मंगलवार, 7 जुलाई 2020

राजस्थान में अभी तक नहीं हो पाईं हैं राजनीतिक नियुक्तियां, नेताओं को है इंतजार

जयपुर। राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कब खत्म होगा, ये एक ऐसा सवाल है जिसके जवाब का इंतजार कांग्रेस पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को है। राज्यसभा चुनाव  में कांग्रेस के कुनबे की ताकत का ही परिणाम था कि, पार्टी बड़ी आसानी से दोनों सीट जीतने में कामयाब रही।

इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  ने प्रदेश के सरकारी तंत्र को गति देने के मकसद से ब्यूरोक्रेसी का चेहरा पूरी तरीके से बदल दिया। अगस्त में निकाय चुनाव को देखते हुए जिला और उपखंड स्तर पर पार्षदों के मनोनयन और जिलों में बनी कमेटियों में सदस्य बनाने जैसी नियुक्तियां की जा रही हैं। लेकिन बड़ी राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार खत्म नहीं हुआ है। 

बता दें कि, कोरोना काल शुरू होने से पहले राजस्थान में विधानसभा से लेकर राज्य स्तर तक राजनैतिक नियुक्तियों को लेकर मंत्री और विधायकों से फीडबैक मांगा गया था। लेकिन नामों को लेकर सत्ता और संगठन में तालमेल नहीं बन पाया। पार्टी आलाकमान की तरफ से कोआर्डिनेशन कमेटी का गठन भी कर दिया गया। लेकिन कोआर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक में ही कोरम अधूरा रहने के चलते दूसरी बैठक ही नहीं हो पाई।

दरअसल, राजस्थान में अगर प्रदेश स्तर की नियुक्तियों की बात की जाए तो, सरकार को जन अभाव अभियोग निराकरण समिति, समाज कल्याण बोर्ड, उपाध्यक्ष 20 सूत्री कार्यक्रम, राजस्थान आवासन मण्डल, अल्पसंख्यक आयोग, मदरसा बोर्ड, राज्य महिला आयोग, डांग विकास बोर्ड, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राज्य क्रीड़ा परिषद, राजस्थान लोकसेवा आयोग, राज्य बुनकर सहकारी संघ लिमिटेड, पर्यटन विकास निगम, किसान आयोग, अनुसूचित जाति आयोग में नियुक्तियां करनी हैं।


इसके आलावा जोधपुर विकास प्राधिकरण, राज्य बीज निगम, पशु कल्याण बोर्ड, राज्य स्तरीय सलाहकार समिति श्रम विभाग, राजस्थान फाउंडेशन, राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग, राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग, साहित्य अकादमी, ऊर्दू अकादमी, भाषा-साहित्य व संस्कृति अकादमी, बृजभाषा अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, सिंधी भाषा अकादमी, सहकारी डेयरी फैडरेशन, वक्फ विकास परिषद, राज्य हज कमेटी, राज्य सहकारी भूमि विकास में नियुक्ति होनी है।

इसके साथ ही, बैंक लिमिटेड, सार्वजनिक प्रन्यास मण्डल, जनजाति आयोग, सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ वॉलंटरी सेक्टर, सीनियर सिटीजन बोर्ड, मगरा क्षेत्रीय विकास बोर्ड, भूदान बोर्ड, युवा बोर्ड, शिल्प एवं माटी कला बोर्ड, लघु उद्योग विकास निगम, नि:शक्तजन आयोग, गौ-सेवा आयोग, पशु पालक कल्याण बोर्ड, मेला प्राधिकरण, विमुक्त घुमंतू एवं अद्र्ध घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड, राज्य क्रीड़ा परिषद में नियुक्तियां करनी है।

वहीं, कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट  कैंप के बीच तालमेल नहीं बन पाया है। कई ऐसे बड़े नाम है जिन को लेकर दोनों ही कैंप की तरफ से आपत्ति है।  ऐसे में कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन एवं प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।


ऐसे में अब उम्मीद है कि, आलाकमान के निर्देशों के बाद राजस्थान में सत्ता और संगठन का तालमेल बेहतर बनाने में अविनाश पांडे कामयाब होंगे और कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियों का तोहफा जल्द मिल पाएगा।

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