बबबराजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की एक टिप्पणी को लेकर इन दिनों बहस छिड़ी है। उन्होंने कांग्रेस के बागी हुए नेता सचिन पायलट पर निशाना साधते हुए कहा कि सिर्फ अंग्रेजी बोलना और हैंडसम होना ही पर्याप्त क्वालिटी नहीं है। भाजपा के नेता इस पर पायलट का बचाव कर रहे हैं। इसे लेकर टेलीविजन की बहसों में भाजपा प्रवक्ताओं की दिलचस्प नोक-झोंक भी कांग्रेस के प्रवक्ताओं से हुई है, जिसके वीडियो वायरल हो रहे हैं।
पर इस बीच भाजपा में भी इस पर बहस शुरू हो गई है कि पार्टी के स्मार्ट, हैंडसम और अंग्रेजी बोलने वाले नेताओं की क्या स्थिति है? इक्का दुक्का अपवादों को छोड़ दें तो ऐसे सभी नेताओं की छुट्टी हो गई है। इस मामले में सबसे ज्यादा चर्चा राजस्थान के ही नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की हो रही है। वे नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में मंत्री थे पर इस बार उनको मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। लगातार दूसरी बार कांग्रेस के बड़े नेता को हरा कर जीतने के बावजूद उन्हें सरकार में नहीं रखा गया। वे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शूटर हैं, ओलंपिक पदक विजेता हैं, हैंडसम हैं और अच्छी अंग्रेजी-हिंदी बोलते हैं पर इतने भर से उनको जगह नहीं मिल पाई। जाहिर है इसके साथ कुछ और क्वालिटी की जरूरत है।
इसी तरह बिहार के जाइंट किलर नेता हैं राजीव प्रताप रूड़ी। वे राबड़ी देवी को हरा चुके हैं और लालू प्रसाद के घर की सीट से जीत कर आते हैं। पायलट हैं, अब भी विमान उड़ाते हैं, स्मार्ट, हैंडसम है और अंग्रेजी-हिंदी दोनों अच्छी बोलते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे थे और नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में भी जैसे तैसे थोड़े समय मंत्री रहे थे। उनको बाद में हटा दिया गया था और इस बार भी जगह नहीं मिली है।
ऐसे हैं झारखंड के नेता जयंत सिन्हा हैं। विदेश से पढ़े हैं, विदेशी कंपनियों में काम कर चुके हैं और पिछली सरकार में मंत्री थे परंतु इस बार जगह नहीं मिली। पिछली बार भी थोड़े समय के लिए वित्त विभाग में थे पर जल्दी ही वहां से हटा कर विमानन मंत्रालय में भेज दिए गए थे। चाहे दिल्ली की मीनाक्षी लेखी हों या उत्तर प्रदेश के वरुण गांधी हों या हरियाणा में आईएएस की नौकरी छोड़ कर सांसद बने बृजेंद्र सिंह हों, महाराष्ट्र से दो बार से जीत रही पूनम महाजन हों या प्रीतम मुंडे सबमें सचिन पायलट वाले गुण हैं पर सब सरकार से बाहर हैं।

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