जयपुर। कोरोना संकट के बीच आज भी अपने घरों तक पहुंचने की जद्दोजहद जारी है। लोग अपने घरों तक पहुंचने के लिए पैदल ही निकल चुके हैं। राजधानी जयपुर की सड़कों पर आए दिन लोगों का काफिला नजर आ जाता है।
करीब दो दर्जन से ज्यादा लोग भीलवाड़ा से मध्यप्रदेश के लिए पैदल ही निकल गए।भीलवाड़ा की धागा फैक्ट्री में काम करने वाले ये लोग डेढ़ महीने के इंतजार के बाद पैदल ही अपने जिले के लिए निकले हैं।
जब इनसे बात की तो पता चला कि भीलवाड़ा से पहले एक ट्रक में 200 रुपये प्रति सवारी किराया देकर एक गांव पहुंचे तो उसके बाद एक पिकअप में 100 रुपये प्रति सवारी किराया देकर जयपुर पहुंचे हैं। अब यहां से कोटा पहुंचने की जद्दोजहद है।
लोगों ने बताया कि कंपनी की ओर से रजिस्ट्रेशन करवाया गया था लेकिन रजिस्ट्रेशन कंफर्म नहीं हुआ और आखिरकार लंबे इंतजार के बाद इन लोगों ने पैदल ही अपने घरों के लिए निकलने का फैसला लिया।
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आश्वासन और आवागमन तथा पास की प्रक्रिया सरल किए जाने के बावजूद जयपुर की सड़कों पर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर दिखाई दे रहे हैं। मजदूरों का कहना है कि उन्हें भरोसा नहीं है कि जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा, ऐसे में वह पैदल ही पलायन करना ज्यादा अच्छा समझते हैं।
जयपुर में सोमवार शाम 5:45 बजे मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से थोड़ा पहले अजमेर के रूपनगढ़ से मध्यप्रदेश के कटनी जाने वाले 21 लोग मिले। सिर पर गठरी बांधे मास्क से लगाए यह श्रमिक पैदल ही आगे बढ़ रहे थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि वह रूपनगढ़ स्थित मार्बल फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री बंद होने की वजह से कुछ समय वहीं रुके रहे। इस दौरान उन्हें खाना मिल रहा था, लेकिन जल्दी फैक्ट्री शुरू नहीं होने के आसार लगने के कारण उन्होंने पलायन कर दिया।

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