शनिवार, 18 जुलाई 2020

राजस्थान: गृह मंत्रालय ने फोन टैपिंग पर मांगी रिपोर्ट

जयपुर। राजस्थान  में सियासी संकट के बीच मंत्री और विधायकों के फोन टैपिंग  पर केंद्रीय गृह मंत्रालय  ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुख्य सचिव राजीव स्वरूप से रिपोर्ट मांगी है। दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय यह जानना चाहता है कि फोन टेप में किसी कानून का उल्लंघन हुआ है या नहीं। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा  ने गहलोत सरकार पर प्राइवेसी का हनन करने का आरोप लगाया था। हालांकि, गहलोत सरकार का कहना है कि फोन टैपिंग में सरकार की कोई भूमिका नहीं है। राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने फोन टैपिंग मामले की जानकारी नहीं होने की बात कही है। मुख्य सचिव राजीव स्वरूप का भी कहना है कि फोन टैपिंग मामले की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उल्लेखनीय है कि फोन टेपिंग में इस बात का खुलासा हुआ है कि गहलोत सरकार को गिराने के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा था।

केवल सार्वजनिक हित में फोन टेप की अनुमति

फोन टैपिंग करने की अनुमति केवल सार्वजनिक सुरक्षा के हित में दी जा सकती है। बांबे हाईकोर्ट ने 24 अक्टूबर 2019 को महत्वपूर्ण फैसला देते हुए अपने आदेश में कहा था कि केवल सार्वजनिक हित में ही फोन टेप किए जा सकते हैं। भारतीय संविधान में निजता का अधिकार नहीं है, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 19, 20 , 21 के अधिकारों में इसे शामिल किया गया है, जिसमें जीवन जीने के अधिकार में निजी स्वतंत्रता फ़ोन टेपिंग को अपराध मानते हुए सजा का प्रावधान है। 

3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान

फोन टेप का मामला साबित होने पर टेलीग्राफ एक्ट की धारा-26 में 3 साल तक सजा एवं जुर्माने का प्रावधान किया गया है। बीएसएफ, एनआईए, खुफिया एजेंसी रॉ को फोन टेप करने की अनुमति है। जांच एजेंसियों को फोन टेप के लिए गृह सचिव से अनुमति लेनी होती है। जांच एजेंसियां नियमों के तहत 2 महीने से अधिक किसी फोन को सर्विलांस पर नहीं रख सकती है। 2 महीने से अधिक सर्विलांस पर फोन रखने के लिए अनुमति लेनी होती है। गृह सचिव की अनुमति के बिना फोन को सर्विलांस पर रखने का प्रावधान नहीं है।

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