बुधवार, 29 जुलाई 2020

भाजपा की बात मानेंगे नीतिश

बिहार में एनडीए की तीनों पार्टियों- जदयू, भाजपा और लोजपा के बीच गतिरोध बना हुआ है। यह गतिरोध कई बातों को लेकर है। तीनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारा नहीं हो पा रहा है। मनोनीत कोटे की विधान परिषद की 12 सीटों का बंटवारा करने में भी दिक्कत आ रही है। चुनाव समय पर कराने को लेकर भी असमंजस की स्थिति है। स्नात्तक क्षेत्र के विधान परिषद का चुनाव अटका है और गठबंधन की सहयोगी लोजपा के नेता लगातार सरकार के कामकाज को लेकर सवाल उठा रहे हैं। बिहार में जदयू के नेताओं का कहना है कि यह सब कुछ सीट बंटवारे से जुड़ा है। अगर विधानसभा की सीटों पर सहमति बन जाती है तो तत्काल ही सारे विवाद सुलझ जाएंगे। 

सबसे पहले शुरुआत विधान परिषद की सीटों से हो सकता है। मनोनीत कोटे की विधान परिषद सीटों में से एक सीट के प्रबल दावेदार भाजपा नेता का दावा है कि नीतीश कुमार को भाजपा की बात माननी पड़ेगी। भाजपा की बात यह है कि परिषद की 12 सीटों का बराबर बंटवारा हो और भाजपा अपने कोटे की एक सीट लोजपा को देगी। दूसरी ओर नीतीश की पार्टी चाहती है कि जदयू को सात और भाजपा को पांच सीट मिले। भाजपा अपने कोटे की इन पांच सीटों में से लोजपा को देना चाहे तो एक सीट दे सकती है। इस पर विवाद चल रहा है। भाजपा के एक जानकार नेता का कहना है कि इस समय नीतीश कुमार अब बहुत ज्यादा मोलभाव करने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि कोरोना और बाढ़ को लेकर जैसी स्थिति है, उसमें चुनाव आयोग के लिए चुनाव टालने का फैसला करना बहुत आसान है। एक बार चुनाव टला तो राष्ट्रपति शासन लगेगा और तब पहल नीतीश के हाथ से निकल जाएगी। फिर अधिकारियों की तैनाती से लेकर कामकाज के जरिए माहौल बनाने का केंद्र सरकार करेगी। फिर भाजपा ड्राइविंग सीट पर आ सकती है। इसलिए भाजपा को लग रहा है कि नीतीश परिषद की सीटों का बराबर बंटवारा करेंगे और विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियों की सीटों में ज्यादा का फर्क नहीं होगा।

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