प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करते हुए दावा किया कि भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था ने कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों में दुनिया के सबसे अच्छी रिकवरी रेट को सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई को जन आंदोलन बना दिया। क्या यह सच है? बेशक भारत में रिकवरी रेट करीब 63 फीसदी है। मगर मगर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली और कर्नाटक ऐसे राज्य हैं जहां हर रोज हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं। कई राज्य कोरोना से लड़ने के लिए दोबारा लॉकडाउन लागू कर रहे हों तो कई राज्य शनिवार और रविवार को लॉकडाउन लगा रहे हैं। अब तक तीन राज्य-महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु ने देश भर में कोरोना वायरस के कुल मामले में आधे से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं। लेकिन भारत के विशाल ग्रामीण इलाके जो कि कोरोना से लड़ने के लिए बेहद कमजोर हैं वहां स्पष्ट रूप से महामारी बढ़ रही है। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत पहले से ही खराब है। अब कोरोना वायरस का दबाव इन व्यवस्थाओं पर अत्यधिक पड़ गया है। हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ आशीष झा के मुताबिक भारत के लिए आने वाले दिनों में तेजी से बढ़ते मामले मुख्य चुनौती बने रहेंगे।
भारत में अधिकांश मामले अब भी दर्ज नहीं किए गए हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों ने राज्यों की चिंता और बढ़ा दी है और वे दोबारा राज्यों और शहरों में लॉकडाउन लगाने लगे हैं। बेंगलुरू में पिछले मंगलवार से एक हफ्ते के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया। 13 करोड़ की आबादी वाले बिहार में भी कोरोना वायरस तेजी से पैर पसार चुका है और वहां इससे निपटने के लिए दो हफ्तों का लॉकडाउन लगाया गया है। बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से ही नाजुक है। उत्तर प्रदेश में भी मामलों को बढ़ता देख सरकार ने सप्ताहांत पर कर्फ्यू लगाना शुरू कर दिया है। यूपी में सप्ताहांत पर लगना वाला लॉकडाउन इस महीने के आखिर तक चलेगा। कई अन्य राज्य भी छोटे लॉकडाउन और कंटेनमेंट जोन का विस्तार कर रहे हैं। सरकारों की चिंता वायरस के फैलाव को रोकने के साथ-साथ आर्थिक गतिविधि भी चलाने की है। कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को संपूर्ण लॉकडाउन का एलान किया था। लॉकडाउन की वजह से देश को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है। साथ ही बड़े शहरों से प्रवासियों का पलायन भी देश में गंभीर मुद्दा बना।

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