मंगलवार, 28 जुलाई 2020

बसपा के दावे से विवाद बढ़ेगा

बहुजन समाज पार्टी ने दावा किया है कि वह एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी है इसलिए उसकी प्रदेश ईकाई का किसी दूसरी पार्टी में विलय तब तक नहीं हो सकता है, जब तक राष्ट्रीय ईकाई में विधिवत विभाजन नहीं हो। यह बात पार्टी ने राजस्थान के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को लेकर कही है। इस मुद्दे पर बसपा ने राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका डाली है। बहुजन समाज पार्टी जो दावा कर रही है, ऐसा हाल-फिलहाल में सुनने को नहीं मिला है। कांग्रेस की प्रदेश ईकाई में कई जगह इस तरह का विभाजन या विलय हुआ है और कांग्रेस के पास कानून के बड़े जानकार भी हैं पर कांग्रेस ने कभी इसे चुनौती नहीं दी है। सो, अगर अदालत इस मामले को सुनती है और दलबदल कानून की व्याख्या वैसी ही होती है, जैसी बसपा की है तो एक पंडोरा बॉक्स खुलेगा, जिससे कई राज्यों में संकट खड़ा हो सकता है। पर अदालत ने याचिका खारिज की है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों गोवा में प्रदेश कांग्रेस में टूट फूट हुई और दलबदल कानून के नियमों के मुताबिक कांग्रेस के दो-तिहाई विधायक टूट कर भाजपा में चले गए। अगर नियम यह है कि राष्ट्रीय पार्टी इस तरह से नहीं टूट सकती है तब गोवा में कांग्रेस विधायकों के अलग होकर भाजपा में जाने को भी चुनौती मिलेगी। फिर कई गड़े मुर्दे भी उखडेंगे, जैसे अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के तब के नेता और मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पूरी पार्टी का विलय भाजपा में करा दिया था। अगर राष्ट्रीय पार्टी की राज्य ईकाई का विलय दो-तिहाई बहुमत से नहीं हो सकता है तो फिर रेटरोस्पेक्टिव इफेक्ट अरुणाचल प्रदेश के बारे में भी फैसला करना होगा। मणिपुर, मेघालय से लेकर झारखंड तक के अनेक मामले खुल जाएंगे। छोटे-छोटे राज्यों में इस तरह की घटनाएं बहुत बार हुई हैं।

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