जयपुर। कारगिल विजय दिवस के आज 21 साल पूरे हो गए हैं। 1999 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने इस युद्ध में विजय हासिल की थी। आज पूरे देश में कारगिल युद्ध में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी जा रही है।
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर मालवीय नगर में स्थित कैप्टन शहीद अमित भारद्वाज के समाधि स्थल पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। महिला आयोग की पूर्व चेयरमैन श्रीमती सुमन शर्मा।
कारगिल विजय दिवस पर हम अपने सशस्त्र बलों की वीरता को सलाम करते हैं और कारगिल की ऊंचाइयों पर लड़ी गई लड़ाई में उनके बलिदानों को याद करते हैं। संपूर्ण राष्ट्र हमारे बहादुर सैनिकों के असाधारण साहस और असंख्य बलिदानों का ऋणी है।
बता दें कि 21 साल पहले 26 जुलाई को भारतीय सेना ने वो शौर्य और पराक्रम दिखाया था जिसका इतिहास में कोई मुकाबला नहीं है। दुश्मन ने जिन चोटियों पर कब्जा किया हुआ था, वहां से पाकिस्तान के सैनिकों को मार गिराकर उन पहाड़ों पर कब्जा करना कितना मुश्किल रहा होगा हम और आप सिर्फ अंदाजा ही लगा सकते हैं। इसीलिए आज के दिन पूरा देश उन अमर जवानों को सलाम कह रहे हैं, जो कारगिल में शहीद हुए थे। देश आज विजय पर्व मना रहा है। कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर पाकिस्तान के सैनिकों ने कब्जा कर लिया था। फिर 18 हजार फीट की ऊंचाई पर तिरंगा लहराने के लिए भारतीय सेना के शूरवीरों ने ऑपरेशन विजय का इतिहास रचा।
अक्टूबर 1998 में मुशर्रफ ने कारगिल प्लान को मंजूरी दी थी। पाकिस्तान को लगा होगा कि ऊंची चोटी पर कब्जे के बाद ये इलाका हमेशा के लिए उनका हो जाएगा लेकिन उन्हें भारतीय सेना के अदम्य साहस का अंदाजा नहीं था। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ तब मिग-27 और मिग-29 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया लेकिन बोफोर्स तोप के गोलों ने पाकिस्तान को हराने में बहुत अहम भूमिका निभाई थी।
13 जून को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में तोलोलिंग पोस्ट पर तिरंगा फहराया था। टाइगर हिल पर भारत की बढ़त 24 जून को शुरू हुई थी, जब वायुसेना ने मोर्चा संभाला और दो मिराज 2000 एयरक्राफ्ट्स को भेजा। इन लड़ाकू विमानों ने टाइगर हिल पर जमे बैठे पाक सैनिकों पर लेजर गाइडेड बमों के जरिए हमला किया था। आखिरकार, 26 जुलाई को भारत ने आखिरी चोटी पर भी कब्जा किया और ऑपरेशन विजय पूरा हुआ। कारगिल की विजय गाथा पर पूरे देश को गर्व है।

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