जयपुर। गहलोत सरकार द्वारा भामाशाह कार्ड की जगह लाए गए जन आधार कार्ड को पहचान दस्तावेज के तौर पर मान्यता मिल गई है। केंद्रीय आधार प्राधिकरण ने पहचान-पत्र और परिवार से संबंध स्थापित करने वाले दस्तावेज के तौर पर इसे मान्यता प्रदान कर दी है। इसके लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने केंद्रीय आधार प्राधिकरण को पत्र लिखा था। सरकार ने जन आधार कार्ड को पहचान के तौर पर मान्यता दिलाने का अनुरोध किया था।
एक अप्रैल से लागू हुआ है जन आधार कार्ड
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछली सरकार के भामाशाह कार्ड के स्थान पर जन आधार कार्ड लागू कर दिया था। गहलोत कैबिनेट की पहली मीटिंग में इसे मंजूरी भी प्रदान कर दी गई थी। भामाशाह कार्ड की तरह यह कार्ड भी महिला के नाम से बना है। अगर किसी परिवार में महिला नहीं है तो पुरुष के नाम से भी जन आधार कार्ड बनाया जा सकता है। इस कार्ड में परिवार के सभी सदस्यों को जोड़ा गया है। जन आधार कार्ड में 10 अंक का पंजीयन नंबर दिया गया है।
जन आधार कार्ड एक परिवार की एक पहचान बनेगा
परिवार के प्रत्येक सदस्य का नाम इस कार्ड में ऑटो एड हो जाएगा। पेंशनकर्मियों को हर साल जीवित प्रमाण-पत्र बनवाना पड़ता था। लेकिन अब नई योजना के तहत यह प्रमाण-पत्र हर साल नहीं बनवाना पड़ेगा। जन आधार कार्ड एक परिवार की एक पहचान बनेगा यानि एक कार्ड, एक नबंर, एक पहचान। ई-कॉमर्स और बीमा सुविधाओं का लाभ भी इसी कार्ड से मिल पाएगा।
1.3 करोड़ परिवारों को जन आधार कार्ड का निशुल्क वितरण होना है
प्रदेश में राष्ट्रीय खाद सुरक्षा योजना में चयनित 1 करोड़ 3 लाख परिवारों को जन आधार कार्ड का निशुल्क वितरण होना है। अब तक करीब 14 लाख से ज्यादा चयनित परिवारों के मुखिया के पास जन आधार कार्ड पहुंच चुके हैं। भामाशाह कार्ड में दर्ज परिवारों के डेटा को जन आधार कार्ड में ट्रांसफर कर नए कार्ड बनाने का काम जारी है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें