शनिवार, 16 मई 2020

अशोक गहलोत सरकार के वित्तीय प्रबंधन फेल

जयपुर।  बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने शनिवार को एक बार फिर कोरोना  संक्रमण के खिलाफ लड़ाई के मामले में अशोक गहलोत सरकार के कामकाज और रवैए पर सवाल उठाया।  वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये मीडिया से रूबरू हुए पूनिया ने कहा कि प्रवासियों की घर वापसी का मामला हो या राज्य की तरफ से खर्च किए गए पैसे का हिसाब देने की बात अशोक गहलोत सरकार का मैनेजमेंट ज्यादातर मामलों में कमज़ोर साबित हुआ है। 

पूनिया ने सरकार और उसके मुखिया के कामकाज की शैली पर सवाल उठाए तो इस बीच पिछले दिनों मुख्यमंत्री की पहल पर हुई वीडियो कांफ्रेंस का मुद्दा भी प्रेस कॉन्फ्रेंस आया।  इस बात को लेकर सवाल किया गया कि सतीश पूनिया सरकार के कामकाज पर सवाल उठा रहे हैं।  जबकि पिछले दिनों वीडियो कांफ्रेंस में बीजेपी के ज्यादातर सांसद और विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काम की तारीफ की थी। 

पूनिया से यह भी पूछा गया कि क्या इस मामले में उन्होंने पार्टी के लेवल पर मामला संज्ञान में लिया है? इस सवाल के जवाब में पूनिया ने कहा कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंस में यह सब देखकर वे खुद भी आश्चर्यचकित हो गए थे, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में एक-दूसरे के सम्मान से ही व्यवस्था चलती है। 


दरअसल, सीएम के साथ हुई वीसी में कांग्रेस के साथ—साथ बीजेपी के विधायकों और सांसदों ने भी उनके काम की तारीफ की थी।  इस वीसी में बीजपी प्रदेशाध्यक्ष और आमेर विधायक होने के नाते खुद सतीश पूनिया भी जुड़े थे।  अपने विधायकों और सांसदों के इस तरह सीएम की तारीफ करने से पूनिया आश्चर्यचकित हो गए थे।  पूनिया से इस बारे में हुए सवाल पर कहा कि उनकी पार्टी के नेता भोले और संस्कारी हैं।  उन्होनें कहा कि इस वैश्विक महामारी के दौर में वे पूरी तरह सरकार का विरोध करते तो यह संदेश जाता कि विपक्ष ने विरोध का झंडा उंचा कर दिया।  



पूनिया ने कहा कि उनकी पार्टी ने तो इसमें सह्रदयता दिखाई, लेकिन यह तारीफ सियासी नहीं थी।  उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ की थी, लेकिन गहलोत मंत्रिमंडल के सदस्यों ने पीएम को लेकर गलत टिप्पणियां की।  पूनिया ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां गैर जरूरी थी और उन्हें रोकने के लिए गहलोत को दखल देना चाहिए था। 


सरकार के वित्तीय प्रबंधन को बताया फैल

सतीश पूनिया ने सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर भी सवाल उठाए।  उन्होंने कहा कि मंडी पर दो प्रतिशत टैक्स और फिर स्टाम्प ड्यूटी पर लगने वाला गौ उपकर 10 प्रतिशत बढ़ाने का सरकार का आदेश लोगों की परेशानी बढ़ाने वाला है।  उन्होंने कहा कि  सरकार के पास कोई मजबूत रोडमैप नहीं दिख रहा। 

सड़क पर श्रमिकों क् डाला बता रहा सरकारी विफलता

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री कई मौक़ों पर गलत बयानी करते हैं और वह पकड़ में भी आ जाता है।  उन्होंने कहा कि सरकार के पास श्रमिकों को लाने के लिए 4 हजार बसें हैं, लेकिन इसका कोई लेखा—जोखा नहीं है।  कोविड में राज्य सरकार की अपनी जेब से कितना खर्च हुआ? इसका ब्योरा भी मुख्यमंत्री ने नहीं दिया।  प्रवासियों के पैदल नहीं चलने के दावे किए गए, लेकिन सरकार के इन दावों की पोल भी खुल गई। 

पूनिया ने आरोप लगातर हुए कहा कि लाखों की तादाद में प्रवासियों ने घर वापसी के लिए रेजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन सरकार ने अभी तक केंद्र से महज 21 ट्रेन ही मांगी हैं।  उन्होंने कहा कि जिस् संख्या में श्रमिकों ने आने के लिए नाम लिखवाया है, उसके लिए इससे कहीं ज्यादा ट्रेनों की जरूरत है।  पूनिया ने कहा कि राजधानी की सड़कों पर भी प्रवासी पैदल ही अपने घर की तरफ बढ़ते देखे जा सकते हैं और सरकार की नाक के नीचे यह सरकार की विफलता का सबसे बड़ा सबूत है। 

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