भारत के कारोबारी जगत में वैसे रिलायंस का सितारा पिछले 40 साल से चमक रहा है पर पिछले पांच-छह साल में रिलायंस भारतीय कारोबारी आकाश का सबसे चमकदार सितारा बन गया है। वह ध्रुवतारा बन गया है। कंपनी के इतिहास में चार दशक में जो नहीं हुआ वह पिछले तीन से चार साल में हो गया है। धीरूभाई अंबानी और उनके दोनों बेटों के ‘परिश्रम’ से यह कंपनी तेजी से तरक्की कर रही थी पर यह तथ्य है कि रिलायंस को छह लाख करोड़ की कंपनी बनने में 40 साल लगे परंतु छह से 12 लाख करोड़ रुपए की कंपनी वह सिर्फ तीन साल में बन गई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज 2016-17 में छह लाख करोड़ की कंपनी बनी थी और अभी वह 12 लाख करोड़ रुपए की कंपनी है।
पिछले तीन-चार साल की विकास गाथा को छोड़ें और सिर्फ कोरोना काल में रिलायंस की तरक्की का हिसाब देखें तो आंकड़े होश उड़ा देने वाले हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से मार्च में लागू हुए लॉकडाउन के बाद से रिलायंस समूह की नेटवर्थ में 40 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। कंपनी के प्रमुख मुकेश अंबानी ने मार्च 2021 तक कंपनी को कर्जमुक्त करने का लक्ष्य रखा था पर वह लक्ष्य उन्होंने नौ महीने पहले ही हासिल कर लिया। कोरोना वायरस के संकट के बीच जब सारी दुनिया के उद्योगपतियों की संपत्ति घट रही थी और चारों तक निवेश ठप्प हो रहा था तब रिलायंस के जियो प्लेटफार्म को एक दर्जन निवेशकों से एक लाख 51 हजार करोड़ रुपए का निवेश मिला। यह अपने आप में एक रिकार्ड है। इसके अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज के राइट्स इश्यू से जो पैसे जुटाए गए हैं वो अलग हैं।
कंपनी से अलग मुकेश अंबानी की नेटवर्थ तो और भी तेजी से बढ़ी है। दुनिया के दूसरे या तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति वारेन बफे को इस वैश्विक महामारी के बीच डेढ़ लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है पर इसी वैश्विक महामारी के बीच मुकेश अंबानी को ढाई लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का फायदा हुआ है। पिछले ढाई महीने में मुकेश अंबानी की अपनी नेटवर्थ दोगुनी हो गई है। चालू वित्त वर्ष शुरू होने के बातद रिलायंस समूह के चेयरमैन मुकेश अंबानी की नेटवर्थ दो लाख 77 हजार करोड़ रुपए की थी, जो अभी बढ़ कर साढ़े पांच लाख करोड़ रुपए की हो गई है। यानी उनकी नेटवर्थ में 99 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह भी एक तथ्य है कि वे दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं और शीर्ष पांच में शामिल होने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। उनके अलावा भारत के जो शीर्ष पांच सबसे अमीर लोग हैं उनकी कुल नेटवर्थ अंबानी की नेटवर्थ के 25 फीसदी के बराबर भी नहीं है।
अब सवाल है कि मुकेश अंबानी ने यह चमत्कार कैसे कर लिया? कहां तो यह माना जा रहा था कि दुनिया में तेल का कारोबार कम मुनाफे वाला कारोबार बन रहा है और इससे मुकेश अंबानी को नुकसान होगा परंतु उलटा हो गया। पेट्रोलियम उत्पादों के कारोबार में कमजोरी के बावजूद मुकेश अंबानी आगे बढ़ गए। क्रोनी कैपिटलिज्म और सरकार से मिलने वाली सरपरस्ती अपनी जगह है पर मुकेश अंबानी ने बहुत पहले भांप लिया था कि पेट्रोलियम का कारोबार खत्म होने वाला है। बरसों पहले दुनिया के बेहद प्रतिष्ठित पत्रिका इकोनॉमिस्ट ने एक कवर स्टोरी की थी, जिसमें कहा था कि ‘डाटा इन न्यू ऑयल’। मुकेश अंबानी ने इस बात को पकड़ा और तेल छोड़ कर डाटा के खेल में कूद गए। उन्होंने उसी समय सऊदी अरब की कंपनी आरामको से शेयर बेचने का फैसला किया पर पेट्रोलियम बाजार में आई मंदी की वजह से वह डील रूक गई है।
इस बीच मुकेश अंबानी ने डाटा से जुड़े हर प्लेटफॉर्म पर अपने को स्थापित करना शुरू किया। मुकेश अंबानी ने भारी भरकम निवेश करके रिलायंस जियो लांच किया और देखते-देखते इसके 15 करोड़ के करीब उपयोक्ता हो गए। सस्ती सेवा और मुफ्त हैंडसेट के जरिए रिलायंस जियो ने बाजार में अपनी पहुंच बनाई। सरकारी कंपनी बीएसएनएल को खत्म करने के लिए उसके टावर का बिजनेस अलग करने का सरकार का फैसला रिलायंस के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुआ। यह भी संयोग ही है कि मोबाइल के बाजार में जो कंपनी वोडाफोन-आइडिया प्रतिद्वंद्वी हो सकते थे वे एजीआर पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से दिवालिया होने की कगार पर है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि वोडाफोन-आइडिया अपने रेंटल्स नहीं चुका पा रहे हैं और हर महीने उनके यूजर घट रहे हैं।
इसका कुल जमा नतीजा यह निकला कि मोबाइल और डाटा के बाजार में रिलायंस की चुनौती नाममात्र की रह गई। इसके साथ ही उसने ई-कॉमर्स का अपना प्लेटफार्म लांच कर दिया। फिर जैसे ही इस बाजार में मोनोपोली बनी वैसे ही दुनिया भर की कंपनियां उसमें निवेश के लिए टूट पड़ीं। दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों गूगल और फेसबुक ने उसमें निवेश किया है। अब जियो, गूगल और फेसबुक मिल कर डाटा, संचार, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स के प्लेटफॉर्म को नियंत्रित करेंगे। इससे एक तरह का एकाधिकार बन रहा है। कंपनी सस्ते हैंडसेट भी बनाएगी, सस्ता डाटा देगी, सस्ते टीवी बनाएगी, सस्ता डीटीएच भी देगी, जियोमार्ट पर सस्ते सामान भी देगी यानी क्या देखना है, क्या पढ़ना है, क्या सुनना है, क्या खरीदना है आदि सब रिलायंस नियंत्रित करेगा।
उनकी किस्मत चमकाने में सरकार की क्या भूमिका है यह बड़ा सवाल है। सरकार के कई फैसलों से रिलायंस को बड़ा फायदा हुआ पर उसकी बारीकी में न जाएं तो सिर्फ एक आंकड़े से भी पिछले छह साल की कहानी बयां हो जाती है। छह साल पहले 2014 में यानी यूपीए सरकार के आखिरी साल में मुकेश अंबानी की नेटवर्थ एक लाख 40 हजार करोड़ रुपए की थी और उस समय तक घटने का ट्रेंड था, पिछले करीब 11 साल का वह सबसे निचला स्तर था। 2015 से उनकी नेटवर्थ बढ़नी शुरू हुई और आज साढ़े पांच लाख करोड़ की है। यानी पिछले छह साल में मुकेश अंबानी की अपनी दौलत चार गुने से ज्यादा हो गई है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें