद में मुश्किल से पारित हुए सुरक्षा परिषद के नौ प्रस्तावों के बावजूद महिलाओं को अब भी शांति वार्ताओं से बाहर रखा गया है और संघर्ष समाप्त होने के बाद समाज निर्माण करते समय उनके अधिकारों एवं हितों को अब भी नजरअंदाज किया जाता है।’


उन्होंने कहा, ‘हम वैश्विक समुदाय के तौर पर हमारी प्रतिबद्धता पूरी नहीं कर पाए हैं।’


संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने परिषद में दोहराया कि नेतृत्व की भूमिका में पुरुषों का ही आधिपत्य है और केवल सात प्रतिशत देशों का नेतृत्व महिलाएं करती हैं।उन्होंने कहा कि महिलाओं को शांति वार्ताओं के प्रतिनिधिमंडल से आमतौर पर बाहर ही रखा जाता है।


साथ ही संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनिया गुतारेस ने एक बार फिर वैश्विक युद्धविराम की अपनी अपील को दोहराई।


उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 महामारी दूसरे विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सबसे बड़ी परीक्षा है। मैं एक तात्कालिक वैश्विक युद्धविराम की अपील करता हूं, ताकि हम अपने साझा दुश्मन (कोविड-19) पर ध्यान केंद्रित कर सकें।’


गुतारेस ने कहा कि कोरोना महामारी से मुकाबले में महिलाएं अग्रिम मोर्चे पर डटी हुई हैं। वे अपने समुदायों, अर्थव्यवस्थाओं व समाजों में नर्सों, शिक्षकों, देखभालकर्मियों, किसानों व अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं में ज़िम्मेदारी निभा रही हैं।


संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने महिलाओं को नेतृत्वकारी पदों और निर्णय प्रक्रिया में शामिल करने की अपील की।


उन्होंने कहा, ‘ये ध्यान रखना होगा कि संस्थाएं, संगठन, कंपनियां और सरकारें तभी बेहतर ढंग से कार्य करती हैं जब आधी आबादी की उपेक्षा करने के बजाय उन्हें उसमें शामिल किया जाता है।’


गुतारेस ने जोर देकर कहा कि सर्वजन और शांति प्रगति के लिए महिलाएं अहम हैं। मध्यस्थता प्रक्रियाओं में महिलाओं की अर्थपूर्ण भागीदारी शांति, स्थिरता, सामाजिक समरसता और आर्थिक प्रगति के लिए संभावनाओं को विस्तृत बनाती हैं।


प्रधानमंत्री मोदी पर किताब लिखने वाले पत्रकार को सूचना आयुक्त चुना गया, विपक्ष का कड़ा विरोध




 भारत सरकार पूर्व भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) ऑफिसर और सूचना आयुक्त यशवर्धन कुमार सिन्हा को नए मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) बनाने के लिए तैयार है।यह पद पिछले कई महीनों से खाली पड़ा था।


इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इसके अलावा पत्रकार उदय महुरकर और उप नियंत्रक और महालेखा परीक्षक सरोज पुन्हानी को सूचना आयुक्त बनाया गया है।


हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय चयन समिति में शामिल विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सिन्हा और महुरकर की नियुक्ति के खिलाफ कड़ा विरोध जताया है।


24 अक्टूबर को हुई मीटिंग में चौधरी ने इन नियुक्तियों महज ‘औपचारिकता पूरा करना’ बताया है और कहा कि यह आरटीआई एक्ट में निहित उद्देश्य एवं पारदर्शिता तथा जवाबदेही के लक्ष्य को करारा झटका है।


यह पता चला है कि चौधरी ने कहा था कि सीआईसी ऐसा होना चाहिए जिसके पास घरेलू अनुभव हो और वो कानून, विज्ञान, मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में काम किया हो।


उन्होंने कहा कि आईएफएस ऑफिसर के पास ऐसे अनुभव नहीं होते हैं, इसलिए यशवर्धन कुमार सिन्हा की नियुक्ति उचित नहीं है।


चौधरी ने कहा था कि इसकी जगह पर सूचना आयुक्त वनजा एन. सरना को नियुक्त किया जाना चाहिए, जो सीनियर भी हैं और जरूरी मानदंडों पर खरी उतरती हैं।


कांग्रेस नेता चौधरी ने ये भी कहा कि महुरकर की नियुक्ति अपने आप कर ली गई है, जिन्होंने सूचना आयुक्त के पद के लिए आवेदन भी नहीं दिया था और 355 आवेदनकर्ताओं की सूची में उनका नाम नहीं है।


महुरकर के लेखों और सोशल मीडिया प्रोफाइल का जिक्र करते हुए चौधरी ने कहा कि वे सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा एवं इसकी विचारधारा के खुले समर्थक हैं। इंडिया टुडे के वरिष्ठ उप संपादक महुरकर ने मोदी सरकार और उनके ‘शासन के मंत्र’ पर किताब लिखी है।


महुरकर और पुनहानी के अलावा अन्य शॉर्टलिस्ट किए गए कैंडिडेट में रक्षा उत्पादन विभाग के पूर्व सचिव सुभाष चंद्र, डिप्टी कैग मीनाक्षी गुप्ता, पूर्व प्रधान महानिदेशक (समाचार) ऑल इंडिया रेडियो इरा जोशी, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के पूर्व सचिव, अरुण कुमार पांडा और पूर्व श्रम सचिव हीरा लाल सामरिया शामिल थे।


मुख्य सूचना आयुक्त के पद के लिए 139 लोगों और सूचना आयुक्त के पद के लिए 355 लोगों ने आवेदन किया था।

वर्तमान में केंद्रीय सूचना आयोग में केवल पांच सूचना आयुक्त (सिन्हा सहित) हैं, जबकि कुल पद 11 है।


इससे पहले आयुक्तों का कार्यकाल पांच वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक था लेकिन पिछले वर्ष आरटीआई अधिनियम में संशोधन द्वारा केंद्र सरकार ने कार्यकाल घटाकर तीन साल कर दिया।


इस बार शीतकालीन सत्र नहीं होगा!

 


इस बार संसद का शीतकालीन सत्र होने की संभावना कम दिख रही है। जानकार सूत्रों के मुताबिक अब सीधे संसद का बजट सत्र होगा। शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर के तीसरे हफ्ते से शुरू होकर दिसंबर के तीसरे हफ्ते तक चलता है। पिछली बार दिसंबर के आखिर तक सत्र चला गया था। इस बार अभी तक कोई हलचल नहीं है और पिछले ही महीने खत्म हुए संसद सत्र के बाद छह महीने तक सत्र बुलाने की कोई संवैधानिक बाध्यता भी नहीं है। पिछला सत्र इसलिए भी बुलाना था क्योंकि आखिरी सत्र में मार्च में हुआ था और छह महीने में सत्र बुलाने की अनिवार्यता थी। दूसरे, सरकार ने बड़ी संख्या में अध्यादेश जारी किए थे, जिनको संसद से मंजूर करा कर कानून का रूप दिलाना था।


सो, सरकार ने सत्र बुलाया और सारे जरूरी विधेयक पास करा लिए। सत्र के दौरान ही बड़ी संख्या में सांसद और संसद के कर्मचारी कोरोना से संक्रमित होने लगे, जिस वजह से तीन हफ्ते का सत्र 10 दिन में खत्म करना पड़ा। पिछला बजट सत्र भी बीच में ही खत्म करना पड़ा था। इसलिए सरकार और संसद के पीठासीन अधिकारी भी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। ध्यान रहे अब भी केंद्रीय मंत्रियों के संक्रमित होने का सिलसिला जारी है। बहरहाल, अगले छह महीने तक सत्र बुलाने की बाध्यता नहीं है। वैसे भी बजट सत्र अब 31 जनवरी से ही होने लगा है। सो, तीन महीने में बजट सत्र होना ही है। इसलिए कोरोना के बढ़ते संकट के बीच नवंबर-दिसंबर में सत्र बुलाने की जरूरत नहीं महसूस की जा रही है।




गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020

जयपुर हेरिटेज नगर निकाय चुनाव संपन्न, EVM में कैद हुआ 430 प्रत्याशियों का भाग्य

 


जयपुर।  हेरिटेज नगर निकाय चुनाव  संपन्न हो गया है।  हेरिटेज के 100 वार्डों में 430 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला कैद हो गया है।  जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के लिए सुचारू व्यवस्थाएं की गईं। 


कुछ मतदान केंद्रों पर छुटपुट घटनाओं को लेकर सभी मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हुए।  शााम 6 बजे के बाद मतदान केंद्रों से ईवीएम मशीनें जमा करवाने के लिए पोलिंग पार्टी कॉमर्स कॉलेज पहुंचे।  

जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि ईवीएम मशीनों को कडी सुरक्षा में रखा गया है. आगामी 1 नवंबर को ग्रेटर नगर निगम के चुनाव जिला निर्वाचन द्वारा पूरी तरह से तैयारियां कर ली गई है।  जयपुर के हेरिटेज और ग्रेटर निकाय चुनाव का फैसला 3 नवंबर को आएगा। 



जयपुर हेरिटेज नगर निकाय चुनाव संपन्न होने के बाद पोलिंग पार्टियों ने शाम को कॉमर्स कॉलेज में ईवीएम मशीनों को जमा करवाने पहुंचे।  जयपुर हेरिटेज विधान सभा के नगर निगम 100 वार्डों से अलग अलग मतदान केंद्रों से ईवीएम मशीनें लेकर कॉमर्स कॉलेज में जमा करवाते हुए।  इस दौरान जिला निवौचन अधिकारी ने भी ईवीएम मशीनें जमा करावाने की व्यवस्थाओं का जायजा लिया।  कोरोना संक्रमण के चलते सरकार की गाइडलाइन की पालना में ईवीएम जमा करवाने के लिए दो गज की दूरी में गोले बनाए गए।  जमा ईवीएम मशीनों को अलग-अलग विधानसभा कमरों में बनी वार्ड बार ईवीएम मशीनों को रखाा गया।  सुरक्षा व्यवस्था के लिए बडी संख्या में पुलिस का जाब्ता रखा गया। 


 

दुनिया में आंदोलन और भारत में…!

 


पूरी दुनिया में किसी न किसी किस्म का आंदोलन चल रहा है। इन आंदोलनों की तात्कालिक वजह चाहे जो हो पर बुनियादी बात लोकतंत्र की बहाली और मानवाधिकारों के सम्मान की रक्षा है। पड़ोसी देश पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक, थाईलैंड से लेकर ब्राजील तक और चीन, हांगकांग से लेकर बेलारूस व फ्रांस तक आंदोलन चल रहे हैं। लोग सड़कों पर उतरे हैं। दुनिया के कई शहरों में सार्वजनिक स्पेस आंदोलन की जगह में तब्दील हो गए हैं। कहीं गलत तरीके से चुनाव कराने के विरोध में आंदोलन है तो कहीं सेना की ज्यादतियों को लेकर आंदोलन हो रहे हैं। लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में क्या हो रहा है? भारत में लगातार आंदोलन की जगह सिमटती जा रही है, असहमति को अपराध और प्रतिरोध को देशद्रोह बनाया जा रहा है, जिसकी वजह से अंततः लोकतंत्र की बुनियाद कमजोर हो रही है।


पाकिस्तान जैसे देश में आंदोलन हो रहा है और वह भी सेना के खिलाफ! पाकिस्तान में सेना की जो हैसियत है और जिस तरह से अपनी प्रॉक्सी सरकार बनवा कर सेना वहां काम कर रही है, उसे देखते हुए यह सोचना भी मुश्किल है वहां कोई आंदोलन हो सकता है। लेकिन पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियां और बहुत हद तक आवाम भी आंदोलित है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं। इस आंदोलन का नाम पाकिस्तानी डेमोक्रेटिक मूवमेंट यानी पीडीएम है। पाकिस्तान के कई शहरों में पीडीएम से जुड़े सदस्यों ने आंदोलन किया है और खुल कर सेना के खिलाफ टिप्पणी की है। आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया है कि चुनी हुई सरकार के नाम पर सेना की तानाशाही चल रही है और राजनीतिक विरोधियों को किसी न किसी मामले उलझा कर उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया से दूर किया जा रहा है। सोचें, पाकिस्तान जैसे देश में, जहां सेना का लौह कानून चलता है वहां लोकतांत्रिक आंदोलन हो रहे हैं। और हां, आंदोलन करने वालों की फोटो खींच कर उन पर कार्रवाई नहीं हो रही है और न आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए हुई पुलिसिया कार्रवाई का खर्च उनसे वसूला जा रहा है!


थाईलैंड में प्रधानमंत्री प्रयुथ चनोका की सरकार के खिलाफ आंदोलन चल रहे हैं। बैंकॉक में हजारों लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया। वे इस बात का विरोध कर रहे हैं कि आखिर कैसे सरकार ने एक प्रकाशन समूह पर छापा डाला? उनका आरोप है कि सरकार न्यूज कवरेज सेंसर करने का प्रयास कर रही है और आंदोलनकारियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे टेलीग्राम ऐप पर पाबंदी लगाने की कोशिश कर रही है। असल में पिछले साल हुए चुनाव के बाद सत्ता में आए सैनिक तानाशाह के ऊपर आरोप है कि उसने गलत तरीके से चुनाव जीता और राजशाही के नियमों को गलत तरीके से बदल रहा है। सोचें, वहां भी सैन्य तानाशाही के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे हैं।


हांगकांग में लंबे समय से लोकतंत्र बहाली का आंदोलन चल रहा है और प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे तीन युवाओं ने चीन की सर्वशक्तिशाली कम्युनिस्ट पार्टी और शी जिनफिंग की तानाशाह सरकार को नाको चने चबवाया हुआ है। प्रदर्शनकारी सैन्य कानून लागू करने का विरोध कर रहे हैं। बेलारूस में राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेन्को के खिलाफ आंदोलन चल रहा है। इस साल अगस्त में यह आंदोलन शुरू हुआ। लोगों का आरोप है कि लुकाशेन्को ने धांधली करके चुनाव जीता है। अगस्त के बाद लगातार हर रविवार को हजारों लोग सड़कों पर उतरते रहे हैं। कई दिन तो प्रदर्शनकारियों की संख्या एक लाख तक पहुंच गई। लुकाशेन्को यूरोप के किसी भी देश में सबसे लंबे समय तक राज करने वाले शासक हैं और उनको यूरोप का आखिरी तानाशाह कहा जाता है। उनके खिलाफ पिछले तीन महीने से आंदोलन चल रहा है।


अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर का आंदोलन थमा नहीं है। इस आंदोलन की वजह से अमेरिका के कई शहर प्रभावित हुए। मिनियापोलिस से लेकर केनोसा तक आंदोलन हुए और इसके समर्थन में दुनिया के अनेक देशों में लोगों ने प्रदर्शन किया। कोरोना वायरस को संभालने में विफल होने पर कई देशों की सरकारों के खिलाफ आंदोलन हुआ। ब्राजील से लेकर बर्लिन तक लोगों ने सड़कों पर उतर कर अपनी सरकार का विरोध किया। याद करें दस साल पहले ट्यूनीशिया से जो अरब क्रांति शुरू हुई थी। ट्यूनीशिया के एक फल बेचने वाले बौजूजी की खुदकुशी की घटना से इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी और पूरा अरब जगत इसकी चपेट में आया था। भारत में भी दस साल पहले इंडिया अगेंस्ट करप्शन का आंदोलन हुआ था। उसकी तुलना मौजूदा समय से करें, तब पता चलता है कि दस साल में भारत कितना बदल गया है।


भारत में दिन प्रतिदिन आंदोलन मुश्किल होता जा रहा है। असहमति का इजहार अपराध बन रहा है। लोकतांत्रिक आंदोलनों को दबाया जा रहा है। आंदोलन में शामिल लोगों की फोटो सीसीटीवी से निकाल कर उनको नोटिस भेजे जा रहे हैं। आंदोलन के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगा कर उनसे उसकी कीमत वसूली जा रही है। आंदोलन और प्रदर्शन करने की जगह लगातार सिकुड़ती जा रही है। किसी न किसी तरीके से आंदोलन को दबाने या उसकी साख बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर कोलकाता और लखनऊ से लेकर बेंगलुरू तक एक जैसे हालात दिख रहे हैं।


सरकारें यह भूल रही हैं कि ऐसे ही आंदोलनों से देश को आजादी मिली थी, देश को दूसरी आजादी भी ऐसे ही आंदोलन से मिली थी और पिछले 73 साल में भारत का लोकतंत्र ऐसे ही आंदोलनों से मजबूत हुआ है। आजादी के बाद सात दशक में जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकारों से लेकर महिलाओं व बच्चों के अधिकार, इंसानों से लेकर पशुओं तक के अधिकार, सूचना के अधिकार और भोजन व रोजगार के अधिकार आंदोलनों के जरिए ही हासिल किए गए हैं। लेकिन अब हर आंदोलन को सरकार के विरूद्ध जंग का ऐलान माना जाने लगा है। हर आंदोलनकारी को सरकार का और फिर देश का दुश्मन बताया जाने लगा है। आज किसान आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन कोई उनकी बात नहीं सुन रहा है। नागरिकता कानून को लेकर इसी देश के नागरिकों ने महीनों तक आंदोलन किया लेकिन एक बार भी सरकार ने आंदोलनकारियों से बात करने की पहल नहीं की। उलटे आंदोलनकारियों के समर्थन में भाषण देने वालों को दंगाई बता कर उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई शुरू कर दी गई। देश के कुछ बेहतरीन मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ता नक्सलियों से मिले होने के आरोप में महीनों से जेल में बंद हैं। न सरकार उनकी बात सुन रही है और न अदालतें! यह 21वीं सदी का भारत है!


आखिर किसको पैकेज का लाभ?

 


यक्ष प्रश्न है कि भारत सरकार ने कोरोना वायरस से राहत के लिए जो दो आर्थिक पैकेज घोषित किए उसका लाभ किसको मिला है? खबर है कि सरकार तीसरे राहत पैकेज की तैयारी कर रही है और पिछले दिनों इस सिलसिले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी से बात हुई है। इस पैकेज को लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं है पर कहा जा रहा है कि इस बार सरकार डिमांड बढ़ाने वाले कुछ कदम उठा सकती है। अगर ऐसा होता है तो अच्छा होगा क्योंकि इससे पहले के पैकेज सप्लाई साइड को मजबूत करने वाले थे। लोगों के लिए कर्ज का प्रावधान किया गया था और मांग बढ़ाने वाला कोई काम नहीं हुआ। इसका नतीजा यह हुआ कि तमाम भारी-भरकम पैकेज के बावजूद आर्थिकी के हालात बिगड़ते गए।


वित्त मंत्री सीतारमण ने माना है कि चालू वित्त वर्ष में विकास दर निगेटिव या जीरो रहेगी। हालांकि यह उनकी सदिच्छा है क्योंकि दुनिया की तमाम रेटिंग एजेंसियों ने और यहां तक कि भारतीय रिजर्व बैंक ने भी पूरे वित्त वर्ष की जीडीपी की दर निगेटिव रहने का अनुमान जाहिर कर दिया है और इस अनुमान के मुताबिक माइनस दस फीसदी तक जीडीपी रह सकती है। पहली तिमाही में ही माइनस 24 फीसदी जीडीपी रही थी। दूसरी तिमाही में भी मामूली सुधार होने के संकेत हैं। सोचें, पहली तिमाही के दूसरे महीने में ही सरकार ने 21 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की थी।


वित्त मंत्री मई के अंत में 21 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। इसके लिए ढेर सारे सुधार किए गए थे। जून के महीने में ही अध्यादेश जारी करके सारे सुधारों को लागू र दिया गया था। इसके बावजूद विकास दर पर इसका असर नहीं दिख रहा है। यह सही है कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लक्षण दिख रहे हैं। अप्रैल से जून की तिमाही में जो स्थिति थी, जुलाई-सितंबर में उससे बेहतर स्थिति दिखी है। लेकिन क्या यह सरकार के राहत पैकेज की वजह से है? ऐसा नहीं कहा जा सकता है। सरकार ने लॉकडाउन में जून से बड़ी ढील देनी शुरू की और अगस्त आते-आते लगभग सब कुछ चालू हो गया। स्वाभाविक है, जब लॉकडाउन खत्म होगा और दुकाने खुलेंगी, सेवाएं चालू होंगी तो अर्थव्यवस्था का चक्का धीरे धीरे ही सही चलना शुरू हो जाएगा। इसमें राहत पैकेज की कोई भूमिका नहीं है।


अगर राहत पैकेज कारगर हुआ होता तो विकास दर के वी शेप में बढ़ने की जो बात कही जा रही थी वैसा हो जाता। लेकिन दूसरी तिमाही में ऐसा नहीं हुआ है और तीसरी तिमाही में भी ऐसा होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। उलटे आम लोगों के सामने संकट गहरा रहा है। उनके  लिए जीवन चलाना मुश्किल हो रहा है। यह हैरान करने वाली बात है कि केंद्र सरकार ने अपने राहत पैकेज में कर्ज देने पर ही फोकस किया फिर भी लोगों को कर्ज नहीं मिल रहा है। सरकार ने लघु व मझोले उद्योग यानी एमएसएमई सेक्टर के लिए तीन लाख करोड़ रुपए के क्रेडिट की घोषणा की थी और यह भी कहा गया था कि इसकी गारंटी सरकार देगी। इसके बावजूद एमएसएमई सेक्टर को कर्ज लेने में बड़ी मुश्किल आ रही है। बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं ने कर्ज लेने की औपचारिकताएं बढ़ा दी हैं। यानी बिना कोई कानूनी बदलाव किए या सख्ती की बात कहे बना, छोटे उद्यम वाले लोगों को कर्ज नहीं देने के उपाय कर दिए गए हैं। आखिर बैंकों के सामने अपने बढ़ते एनपीए की ज्यादा बड़ी चिंता है। वे सरकार की बातों में आकर खुले हाथ से कर्ज नहीं बांट सकते हैं।


इतना ही नहीं मध्य वर्ग और निम्न मध्य वर्ग के लोगों के लिए निजी लोन लेना भी मुश्किल हो गया है। बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं ने मुट्ठी बांध ली है। उनकी पहली चिंता अपना एनपीए काबू में रखने की है। उनको पता है कि बाजार में मांग नहीं है और रोजगार के हालात जल्दी नहीं सुधरने वाले हैं। इसलिए इस समय कर्ज देना बेहद जोखिम का काम है। यहीं कारण है कि सोना गिरवी रख कर कर्ज देने वाली कंपनियों का कारोबार बढ़ रहा है। मई-जून में इस सेक्टर में जहां दो फीसदी तक की बढ़ोतरी थी वहीं सितंबर में सोना गिरवी रख कर कर्ज लेने वालों की संख्या दोगुनी से ज्यादा बढ़ गई है।


इस सेक्टर पर नजर रखने वालों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में सोना गिरवी रख कर कर्ज लेने की मात्रा में 15 से 18 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है। मुथुट गोल्ड फाइनेंस या मन्नापुरम फाइनेंस के जरिए सोना गिरवी रख कर कर्ज लेने वालों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। माना जा रहा है कि कर्ज लेने के लिए जरूरी कागजात की कमी और बैंकों व एनबीएफसी की सख्ती की वजह से छोटे उद्यम व आम लोगों को पर्सनल लोन लेने में दिक्कत आ रही।


मुंबई की एक रिपोर्ट के मुताबिक आम लोग या तो सोना गिरवी रख कर लोन ले रहे हैं या ऊंची ब्याज दर पर सूदखोर महाजनों से पैसे उठा रहे हैं। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए लोगों के पैसे कम हो गए हैं। बैंकों की किस्तें टूट रही हैं और स्कूलों की फीस जमा करना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। स्वरोजगार करने वालों के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल है तो उनके कारोबार पर निर्भर दूसरे लोगों की मुश्किलें भी बड़ी हैं। तभी सवाल है कि सरकार ने इतने पैकेज घोषित किए, उसका लाभ किसको मिल रहा है? सरकार की ओर से दिए गए पैसे कहीं न कहीं तो जा रहे हैं? सरकार को इससे सबक लेना चाहिए और आम लोगों के हाथ में पैसे पहुंचाना चाहिए ताकि उनके जीवन की मुश्किलें कम हों, बाजार में मांग बढ़े और अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटे।



बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

पहले चरण में 16 लाख से ज्यादा मतदाता कर सकेंगे मताधिकार का इस्तेमाल तीनों निगमों में मिलाकर 951 उम्मीदवार हैं चुनाव मैदान में3 नवंबर को प्रातः 9 बजे से होगी मतगणना

 



जयपुर। राज्य निर्वाचन आयोग ने जयपुर हैरिटेज, जोधपुर उत्तर और कोटा उत्तर नगर निगमों में 29 अक्टूबर को होने वाले प्रथम चरण के चुनाव के लिए सभी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं। चुनाव आयुक्त  पीएस मेहरा ने निगमों के मतदाताओं से कोरोना संबंधी सभी दिशा-निर्देशों की पालना के साथ ‘सुरक्षित‘ और ‘शांतिपूर्ण‘ मतदान की अपील की है। प्रथम चरण के लिए मतदान 29 अक्टूबर को सुबह 7.30 बजे से सायं 5.30 बजे तक करवाया जाएगा, जबकि मतगणना 3 नवंबर को प्रातः 9 बजे से होगी।


 मेहरा ने कहा कि जयपुर हैरिटेज के 100, जोधपुर उत्तर के 80 और कोटा उत्तर के 70 कुल 250 वार्डों के लिए मतदान होगा। उन्होंने  बताया कि जयपुर में 430, जोधपुर में 296 और कोटा में 225 और कुल 951 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला मतदाता करेंगे। पहले चरण में 2761 मतदान केंद्रों पर मतदान करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए मतदान केंद्रों की संख्या में भी इजाफा किया गया है और मतदान समय को भी आधा घंटा अधिक बढ़ाया है ताकि मतदाता भीड़ का हिस्सा बने बिना अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें। 


आयुक्त ने कहा कि उम्मीदवारों द्वारा मतदान केंद्र के बाहर बनाए जाने वाले बूथ पर उम्मीदवार अपने स्तर पर सेनेटाइजर की व्यवस्था रखे और मतदाताओं की सहायता के लिए लगाए समर्थक पूरे समय मास्क लगाए। उन्होंने कहा कि इन बूथों पर अनाश्यक भीड़ ना हो और केवल एक व्यक्ति या मतदाता ही वहां खड़ा रहे। उन्होंने कहा कि इन बूथों पर किसी भी प्रकार की प्रचार सामग्री भी नहीं रखी जानी चाहिए। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कोरोना प्रोटोकॉल की कड़ाई से पालना की जाए। 


प्रथम चरण में 16 लाख  से ज्यादा मतदाता कर सकेंगे मतदान


 मेहरा ने बताया कि प्रथम चरण में 250 वार्डों के 2761 मतदान केंद्रों पर 16 लाख 54 हजार 547 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। इसमें जयपुर हैरिटेज के 100 वार्डों के 9 लाख 32 हजार 908 मतदाताओं में 4 लाख 91 हजार 633 पुरुष, 4 लाख 41 हजार 260 महिला व 15 अन्य, जोधपुर उत्तर के 80 वार्डों के 3 लाख 88 हजार 847 मतदाताओं में से 1 लाख 99 हजार 505 पुरुष, 1 लाख 89 हजार 339 महिला व 3 अन्य और कोटा उत्तर के 70 वार्डों के 3 लाख 32 हजार 792 मतदाताओं में से 1 लाख 70 हजार 959 पुरुष, 1 लाख 61 हजार 831 महिला व 2 अन्य मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। 


मतदाता संबंधी प्रविष्टि को जानने के लिए लें ऑनलाइन मदद


 मेहरा ने कहा कि मतदाता मतदान से पहले मतदान केंद्र से जुड़ी सभी जानकारी आयोग की वेबसाइट sec.rajasthan.gov.in  या ‘मतदाता सहायता सेवा‘ के जरिए भी जान सकते हैं। मतदाता वेबसाइट पर नाम द्वारा या इपिक कार्ड के नंबर द्वारा भी मतदाता सूची में स्वयं का नाम एवं संबंधित मतदान केंद्र की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताा कि कोई भी मतदाताओं को निर्वाचक नामावली में मतदाता से संबंधित प्रविष्टि जैसे मतदाता का नाम, वार्ड नम्बर, मतदाता क्रमांक एवं मतदान केंद्र आदि की जानकारी प्राप्त करने के लिए SMS Gateway Service उपलब्ध कराई गई है। इसके लिए कोई भी मतदाता मोबाइल नम्बर 7065051222 पर SEC VOTER  अंकित कर स्पेस के बाद Epic No अंकित कर SMS करेगा तो SMS के जरिए चंद सैकंड में ही उससे संबंधित प्रविष्टि का विवरण प्राप्त हो जाएगा।


कोरोना से बचाव भी और निगम चुनाव भी


 मेहरा ने कहा कि नगर निगम के प्रत्येक मतदाता को कोरोना जैसी महामारी से बचने के साथ मतदान प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभानी है। उन्होंने कहा कि सभी मतदाता अपने घर से मास्क लगाकर मतदान के लिए जाएं। केंद्र में बिना मास्क के प्रवेश नहीं दिया जाएगा। मतदान केंद्र में जाने से पहले हाथों को सेनेटाइज करें और मतदान के समय पंक्ति में खड़े रहने के दौरान चिन्हित गोलों पर खड़े रहकर या सामाजिक दूरी बनाते हुए अपनी बारी का इंतजार करें। उन्होंने कहा कि मतदान के दौरान सीनियर सिटीजन और दिव्यांगजनों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने मतदाता, उम्मीदवार या उनके समर्थकों से मतदान केंद्र या आसपास भीड़ या समूह में खड़े नहीं रहने की भी अपील की।


3 हजार 393 ईवीएम मशीनों से होंगे चुनाव 


 मेहरा ने बताया कि प्रथम चरण में 3 हजार 393 ईवीएम मशीनों के द्वारा चुनाव करवाए जाएंगे। सभी निकायों में लगभग 30 प्रतिशत मशीनें रिजर्व में रखी गई हैं। उन्होंने बताया कि चुनाव के दौरान मशीनों में किसी भी तरह की परेशानी आने पर प्रत्येक निकाय में इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के इंजीनियर्स हर समय उपलब्ध रहेंगे। आयुक्त कार्यालय में भी इंजीनियर तकनीकी मदद के लिए सजग रहेंगे। 


नियन्त्रण कक्ष से मिलेगी चुनावी संबंधी प्रत्येक जानकारी  


 मेहरा ने बताया कि चुनाव कार्य से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं आमजन द्वारा चुनाव संबंधी किसी भी गतिविधि के बारे में प्राप्त शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही करने के लिए आयोग द्वारा मुख्यालय एवं जिला स्तर पर चुनाव नियन्त्रण कक्ष स्थापित किए थे, जोकि लगातार पारियों के अनुसार रात-दिन कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसी भी जानकारी के लिए आमजन जयपुर मुख्यालय पर स्थित नियंत्रण कक्ष में 0141-2385855, 2385064, 2385063 पर कॉल कर सकते हैं।


दिव्यांगजनों के लिए है विशेष सुविधा


चुनाव आयुक्त ने बताया कि दिव्यांग मतदाताओं की मदद के लिए आयोग ने विशेष व्यवस्था की है। उन्होंने बताया कि मतदान केन्द्रों पर दिव्यांगजनों की मदद के लिए स्थानीय स्तर पर स्काउट गाइड, एनएसएस और एनसीसी के वोलेंटियर लगाए जाएंगे। कई निकायों पर दिव्यांगजनों को एवं उनके सहायकों को घर से लाने ले जाने के लिए भी परिवहन की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि हर दिव्यांग मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके।


वैकल्पिक दस्तावेजों से भी हो सकेगा मतदान 


 मेहरा ने बताया कि मतदान के लिए प्रत्येक मतदाता भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्वाचक फोटो पहचान पत्र अपने साथ जरूर लाएं। इनके अभाव में 11 अन्य वैकल्पिक दस्तावेजों में से किसी एक को दिखाकर भी मतदाता अपना वोट डाल सकते हैं। ये दस्तावेज निम्न हैं- आधारकार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेन्स, आयकर पहचान पत्र (पीएएन), सांसदों, विधानसभा सदस्यों को जारी किए गए सरकारी पहचान पत्र, राज्य या केन्द्र सरकार राज्य पब्लिक लिमिटेड कंपनी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी किए गए फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, श्रम मंत्रालय द्वारा जारी फोटोयुक्त स्वास्थ्य बीमा योजना स्मार्ट कार्ड, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज जैसे कि भूतपूर्व सैनिक पेंशन बुक,  पेंशन अदायगी आदेश, भूतपूर्व सैनिक विधवा या आश्रित प्रमाण पत्र, वृद्धावस्था पेंशन आदेश या विधवा पेंशन आदेश (निर्वाचन कार्यक्रम घोषित होने की तिथि से पूर्व जारी), सक्षम अधिकारी द्वारा जारी फोटोयुक्त छात्र प्रमाण पत्र (निर्वाचन कार्यक्रम घोषित होने की तिथि से पूर्व जारी), सक्षम अधिकारी द्वारा जारी फोटोयुक्त शारीरिक विकलांगता प्रमाण पत्र (निर्वाचन कार्यक्रम घोषित होने की तिथि से पूर्व जारी), सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकध्सहकारी बैंक या डाकघरों द्वारा जारी की गई फोटोयुक्त पासबुक (निर्वाचन कार्यक्रम घोषित होने की तिथि से पूर्व जारी)।

जयपुर नगर निगम हैरिटेज के 100 वार्डों के लिए मतदान आज, 9 लाख 32 हजार से अधिक मतदाता कर सकेंगे मताधिकार का उपयोग

 


जयपुर। जयपुर नगर निगम हैरिटेज एवं ग्रेटर के आम चुनाव 2020 के अन्तर्गत प्रथम चरण में गुरूवार को जयपुर नगर निगम हैरिटेज के 100 वार्डों में होने वाले मतदान के लिए सभी 1581 मतदान दल अपने-अपने मतदान केन्द्रों पर पहुंच गए हैं। जिला प्रशासन द्वारा शांतिपूर्ण, सुगम, व्यवस्थित, निष्पक्ष एवं भयमुक्त निर्वाचन करवाने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पूरी प्रक्रिया के दौरान कोविड गाइडलाइन की पालना सुनिष्चित की जाएगी। 

जयपुर हैरिटेज के 100 वार्डों में 430 अभ्यर्थी निर्वाचन के लिए मैदान में हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी (म्यूनिसिपल) एवं जिला कलक्टर  अन्तर सिंह नेहरा ने बताया कि गुरूवार को कुल 9 लाख 32 हजार 900 से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे। इनमें 4 लाख 91 हजार 633 पुरूष एवं 4 लाख 41 हजार 260 महिला मतदाता हैं। कुल 426 भवनों में 845 मतदान केन्द्र एवं 736 सहायक मतदान केन्द्र सहित कुल 1581 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। 


 नेहरा ने बताया कि बुधवार को प्रातः भवानी निकेतन षिक्षा संस्थान से रवाना होकर सभी मतदान दल अपने-अपने मतदान केन्द्रों पर पहुंच गए हैं। 

मतदान केन्द्रों पर कोविड प्रोटोकाॅल की पालना के साथ ही रोषनी, पेयजल, छाया, शौचालय सहित सभी आधारभूत सुविधाएं, विशेष योग्यजन के लिए व्हील चेयर जैसी व्यवस्थाएं भी की जा चुकी हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोले, हाथ सेनेटाइज करवाने के लिए सेनेटाइजर एवं कार्मिक आदि की सुनिष्चितता कर ली गई है। दिव्यांग, दृष्टिबाधित मतदाताओं एवं कोविड पाॅजिटिव मतदाताओं को मतदान करवाने, पुलिस द्वारा सुरक्षा के लिए माकूल डिप्लाॅयमेंट, वीडियोग्राफी एवं अन्य इंतजाम कर लिए गए हैं। चुनाव प्रेक्षकों ने बुधवार को मतदान रवानगी प्रक्रिया का निरीक्षण किया एवं मतदान केन्द्रोें पर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।


प्रोटोकाॅल की पालना के साथ कोविड-19 पाॅजिटिव मरीज भी कर सकेंगे मतदान

जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि गुरूवार को जयपुर नगर निगम हैरिटेज में मतदान दिवस पर बिना रोग लक्षणों वाले कोविड-19 पाॅजिटिव मतदाता भी पूरी सावधानी एवं प्रोटोकाॅल के अनुसार मतदान कर सकेंगे। इसके लिये राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दिषा-निर्देश जारी किये गये है। सम्पर्क करने पर यदि कोविड पाॅजिटिव मतदाता मतदान करने की इच्छा व्यक्त करता है तो संबंधित नोडल स्वास्थ्य अधिकारी संबंधित पीठासीन अधिकारी से सम्पर्क कर ऐसे व्यक्ति के मतदान हेतु समय निर्धारित कर पूरी व्यवस्था कराएंगे। ऐसे मतदाता द्वारा मतदान सबसे अन्त में करवाया जाएगा। इसके साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मियांे की देखरेख में सभी प्रोटोकाॅल की पालना की जाएगी।  मतदाता की अंगुली पर अमिट स्याही लगाये जाने एवं मतदाता रजिस्ट्रर में हस्ताक्षर या अंगूठा लगाने की अनिवार्यता लागू नहीं होगी। लेकिन यदि कोविड-19 पाॅजिटिव पाया गया व्यक्ति यदि सरकारी या निजी अस्पताल या होम आइषोलेषन से हटाए जाने योग्य नहीं है तो ऐसे व्यक्ति द्वारा मतदान नहीं किया जा सकेगा।


सूखा दिवस घोषित


जिला निर्वाचन अधिकारी (म्यूनिसिपल) एवं जिला कलक्टर श्री अन्तर सिंह नेहरा ने बुधवार को एक आदेश जारी कर नगर निगम के सम्पूर्ण निर्वाचन क्षेत्रों एवं उससे लगते हुए 5 किलोमीटर के परिधीय क्षेत्र में 27 अक्टूबर 2020 को सायं 5ः30 बजे से दिनांक 29 अक्टूबर 2020 को सायं 5ः30 बजे तक एवं 30 अक्टूबर को सायं 5ः30 बजे से 1 नवम्बर 2020 को सायं 5ः30 बजे तक सूखा दिवस घोषित कर दिया है। सम्बन्धित नगर निगम के निर्वाचन क्षेत्रों में उक्त अवधि में इस आदेष की अनुपालना पुलिस उपायुक्तगण, पुलिस आयुक्तालय तथा जिला आबकारी अधिकारी, जयपुर शहर, ग्रमीण द्वारा सुनिष्चित की जाएगी।


निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत अन्यंत्र कार्यरत मतदाताओं को भी मिलेगा सार्वजनिक अवकाश 

 जिला निर्वाचन अधिकारी (म्यूनिसिपल) एवं जिला कलक्टर  अन्तर ंिसह नेहरा ने बताया कि  नगर निगम जयपुर हैरिटेज में सदस्यांें के चुनाव के लिए मतदान दिवस 29 अक्टूबर 2020 को क्षेत्र में स्थित कार्यालयों में परक्राम्य लिखित अधिनियम (एनआई एक्ट) के तहत सार्वजनिक अवकाष घोषित किया गया है। आदेश के अनुसार सम्बन्धित नगर निगम क्षेत्रों में स्थित औद्योगिक एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानांे में कार्यरत कामगारों (आकस्मिक कामगारों सहित) को मतदान दिवस का सवैतनिक अवकाश देय होगा।  यह सवैतनिक अवकाश ऐसे कार्मिकों को भी प्रदान किया जाना है जो चुनाव वाले निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप मंे पंजीकृत हैं लेकिन अन्यंत्र पदस्थापित हैं।  नेहरा ने बताया कि यदि किसी नियोजक द्वारा ऐसे मतदाताओं को सवैतनिक अवकाश नहीं दिया जाता है तो ऐसे नियोजक के खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

नगर निगम चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका....


जयपुर। नगर निगम व आगामी जिला परिषद व पंचायत चुनाव से पहले सत्ताधारी दल कांग्रेस को झटका लगा है। कांग्रेस के लगभग 3 दर्जन से ज्यादा छोटे और बडे कार्यकर्ता व पूर्व पदाधिकारियों ने भाजपा का दामन थाम लिया। इन सभी कांग्रेसी नेताओं को आज जयपुर स्थित भाजपा मुख्यालय पर पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने पार्टी का दुपटृटा पहनाकर सदस्यता ग्रहण करवाई। प्रदेशाध्यक्ष के साथ इस मौके पर नेताप्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, उपनेता राजेन्द्र राठौड और राजसमंद से सांसद व प्रदेश महामंत्री दीया कुमारी भी मौजूद रही।


 आज भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वालों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव सत्यनारायण सिंघल, चूरू जिले के बीदासर पंचायत की पूर्व प्रधान संतोष मेघवाल, राजसमंद जिले के देवगढ नगर पालिका की उपाध्यक्ष रेखा सोनी प्रमुख है। इनके अलावा कांग्रेस सेवादल ब्लॉक के पूर्व अध्यक्ष सुरेश जोशी, देवगढ पालिका के निर्दलिय पार्षद नरेश पानेरी, कांग्रेसी नेता अजय सोनी, दिनेश वैष्णव सहित अन्य ने सदस्यता ग्रहण की।


सदस्यता ग्रहण करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि कांग्रेस के प्रमुख लोग आज भाजपा परिवार में शामिल हुये है। क्योंकि भाजपा पार्टी एक परिवार की नहीं बल्कि सभी कार्यकर्ताओं की संयुक्त पार्टी है। उन्होने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि अब कांग्रेस पार्टी महात्मा गांधी की पार्टी नहीं रही, अब यह सही मायने में वाड्रा की कांग्रेस है। और इसलिए देश की जनता का इस वाड्रा कांग्रेस से मोहभंग हो गया है। पुनिया ने कहा कि निश्चित रूप से जितने भी लोग भाजपा से जुड़े हैं इससे भाजपा की राजनीतिक विचारधारा और राजनीतिक गतिविधियों को भी ताकत मिलेगी। आने वाले समय में बहुत सारे और लोग भी भाजपा से जोड़ने की इच्छा जता चुके हैं समय-समय पर उन लोगों की को भी भाजपा के साथ जोड़ा जाएगा।


मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020

भागवत का सरकार को पूरा समर्थन!

