प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित कर दिया। 12 मई को देश को पांचवीं बार संबोधित करते हुए उन्होंने 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की। इससे पहले 27 मार्च को वित्त मंत्री ने एक लाख 70 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी। उसका हिसाब अभी लोगों के सामने नहीं है। उस पैकेज में पहले से चल रही योजनाओं को भी शामिल कर दिया गया था। पिछले चुनाव के समय घोषित किसान सम्मान निधि भी उसमें शामिल थी, मनरेगा की मजदूरी भी उसी में थी और अनाज बांटने की पुरानी योजना भी उसी में शामिल थी। नई बात यह थी कि महिलाओं के जन धन खातों में पांच सौ रुपए दिए जाएंगे।
इस बार के पैकेज में पिछला एक लाख 70 हजार करोड़ रुपए का पैकेज भी शामिल है और रिजर्व बैंक की ओर से कर्ज के लिए नकदी की तरलता बढ़ाने की घोषणाएं भी शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक फरवरी से अप्रैल तक तीन महीने में रिजर्व बैंक आठ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के राहत की घोषण कर चुका है। वह भी इसी में शामिल है। पर किसी को पता नहीं है कि उस पैकेज से किसको कितना फायदा हुआ। केंद्रीय बैंक ने कर्ज के लिए नकदी की उपलब्धता बढ़ाई तो उसका फायदा कितने लोगों ने उठाया, यह नहीं पता है। वैसे भी इस समय कौन कर्ज ले रहा है और उसका क्या कर रहा है, यह सोचने वाली बात है।
वैसे कई लोग इस पैकेज की घोषणा के बाद बिहार चुनाव में 2015 में की गई पैकेज की घोषणा की भी याद दिला रहे हैं। जब नीलामी की बोली लगाने के अंदाज में प्रधानमंत्री ने बिहार को सवा लाख करोड़ रुपए का पैकेज देने की घोषणा की थी। संभवतः उसका पांच फीसदी भी बिहार में नहीं मिला है। गुजरात कांग्रेस के कई नेताओं ने ट्विट करके गुजरात के लिए घोषित पैकेजों के बारे में भी पूछा है।

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