 


भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का आपस में अन्योन्याश्रय संबंध है। इसके बावजूद कई मसलों पर दोनों की राय अलग होती है। संघ और उसके अनुषंगी संगठन सरकार की कई नीतियों का विरोध करते हैं। जैसे स्वदेशी जागरण मंच सरकारी कंपनियों को बेचे जाने या श्रम सुधार जैसे कदमों का विरोध करता रहा है। परंतु ऐसा पहली बार हुआ है कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को इतना खुला समर्थन दिया है। उन्होंने संघ के स्थापना दिवस के मौके पर विजयदशमी की रैली में नरेंद्र मोदी सरकार के हर फैसले, हर कदम पर मुहर लगाई। चीन, कृषि कानून, कोरोना, अर्थव्यवस्था किसी भी मसले पर संघ प्रमुख ने सवाल नहीं उठाया।


आमतौर पर यह माना जाता है कि सरकार के हर कदम का समर्थन करना संघ की मजबूरी नहीं है। लेकिन इस बार पूरा समीकरण बदला हुआ दिखा। इस बार संघ प्रमुख ने हर बात का समर्थन किया। यहां तक कि कृषि कानूनों में बदलाव करके बनाए गए तीन नए कानूनों का भी उन्होंने समर्थन किया। देश के कई हिस्सों में किसान आंदोलित हैं। माना जा रहा है कि यह कानून किसानों को कॉरपोरेट का गुलाम बना देगी। कांट्रैक्ट फार्मिग के जरिए विदेशी कंपनियां भी अपना नियंत्रण बनाएंगी और इससे देश की खाद्य सुरक्षा भी प्रभावित होगी। इस कानून की वजह से भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल उसे छोड़ कर चली गई है। इसके बावजूद संघ प्रमुख ने कृषि कानूनों का समर्थन किया।


इससे भी हैरान करने वाली बात यह रही कि संघ प्रमुख ने चीन के साथ चल रहे गतिरोध में भी सरकार की तारीफ। भारतीय सेना की तारीफ अपनी जगह है लेकिन उन्होंने सरकार की तारीफ की। भागवत ने कहा कि इस बार भारत ने चीन के सामने तन कर जवाब दिया है और भारत के जवाब से चीन सकते में आ गया है। सवाल है कि क्या संघ प्रमुख को यह हकीकत नहीं पता है कि चीन ने विवाद की कई जगहों पर कब्जा जमाया है और भारत की एक हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा जमीन कब्जा किए हुआ है? क्या उनको पता नहीं है कि सरकार किस तरह से दब्बूपन के साथ चीन से इस मामले में डील कर रही है?


ऐसा लग रहा है कि आरएसएस इतने भर से खुश है कि भाजपा की सरकार ने उसके दशकों पुराने एजेंडे को पूरा कर दिया। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया। राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के मौके पर संघ प्रमुख को जो जगह मिली और जैसा सम्मान मिला उसके बाद लगता है कि संघ ने आंख बंद करके मोदी पर भरोसा किया है। अब मोदी सरकार जो करेगी उसे संघ का समर्थन होगा!




पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने गहलोत सरकार पर साधा निशाना, कहा- वोट का हक नहीं

 जयपुर। प्रदेश में बढ़ते अपराधों को लेकर एक बार फिर से बीजेपी  ने राज्य सरकार पर हमला बोला है। पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत  ने प्रदेश में बढ़ते अपराधों को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कानून व्यवस्था अगर पुख्ता नहीं होगी तो शहरी जीवन सुखद नहीं होगा।


राजपाल ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर खराब होता है तो सिविलाइजेशन खत्म हो जाता है। प्रदेश में 22 महीने से कांग्रेस की सरकार है, जिसमें लगातार अपराध बढ़ रहे हैं। राजपाल सिंह ने आरोप लगाया कि लॉ एंड ऑर्डर को लागू करने की जिम्मेदारी जिन एजेंसी पर है उनसे अपनों की जासूसी करवाने का काम करती रही। पिछले 22 महीनों में राजस्थान में पौने पांच लाख से ज्यादा अपराधिक मामले दर्ज हुए हैं। दलितों के खिलाफ अपराध के 12000 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में राजस्थान नंबर दो पर है।




पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने कहा कि जहां पर अपराध बढ़ जाएं वहां विकास कैसे संभव हो सकता है? शेखावत ने तंज कसते हुए कहा कि राजस्थान में लगता है होम मिनिस्टर और फाइनेंस मिनिस्टर नहीं हैं। वहां विकास की बात करना अपने आप ने मजाक है। उन्होंने कहा कि जयपुर का ट्रैफिक प्लान भी बनाया जाना चाहिए।


शेखावत ने आरोप लगाया कि सरकार के पास जेडीए और नगर निगम में  तनख्वाह देने तक के लिए बजट नहीं है। उन्होंने कहा कि तनख्वाह देने के लिए प्रॉपर्टीज बेची जा रही हैं। 22 महीने में लैंड पूलिंग एक्ट में आज तक काम नहीं हुआ। पिछले 22 महीने में एक नया प्रोजेक्ट सरकार नहीं लेकर आई है। यहां तक कि मुख्यमंत्री आवास योजना में जो मकान बने हैं, उनका आवंटन तक नहीं हुआ।


भाजपा प्रत्याशी जितेंद्र श्रीमाली को अधिकाधिक वोटों से जिताने का किया आह्वान

 


जयपुर। नगर निगम ग्रेटर वार्ड 150 के चुनाव कार्यालय में आज पूर्व केंद्रीय मंत्री पी पी चौधरी ने क्षेत्र के अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस ने सदैव ही बांटने का कार्य किया है। जयपुर शहर को भी दो निगम में बांटकर कांग्रेस ने अपने इतिहास को दोहराया है। साथ ही कांग्रेस पार्टी ने वार्ड बनाने में भी गड़बड़ की है। इसलिए जनता में कांग्रेस के प्रति रोष व्याप्त है। कांग्रेस के कार्यकाल में पिछले 18 महीने में कोई विकास कार्य नहीं हुए हैं। कांग्रेस का कार्यकर्ता संस्कारवान नहीं होता, ऐसा देश की जनता मानती है। कांग्रेस पार्टी अंतरकलह से जूझ रही है। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता राष्ट्रवाद पर चलता है।


 पी पी चौधरी ने कहा कि चुनाव में अधिकाधिक जनसंपर्क करना है क्योंकि यह चुनाव हम सब का चुनाव है।बैठक को संबोधित करते हुए वार्ड 150 के प्रत्याशी जितेंद्र श्रीमाली ने कहा कि हमारे वार्ड में एस एम एस हॉस्पिटल, जेके लोन हॉस्पिटल, रामनिवास बाग, सेंट्रल पार्क, महाराजा कॉलेज, महारानी कॉलेज सहित अनेक महत्वपूर्ण केंद्र हैं। हम इस वार्ड को प्रदेश का सबसे सुंदर एवं स्वच्छ वार्ड बनाएंगे।


 बैठक को संबोधित करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता अखिल शुक्ला ने कहा कि जितेंद्र श्रीमाली संघर्ष का दूसरा नाम है। जितेंद्र श्रीमाली सदैव ही सेवा के लिए तत्पर रहने वाले कार्यकर्ता का नाम है। वरिष्ठ अधिवक्ता योगेंद्र सिंह तंवर ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि जितेंद्र श्रीमाली को टिकट मिलना अधिवक्ताओं के लिए भी गर्व का विषय है।  इसलिए हम सब पर इस चुनाव की विशेष जिम्मेदारी है

सोमवार, 26 अक्टूबर 2020

बीजेपी ने जारी किया विजन डॉक्यूमेंट

 जयपुर। नगर निगम चुनाव  के लिये बीजेपी ने सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर जारी करने के बाद अब अपना विजन डॉक्युमेंट  जारी किया है। इसे संकल्प-पत्र का नाम दिया गया है। 40 बिंदुओं के इस संकल्प पत्र में नगर निगमों के विकास की रूपरेखा  बताई गई है। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने इस संकल्प पत्र को गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में जारी किया।


प्रदेश के 3 शहरों जयपुर, जोधपुर और कोटा के 6 नगर निगम के चुनावों में बीजेपी ने इनके विकास की रूपरेखा अपने विजन डॉक्यूमेंट के जरिए जाहिर की है। बीजेपी ने 40 बिंदुओं के विजन डॉक्यूमेंट में नगर निगमों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ में शहरों का समुचित रूप से विकास किये जाने का वादा किया है। इसमें कच्ची बस्तियों के पट्टे जारी करने से लेकर करोना काल में स्टूडेंट्स की फीस माफ करने वाले स्कूलों भवनों का यूडी टैक्स नहीं लिए जाने तक की बात कही गई है। इसमें जयपुर में 4.0 टेक्नोलॉजी का शुरू करने का भी जिक्र किया गया है। बीजेपी ने दावा किया है कि पार्टी का बोर्ड बनने पर नागरिकों की लाइफ को बेहतर बनाया जाएगा।


ये हैं विजन डॉक्यूमेंट के प्रमुख बिन्दु


- प्रत्येक नगर निगम को आत्मनिर्भर आधुनिक कुशल भारत की संकल्पना के आधार पर रोल मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा।


- कोरोना काल में विद्यार्थियों की फीस माफ करने वाले स्कूलों से यूडी टैक्स नहीं लिया जाएगा।


- कोरोना काल के 4 माह का बिजली का बिल माफ कराया जाएगा।


- प्रत्येक कॉलोनी में सड़क और वार्डों में सामुदायिक भवन पार्क को थीम के आधार पर विकसित किया जायेगा।


- जयपुर समारोह को फिर से शुरू किया जाएगा।


- नगरीय बस किराये में कमी कर ई-बसों का संचालन केंद्र सरकार के सहयोग से किया जाएगा।


- सीनियर सिटीजन को मुफ्त यात्रा का लाभ दिया जाएगा और महिलाओं को यात्रा में रियायत दी जाएगी।


- मोहल्ला विकास समितियों की भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी।


- रामलीला और कृष्ण लीला एवं सांस्कृतिक आयोजनों के लिए अनुदान व प्रोत्साहन दिया जाएगा।



हर बार ब्यूरोक्रेट्स पर भारी पड़े 'मंत्री महोदय'


 जयपुर। प्रदेश में एक बार फिर मंत्री और ब्यूरोक्रेट्स आमने-सामने हो गये हैं। इस बार विवाद गहलोत सरकार के कद्दावर मंत्री शांति धारीवाल और अजमेर की संभागीय आयुक्त आरुषि मलिक के बीच अधिकारों को लेकर हुआ है। इस पर मंत्री ने संभागीय आयुक्त के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंत्रियों से भिड़ने वाले ब्यूरोक्रेट्स पर अक्सर तबादले की गाज गिरती रही है. विवादों में रहने वाले अफसरों का तबादला कर दिया जाता है। नये घटनाक्रम में भी इससे इनकार नहीं किया जा रहा है। क्योंकि गहलोत सरकार का अब तक का इतिहास यही रहा है।


इन मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स में हो चुकी है भिड़ंत


IAS श्रेया गुहा Vs पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह- पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह लगातार ब्यूरोक्रेट्स को अपने निशाने पर लेते रहे हैं। भरतपुर से लेकर जयपुर में पर्यटन विभाग तक के अफसरों से विवाद के कारण वे हमेशा सुर्खियों में बने रहे हैं। उनका आरटीडीसी में टेंडर को लेकर ब्यूरोक्रेट्स को लेकर विवाद काफी सुर्खियों में रहा था। उन्होंने पूर्व एमडी एच गुइटे की विदेश यात्रा तक निरस्त करवा दी थी। उसके बाद गुइटे को आरटीडीसी से हटवा दिया। वहीं पर्यटन विभाग की प्रमुख सचिव श्रेया गुहा और तत्कालीन पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बीच भी विवाद हो चुका है। मंत्री की ओर से लगाए आरोपों के बाद राज्य सरकार ने गुहा को पर्यटन से हटाकर वन एवं पर्यावरण विभाग में भेज दिया था।


IAS नरेशपाल गंगवार Vs मंत्री उदयलाल आंजना- प्रमुख सचिव सहकारिता रहते हुए आईएएस नरेशपाल गंगवार और मंत्री उदयलाल आंजना के बीच कंट्रोवर्सी हुई। उसके बाद गत जुलाई में गंगवार को सहकारिता से हटाकर उद्योग विभाग में लगा दिया गया।

IAS राजेश यादव Vs परिवहन मंत्री प्रताप सिंह- परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव एवं आयुक्त राजेश यादव और मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बीच काफी समय तक अनबन रही। इसके चलते सरकार ने राजेश यादव को परिवहन से हटाकर जलदाय विभाग में लगा दिया।



IAS मुग्धा सिन्हा Vs पूर्व मंत्री रमेश मीणा- खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की पूर्व सचिव मुग्धा सिन्हा और तत्कालीन मंत्री रमेश मीणा के बीच भी पटरी नहीं बैठी। इसके बाद मुग्धा को सिन्हा को वहां से हटा दिया गया।


IAS समित शर्मा Vs मंत्री रघु शर्मा- एनएचएम के तत्कालीन निदेशक समित शर्मा और स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के बीच नियुक्तियों को लेकर विवाद हुआ। उसके बाद समित शर्मा को वहां से हटाया गया।


IAS मंजू राजपाल Vs मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा- मंजू राजपाल के शिक्षा विभाग में रहते हुए उनकी शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से लंबे समय तक कागज खरीद को लेकर अनबन चलती रही थी। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने मंजू राजपाल को वहां से हटा दिया।


IAS दिनेश कुमार Vs मंत्री प्रमोद जैन भाया- माइंस के मामलों को लेकर खान विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव दिनेश कुमार और मंत्री प्रमोद जैन भाया के बीच विवाद भी काफी चर्चित रहा। इसके चलते महज छह माह में ही दिनेश कुमार का ट्रांसफर कर दिया गया।


IAS राजेश्वर सिंह Vs IAS आरुषि मलिक- पंचायतीराज विभाग के तत्कालीन एसीएस राजेश्वर सिंह और 2005 बैच की आईएएस एवं विशेष सचिव आरुषी मलिक के बीच कई मामलों को लेकर विवाद हुआ। उसके बाद राज्य सरकार ने दो बार में दोनों ही अफसरों को हटा दिया।


विवादों के चलते ये अफसर भी हटाए गए


सीकर के तत्कालीन कलेक्टर यज्ञमित्र सिंह देव, आरटीडीसी के तत्कालीन एमडी डा. कुंजबिहारी पांड्या, चूरू के तत्कालीन कलेक्टर संदेश नायक, बाड़मेर के तत्कालीन कलेक्टर हिमांशु गुप्ता और अंशदीप तथा कोटा के तत्कालीन कलेक्टर ओमप्रकाश को हटा दिया गया था।


निगम चुनाव: बीजेपी-कांग्रेस के घोषणा-पत्रों से गायब हुए वसुंधरा राजे और सचिन पायलट

 


जयपुर। नगर निगम चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी  घोषणा पत्र जारी कर चुकी है। जितने विवाद घोषणा-पत्र में शामिल मुद्दों को लेकर हैं, उतना ही विवाद अब इन पर छपे नेताओं की तस्‍वीरों को लेकर हो गया है। बीजेपी के घोषणा-पत्र पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे  का फोटो नहीं है। उधर, कांग्रेस के घोषणा-पत्र से सचिन पायलट  की तस्‍वीर गायब है। कांग्रेस के घोषणा-पत्र में सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के फोटो हैं।


परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बीजेपी के विजन डॉक्युमेंट पर निशाना साधते हुए कहा है कि इसमें पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की तस्‍वीर नहीं है। घोषणा-पत्र में वसुंधरा राजे का फोटो न होने का मतलब यह है वह उनके विजन को नहीं मानती हैं। कांग्रेस के घोषणा-पत्र पर सचिन पायलट का फोटो नहीं होने के बारे में खाचरियावास ने कहा कि सचिन पायलट अभी प्रदेशाध्यक्ष नहीं हैं जो उनका फोटो लगाते। वे सीएम भी नहीं रहे। पायलट इनमें से किसी पद पर होते तो फोटो लगता।



विजन डॉक्युमेंट में किए गए वादों पर सवाल


बीजेपी की ओर से सोमवार को जारी विजन डॉक्युमेंट में किए गए कई वादों पर सवाल उठ रहे हैं। बीजेपी के घोषणा-पत्र में बहुत से वादे ऐसे हैं जो सरकार के स्तर पर पूरे किए जाने वाले हैं। उनमें नगर निगम कुछ नहीं कर सकता। प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा विजन डॉक्युमेंट के नाम पर बीजेपी झूठ का पुलिंदा लेकर आई है। कांग्रेस के संकल्प-पत्र से बहुत से बिंदु कॉपी किए गए हैं। जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र ऑनलाइन बनाने का वादा विजन डॉक्यूमेंट में किया गया है, जबकि यह सेवा पहले से ही ऑनलाइन है।


खाचरियावास बोले- बीजेपी के नेता अपडेट नहीं


खाचरियावास ने कहा कि बीजेपी के नेता अपडेट नहीं हैं। बीजेपी का डॉक्यूमेंट उनकी हार की हताशा को दर्शा रहा है। केंद्रीय मंत्री से झूठ का पुलिंदा जारी करवाया गया है। कांग्रेस सरकार के किए हुए कामों को विजन डॉक्यूमेंट में गिनवा दिया गया। कई ऐसे वादे कर लिए जो राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।


शनिवार, 24 अक्टूबर 2020

सतीश पूनिया का 56वां जन्मदिन बना शक्ति प्रदर्शन का अखाड़ा


 जयपुर। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया  के 56 वें जन्मदिन को बीजेपी द्वारा प्रदेशभर में ‘‘सेवा सप्ताह’’ के रूप में मनाया गया। सेवा सप्ताह के तहत पार्टी के जनप्रतिनिधियों एवं कार्यकर्ताओं द्वारा प्रदेशभर के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के 56 सेवा कार्य किए।


राजनीति में जन्मदिन का असली मकसद कई बार अपने समर्थकों की ताकत दिखाना होता है और सेवा कार्य सप्ताह के जरिए पूनिया ने भी संगठन पर अपनी पकड़ और अपने कार्यकर्ताओं की ताकत दर्शाने की कोशिश की।

पूनिया के जन्मदिन पर जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक प्लाज्मा डोनेशन जागृति अभियान द्वारा प्लाज्मा डोनेट किया गया। प्लाज्मा डोनेट करने वाले युवाओं का हौसला बढ़ाने सतीश पूनिया खुद सवाई मानसिंह अस्पताल पहुंचे।



पूनिया के जन्मदिन पर बीजेपी प्रदेश कार्यालय में वृक्षारोपण कार्यक्रम, स्वच्छता पात्र वितरण, एसटी मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र मीणा एवं कार्यकर्ताओं द्वारा हवन कार्यक्रम और 56 किलो मिठाई का वितरण भी किया गया। सीकर रोड़ स्थित  गार्डन में जयपुर उत्तर महिला मोर्चा द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में 100 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया। किसान मोर्चा द्वारा 56 किलो मिठाई का वितरण किया गया। आईटी विभाग के संयोजक अविनाश जोशी एवं कार्यकर्ताओं ने 56 किलो रसगुल्ले भी बांटे।


सेवा सप्ताह कार्यक्रम में बीजेपी के युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, किसान मोर्चा, अल्पसंख्यक मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, अनुसूचित जाति मोर्चा एवं अनुसूचित जनजाति मोर्चा द्वारा प्रदेशभर में सेवा कार्य कर प्रमुख भूमिका निभाई।


बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के जन्मदिन पर पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा चलाये जा रहे सेवा सप्ताह कार्यक्रम के दौरान स्वच्छता पात्रों का वितरण ‘‘स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत’’ के संदेश के साथ प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के हाथों से किया गया, जिसमें प्रदेश मीडिया सह-प्रभारी नीरज जैन, युवा मोर्चा प्रदेश महामंत्री राजेश गुर्जर, युवा मोर्चा पूर्व प्रदेश महामंत्री हेमंत लाम्बा, पूर्व मीडिया सह-संयोजक लोकेश जोशी उपस्थित रहे।



सेवा सप्ताह कार्यक्रम के दौरान बीजेपी के सभी मोर्चों द्वारा प्रदेशभर में 11 लाख वृक्षारोपण, 1 लाख तुलसी के पौधे घर-घर में लगाये गये। साथ ही https://cutt.ly/SPHBDSankalp  लिंक पर क्लिक कर ऑनलाइन माध्यम से 1 लाख रक्तदान संकल्प पत्र भी भरवाए गए।




 

बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले,29 प्रत्याशी 6 साल के लिए निष्कासित


 जयपुर। प्रदेश के 3 शहरों के 6 नगर निगम चुनाव  में बीजेपी (BJP) से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले, ऐसे प्रत्याशियों को पार्टी ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। प्रदेश बीजेपी  मुख्यालय में प्रदेश महामंत्री और विधायक मदन दिलावर ने जयपुर के दोनों निगम नगर निगम के बागी प्रत्याशियों के खिलाफ कार्रवाई का ऐलान किया।


बीजेपी (BJP) ने इन बागियों को 6 साल के लिए निष्कासित किया है। जयपुर हेरिटेज में 16 बागी प्रत्याशियों का निष्कासन हुआ है, वहीं, जयपुर ग्रेटर में 13 बागी प्रत्याशियों का निष्कासन हुआ है।




जयपुर हेरिटेज में 16 बागियों का हुआ निष्कासन 


वार्ड नंबर 3 नरेंद्र सैनी विजय राज शर्मा


वार्ड नंबर 17 पुष्पेंद्र टेलर वार्ड


नंबर 18 अमिता कुमावत


वार्ड नंबर 33 तनुज गुप्ता


वार्ड नंबर 56 लक्ष्मी देवी


वार्ड नंबर 58 रिंकी चौधरी


वार्ड नंबर 62 रुकसाना


वार्ड नंबर 65 जाफर 


वार्ड नंबर वार्ड नंबर 69 नरेश ब्रह्मभट्ट


71 राजेश गुर्जर


वार्ड नंबर 74 कुसुम यादव


वार्ड नंबर 74 अजय यादव


वार्ड नंबर 93 नीता खेतान भाजपा से निष्कासित


जयपुर ग्रेटर में 13 बागियों का हुआ निष्कासन


वार्ड नंबर 16 मीना मूर्तिकार


वार्ड नंबर 18 राजेंद्र 


वार्ड नंबर 124 आशा शर्मा 


वार्ड नंबर 125 कांता शर्मा


वार्ड नंबर 126 धर्मा चौधरी


वार्ड नंबर 149 स्वाति परनामी


वार्ड नंबर 51 रेणुका कवर


 वार्ड नंबर 150 संजीव शर्मा


 वार्ड नंबर 4 मीनाक्षी सैनी


वार्ड नंबर 13 रणजीत राजावत


 वार्ड नंबर 16 विजयलक्ष्मी ग्रोवर


वार्ड नंबर 53 गजेंद्र सिंह


वार्ड नंबर 14 विनोद महला का निष्कासन

 


मैं रबड स्टैंप अध्यक्ष नहीं हूं -गोविंद डोटासरा


जयपर। प्रदेश में पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य के चुनाव सिंबल पर ही कराए जाएंगे। राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जयपर में मीडिया से वार्ता के दौरान कहा कि चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी तैयार है और जनता कांग्रेस सरकार के कामकाज पर मुहर लगाएगी। इससे पहले ये चर्चा चल रही थी कि राज्य सरकार इन संस्थाओं के चुनाव सिंबल के आधार पर नहीं कराना चाहती है। इस बारे में मंत्रिपरिषद की बैठक में भी विचार हुआ था। अब यह तय हुआ हैं कि चुनाव सिंबल पर ही होंगे। डोटासरा ने जयपुर सहित 6 निगमों के चुनाव में कांग्रेस के बागियों को लेकर कहा कि कमेटी की सिफारिश के आधार पर बागियों पर कार्रवाई की जाएगी।


कांग्रेस पार्टी द्वारा नगर निगम चुनाव 2020 तैयारी के साथ लड़ा जा रहा है लेकिन मौजूदा स्थित में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अभी तक अपनी कार्यकारिणी की घोषणा नहीं की। इस पर मीडिया ने सवाल पूछते हुये कहा कि गहलोत और पायलट की लड़ाई में कहीं आप रबर स्टैंप अध्यक्ष बनकर तो नहीं रह गये हो। इस पर डोटासरा ने जवाब देते हुये कहा कि मैं 1980 में एनएसयूआई में आया था। यूथ कांग्रेस, जिला कांग्रेस कमेटी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी और आज प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष और तीन बार विधायक रह चुका हूं।


डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस का कार्यकर्ता मेरे साथ ही नहीं बल्कि सबके साथ जुड़ा हुआ है।निवर्तमान कार्यकारिणी जो बनी हुई वह वर्तमान में निश्चित रूप से पूरी जीजान से कार्य कर रही है। कांग्रेस के कार्यकर्ता गांव,गली,मोहल्ले और ढाणी में जाकर सरकार के कार्यों की उपलब्धि बता रही है तो वहीं उनकी समस्या का भी समाधान कर रही है।


शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020

दरबारी परतों का गरुण पुराण

 


दशहरा और सियासत भी दशानन है कि नहीं, मैं नहीं जानता। लेकिन इतना ज़रूर जान गया हूं कि राजनीति का धड़ तो एक होता है, मगर उसके कंधे पर, ज़्यादा नहीं तो, कम-से-कम दो सिर तो होते ही हैं। एक, जन-राजनीति का। दूसरा, दरबारी-राजनीति का। सो, अगर आपको सियासी-काया का हिस्सा बनना है तो इनमें से किसी एक प्रवेश द्वार का सहारा लेना होगा।


जन-राजनीति का प्रवेश द्वार ख़ासा चौड़ा है। उसमें शुरुआती प्रवेश आसान है। लेकिन उसके भीतर की राह अनंत है। चलते रहिए, चलते रहिए, लड़ते रहिए, भिड़ते रहिए। दरी बिछाने से शुरू कर के एक दिन कहीं पहुंच गए तो पहुंच गए। पहले बिना पारिवारिक परिचय पत्र के भी आपको किसी ठिए पर सुस्ताने का मौक़ा मिल जाया करता था, मगर अब मुश्क़िल है। पहले बिना खन-खन के भी आपको रास्ते की किसी सराय में ज़गह मिल जाया करती थी, मगर अब मुश्क़िल है।


दरबारी-राजनीति का प्रवेश द्वार बेहद संकरा है। उसमें आरंभिक पैठ आसान भी नहीं है। उसके चप्पे-चप्पे पर जड़-मूर्ख दरबान चस्पा रहते हैं। लेकिन प्रवेश द्वार के बाद की राह असीम नहीं, ससीम है। आप में चलने का हुनर हो तो, बस, पहुंचे ही समझो। रास्ते में मारधाड़ है। लेकिन वह जन-राजनीति के मैदान की तरह फ़र्रुख़ाबादी नहीं, मोल-भाव वाली है। एक-दूसरे की पीठ खुज़लाते रहिए, मंज़िल हासिल हो ही जाएगी।


दरबार हमेशा से रहे। मगर एक ज़माने में दरबारों में भी प्रवेश की पात्रता-रेखा या तो जन-राजनीति में आपका प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव हुआ करता था या फिर सियासत से इतर ऐसी सकारात्मक विधाओं में आपकी हुनरमंदी, जिससे राजनीति की काया स्वस्थ रखी जा सके। लेकिन वह ज़माना जब था, तब था। ‘यथा राजा, तथा प्रजा’ तो हम बचपन से सुनते आए हैं। खुले मैदानों में तो ऐसे बहुत-से प्रजा-जन हमेशा से मौजूद रहे हैं, जो ‘यथा राजा’ होने से इनकार करते रहे हैं। मगर दरबारी-प्रजा होने की तो पहली शर्त ही ‘यथा राजा’ होना है। दरबारों में विदुरों को तो अपने हाल पर अंततः झींकना ही होता है।


ऐसा नहीं है कि दरबारों में भाट पहले नहीं होते थे। अपना अहं सहलाने के लिए भाटों की ज़रूरत किस राजा को नहीं पड़ती? सो, इक्कादुक्का भाट हर दरबार में हुआ ही करते थे। मगर आज बिना भाट हुए आप दरबार में आसंदी पा ही नहीं सकते। आसंदी शब्द ज़रा ग़लत हो गया। वह भी गुज़रे ज़माने की बात है कि भाट को भी दरबार में बैठने की ज़गह मिलती होगी। अब, एक तो भाटगिरी का परचम अपने माथे पर बांधे बिना आपको कोई दरबार का प्रवेश-पत्र देगा ही नहीं और भीतर के सबसे बाहरी गलियारे में पहुंच भी गए तो धक्कामुक्की कर के खड़े रहने भर की ज़गह मिल जाए तो अपनी क़िस्मत पर कुछ वक़्त इतरा लीजिए।


कुछ वक़्त इसलिए कि जन-राजनीति में, चाहे कुछ भी हो, जनता तय करती है कि आपके कंधे पर कितने सितारे टंकेंगे और कब तक टंके रहेंगे। दरबारी-राजनीति में तो मोगेंबो ख़ुश हो जाए तो अपना नौलखा हार आपकी तरफ़ फेंक दे और उसका ज़ायका ख़राब हो जाए तो म्यान से तलवार निकाल ले। सो, जब तक अपना भाटपन सहेजे रखेंगे, मज़ा लीजिए। लेकिन यह मज़ा भी बिना नींद गवांए नहीं मिलेगा। क्योंकि जब सब ही भाट हैं तो भाटों की अपनी होड़ है। हर रोज़, हर एक से बेहतर, भाटगिरी करने का विज्ञान जिन्हें आता है, वे थोड़े दीर्घजीवी हो जाते हैं। बाक़ी तो क्षणभंगुर भर हैं। भाट-शिरोमणि का ओहदा हासिल करने के चक्कर में मैं ने कइयों को घिनघिनाती रंक-गति को प्राप्त होते हुए देखा है।


दरबार भी हज़ारों हैं। दरबारों की भी परतें हैं। शिखर-दरबार में प्रवेश के लिए भी तरह-तरह के दरबारों का फेरा है। सो, पहले आपको एक ऐसे दरबार का चारण-सदस्य बनना होगा, जो दरबार-महासंघ का हिस्सा है। अगर कहीं आप किसी ऐसे दरबार में घुस कर प्रसन्न हो रहे हैं, जो टापू-दरबार है तो आपकी प्रसन्नता जल्दी ही काफ़ूर हो जाएगी। टापू की सीमाओं के बाहर जिस दरबार की कोई पूछ-परख नहीं, उसके दड़बे में आप कितने ही बड़े पहलवान हों, आपका जीवन व्यर्थ है। दरबार तो वही है, जिसे दरबार-महासंघ की मान्यता प्राप्त है। महासंघ से बाहर का दरबार भाड़ भले ही झोंकता रहे, उसका चना फूटेगा कभी नहीं।


सो, एक दरबार का बादशाह दूसरे दरबार का दुमछल्ला है। वह अपने दरबार में हुंकार भरता है और दूसरे दरबार में जा कर चिलम। अपने से कमज़ोरों के सामने दोनों हाथ कमर पर बांध कर गर्दन बाईं तरफ़ टेढ़ी कर के चलने लगता है और अपने से मज़बूत के सामने दोनों हाथ सामने बांध कर गर्दन दाईं तरफ़ लटका कर खड़ा हो जाता है। अपनी इसी देह-भाषा की महारत के चलते वह एक दिन चलते-चलते मनचाही मंज़िल हासिल भी कर लेता है।


सुल्तानी और दुमछल्लीकरण का यह खेल राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर तक चलता है। इसीलिए आप एक राष्ट्र-राज्य के ऐंठू शासक को किसी दूसरे मुल्क़ के हुक़्मरान के सामने दुम हिलाते देखने तक को अभिशप्त हैं। आजकल ज़माना चूंकि सीधे-सीधे गुलाम बनाने का नहीं है, इसलिए यह काम दोस्त बनाने के बहाने होता है। राज्य कितना ही मज़बूत हो, उसकी प्रजा कितनी ही ग़ैरतमंद हो, लेकिन अगर उसका राजा हर तरह के बौनेपन की गठरी हो, तो नए वैश्विक संसार में, वह घनघोर स्वार्थी संस्कारों से लबरेज़ किसी दूसरे राज्य के, धन्ना-शासक से अपनी ‘मित्रता’ की ज़ाहिर सूचना छपवाने के लिए मारा-मारा फिरता है। वह हमें यह बताने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखता कि हज़ारों मील दूर के एक वैश्विक दरबार में उसने कैसी पैठ कर ली है।


अपना सारा भावनात्मक-शील और मानसिक-सतीत्व खो कर जिन्होंने देसी-परदेसी दरबारों में ज़गह बना ली है, आइए, उनका अभिवादन करें! उनके त्याग पर न्योछावार हों! क्योंकि अपनी छाती पर पता नहीं कितने-कितने पत्थर रख कर जिन्होंने ख़ुद के लिए परमवीरता और उल्लास के ये क्षण हासिल किए हैं, वे अभिनंदनीय हैं। वे आपकी तरह धूप में नंगे पांव चल कर अपने काम में लगे रहने की क़ोशिश नहीं कर रहे हैं। वे आप से ज़्यादा परिष्कृत हैं। इसलिए आप उनके संसार से बहिष्कृत हैं। आप उन्हें यह नहीं समझा सकते कि निष्ठाएं अच्छे जीवन के लिए ज़रूरी तो हैं, मगर उनकी सार्थकता व्यक्तियों के प्रति नहीं, मुद्दों के लिए होने में है।


जो लोकतंत्र के आंगन में दंड पेल रहे हैं और जानते हैं कि समय स्व-साथ का है, उनकी ज्ञान की चोंच के सामने आपका सब स्वाध्याय निरर्थक है। आपको लगे तो लगे कि उन्होंने धांताली मचा रखी है। उन्हें आपसे क्या? वे सिर्फ़ स्वयं के साथ हैं। बाक़ी किसी के नहीं। जिस दरबार में खड़े हैं, उसके शहंशाह के भी नहीं। वे बादशाह को अपनी देह-मुद्राओं से भरमाने का हुनर रखते हैं। वे सुल्तान को अपनी शीरीं ज़ुबान से मोहित करने का फ़न जानते हैं। दरबार के इंद्र को तो अदाओं पर मुग्ध होने की आदत होती ही है। बड़े-से-बड़ा योद्धा भी इंद्रासन पर बैठते ही पिलपिल हो जाता है। वह अपना असली स्वभाव भूल जाता है। उसे भुलावे में रहने में आनंद आने लगता है। उसे भुलावे में रखने वालों को भी आनंद आने लगता है। फिर जन-राजनीति के नियम भी आजकल दरबार से तय होने लगे हैं। इसीलिए हमारे जनतंत्र का सूरज अब नीचे से ऊपर की तरफ़ नहीं, ऊपर से नीचे की तरफ़ चढ़ता है। फिर भले ही इस उलटबांसी में वह एक दिन अस्तांचलगामी हो जाए। 


कोरोना का कहर राजधानी जयपुर में कब्रिस्तान हुआ फुल,नहीं बची जगह


 जयपुर। प्रदेश में कोराना  का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आलम ये है कि जयपुर  में कोरोना के कारण मौतों का शिकार होने वाले मुस्लिम समाज के लोगों के लिये तय किया गया कोविड कब्रिस्तान अब फुल  हो चुका है। शहर के घाटगेट कब्रिस्तान में जगह खत्म हो चुकी है। कमोबेश यही हालात शास्त्री नगर कब्रिस्तान के हैं। जबकि कोरोना से होने वाली मौतों का सिलसिला अब तेजी से बढ़ रहा है। जयपुर में अप्रैल माह में कोरोना से हुई मुस्लिम समाज के पहले व्यक्ति की मौत के बाद से अब तक यहां दो सौ से ज्यादा ऐसे शव दफनाए जा चुके हैं। अब दूसरे कब्रिस्तान के लिए वक्फ बोर्ड से लेकर मुख्यमंत्री तक सबसे गुहार लगाई जा रही है।

दरअसल प्रदेश में कोरोना का संक्रमण फैलने और उसके बाद हुई मौतों को देखते हुये जयपुर के घाटगेट कब्रिस्तान में कोरोना से मारे जाने वाले मुस्लिम समाज के मृतकों के जनाजों को दफनाने के लिए अलग से जगह दी गई थी. इसके काफी बड़े हिस्से में एक अलग कोविड कब्रिस्तान बनाया गया था। 5 अप्रैल को यहां पहला ऐसा जनाजा आया था जिसकी मौत की वजह कोराना थी। उसके बाद से ये सिलसिला लगातार जारी है। पिछले एक महीने में कोरोना से हुई मौतों के इतने ज्यादा जनाजे आए हैं कि यह कब्रिस्तान पूरी तरह से भर चुका है।

घाटगेट में अब तक 150 और शास्त्रीनगर में 50 जनाजे दफनाए 

घाटगेट कोविड कब्रिस्तान अब तक 150 शव दफनाये गये हैं। वहीं शास्त्री नगर कब्रिस्तान में भी 50 जनाजे दफनाए जा चुके हैं। पहले शव काफी दूर-दूर दफानाए गए थे। लेकिन अब मौतों की संख्या बढ़ने के बाद शवों को पास पास दफानाया जा रहा है। ऐसे में 11 फीट का गड्डा करना करना और सुरक्षा के मद्देनजर शव को बॉक्स कवर करके उसे दफनाने का काम काफी मुश्किल होता जा रहा है। हालात ये हो गये हैं कोरोना के कारण इस दुनिया से विदा होने वाले के लिये दो गज जमीन मुहैया कराना आसान काम नहीं रहा है।

आसपास की बची खुची जमीनों को भी काम में ले लिया गया है

कब्रिस्तानों के आसपास की बची खुची थोड़ी बहुत जमीनों को भी काम में ले लिया गया है। अब इस मामले में सीएम अशोक गहलोत से गुहार लगाई गई है। वहीं वक्फ मंत्री सालेह मोहम्मद और वक्फ चेयरमैन खानु खां बुधवाली को भी खत लिखे गए हैं। जल्द ही अगर कोई नया रास्ता नहीं निकाला गया तो वह दिन दूर नहीं जब शव कब्रिस्तान के बाहर दफनाने पड़ेंगे। जनाजों को दफनाने के लिए आनन फानन में कोई जगह खोजी जा रही है।


भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ जारी किया ब्लैक पेपर

 


जयपुर। प्रदेश के 3 शहरों के 6 नगर निगमों के चुनाव से पहले भाजपा  ने आज कांग्रेस  के खिलाफ ब्लैक पेपर जारी किया है। इसमें भाजपा ने जनता के सामने कांग्रेस सरकार  के 20 महीनों के कामकाज का ब्यौरा रखा है। भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर जारी किया। अब भाजपा नगर निगम चुनाव में अपना घोषणापत्र यानी विजन डाक्यूमेंट जल्द जारी करेगी।

कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश

ब्लैक पेपर के जरिए भाजपा ने सरकार को घेरने की कोशिश की है। भाजपा ने इस ब्लैक पेपर में बताया है कि कांग्रेस ने निगम व पालिकाओं में भ्रष्टाचार का समावेश किया है। कांग्रेस की अगुवाई में महिलाओं से दुष्कर्म जैसे अपराधों में प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है। दलितों पर अत्याचार के मामले में राजस्थान अव्वल बनने की ओर अग्रसर हुआ है। बच्चों के प्रति अपराध में 43 फीसदी की वृद्धि हुई है।

भाजपा के मुताबिक - ये हैं सरकार की कमियां

भाजपा ने कहा कि केंद्र सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा को स्मार्ट सिटी में शामिल किया था, लेकिन कांग्रेस की सरकार आते ही स्मार्ट सिटी के कार्यों पर विराम लग गया। कांग्रेस सरकार ने बिजली के बिलों में वृद्धि की है। भामाशाह योजना बंद कर गरीब का इलाज भी इस कांग्रेसी सरकार ने बंद कर दिया है। निकायों में अंबेडकर भवनों का निर्माण बंद है। इस सरकार ने अन्नपूर्णा रसोई बंद कर जरूरतमंदों के मुंह से निवाला छीना, भूख बढ़ाई। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के किए गए कामों का इस सरकार ने लोकार्पण करके योजनाओं को अपना बताने की कोशिश की। भाजपा के ब्लैक पेपर के अनुसार, इस सरकार ने जयपुर की द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट का नाश कर दिया। भाजपा सरकार ने टोल खत्म कर दिया था, लेकिन कांग्रेस ने फिर से शुरू कर गरीब जनता की जेब पर आर्थिक भार डाल दिया। बीजेपी का आरोप है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के साथ खिलवाड़ हो रहा है. गौशाला टैक्स के 12 सौ करोड़ वसूल कर भी नहीं दिया अनुदान। पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाया। कोरोना काल में अव्यवस्थाओं का आलम बना रहा। प्रदेश में बेरोजगारों की फौज खड़ी कर दी, 27 लाख बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ते का इंतजार है।


गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

खुद के कानून बनाने की कवायद में जुटी गहलोत सरकार

 


जयपुर। राजस्थान सरकार भी केन्द्रीय कृषि कानूनों  में बदलाव करने के लिए पंजाब की तर्ज पर विधानसभा सत्र बुलाकर विधेयक  लाने की तैयारी कर रही है। राज्य सरकार केन्द्रीय कृषि कानूनों में 4 बड़े बदलाव  की तैयारी में है। इसके लिये कृषि विधेयकों के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सरकार विधेयक तो ले आएगी, लेकिन इनके लागू होने में बहुत सी व्यवहारिक और वैधानिक बाधायें हैं। उनसे पार पाना राज्य सरकार के लिये बड़ी चुनौती होगी।


केन्द्रीय कानून में एमएसपी का यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का प्रावधान नहीं है। लेकिन राज्य में इसके लिए विधेयक लाकर प्रावधान किया जाएगा. एमएसपी पर खरीद का राज्य सरकार कानून में तो प्रावधान कर रही है। लेकिन इसके लिए बजट की व्यवस्था करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। अभी केंद्र सरकार ही एमएसपी पर खरीद करने का पैसा देती है।


ये तीन बड़े बदलाव भी राज्य सरकार करना चाह रही है


केन्द्रीय कानून में कृषि जिंसों के भंडारण की कोई स्टॉक लिमिट भी नहीं है. राज्य सरकार प्रस्तावित विधेयक में कृषि जिंसों पर स्टॉक सीमा का प्रावधान करेगी। तय सीमा से ज्यादा कोई भी अनाज या कृषि जिंसों का स्टॉक नहीं कर सकेगा. तीसरा बड़ा बदलाव संविदा खेती को लेकर है। राज्य सरकार संविदा खेती के तहत भी एमएसपी का रायडर जोड़ रही है। मतलब किसान की जमीन पर संविदा खेती करने वाली कंपनी या व्यक्ति को कम से कम एमएसपी जितनी रकम किसान को देनी होगी। यह प्रावधान भी केन्द्र के कानून में नहीं है। नये केन्द्रीय कानून में किसान और व्यापारी में विवाद होने पर एसडीएम या कलक्टर के पास अपील का प्रावधान है। किसान के लिये सिविल कोर्ट जाने का प्रावधान नहीं है। लेकिन राज्य सरकार मौजूदा कानून के अनुसार किसान के सिविल कोर्ट जाने के अधिकार को सुरक्षित रखने के साथ ही मंडी व्यवस्था को कायम रखने पर जोर दे रही है।


ये व्यवहारिक बाधायें भी हैं सामने


राज्य सरकार केंद्रीय कृषि कानूनों में बदलाव के लिए विधेयक तो विधानसभा में आसानी से पारित करवा लेगी, लेकिन इनके सामने बहुत सी कानूनी, राजनीतिक और व्यवहारिक बाधाएं आएंगी। क्योंकि केन्द्रीय कानून में राज्य बदलाव करता है तो उस विधेयक को एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है। सबसे पहले विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजना होगा। राज्यपाल के स्तर पर विधिक राय लेने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजना होगा। पहली बाधा तो यही है कि राज्यपाल ही इस विधेयक को रोक ले। राज्यपाल ने नहीं रोका और राष्ट्रपति के पास भेज दिया तो वहां से मंजूरी मिलना आसान नहीं होगा। राष्ट्रपति के लिए इस तरह के विधेयकों को मंजूरी देने के लिए कोई समय सीमा नहीं है। संविधान के प्रावधानों का हवाला देकर राष्ट्रपति चाहे तो इन विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार कर सकते हैं। या विधेयकों पर कई तरह के क्वेरीज करते हुए राज्य को फिर लौटा सकते हैं।