गुरुवार, 14 मई 2020

‘डिटेल’ से कैसा सच निकलेगा?

कहा जाता है कि डेविल इज इन डिटेल- यानी सच ब्योरे में होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज का एलान करते हुए विवरण नहीं दिया। कहा कि इसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देंगी। वह भी कई किश्तों में। यानी पूरा विवरण सामने में समय लगेगा। तब तक 20 लाख करोड़ की सुर्खियां बनी रहेंगी। एक बड़ा तबका चमत्कृत रहेगा कि प्रधानमंत्री ने उतना बड़ा पैकेज दिया, जितना किसी ने मांगा भी नहीं था। और उन्होंने विकसित देशों को टक्कर देती रकम भी दिखा दी। मगर सवाल यह उठा है कि क्या यह पिछले बजट में घोषित 30 लाख करोड़ रुपए के व्यय मद के अतिरिक्त है? अगर नहीं, तो फिर यह आंकड़ों की बाजीगरी भर होगी। जो पहला पैकेज 1.67 हजार करोड़ रुपये का आया था, उसमें बाजीगरी के निशान थे। फिर यह भी अजीब है कि प्रधानमंत्री ने भारतीय रिजर्व बैंक के घोषित मौद्रिक उपायों और राजकोषीय उपायों को मिला दिया है। मौद्रिक उपाय ऋण जैसी सुविधाएं जरूर देते हैं, लेकिन वो कोई अतिरिक्त राहत रकम बाजार में नहीं लाते।

एक अंग्रेजी अखबार का आकलन है कि सरकार की राजकोषीय स्थिति और कर्ज बोझ के बीच चार लाख 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा अतिरिक्त राहत रकम घोषित करने की गुंजाइश नहीं है। ये शायद वही रकम है जिसका सुझाव पी चिदंबरम ने दिया था। उन्होंने पूंजीगत व्यय के लिए रखे गए मद को स्थगित कर फिलहाल राहत देने पर खर्च करने का सुझाव दिया था। अब देखना है कि जब डिटेल सामने आएगा, तो उसमें से कैसा सच उभरता है। प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में देश के नाम अपने पांचवें संबोधन में कोरोना महामारी से लड़ने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की और कहा कि ये राशि देश की जीडीपी का 10 फीसदी है। मोदी ने कहा कि ये पैकेज देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है। इसमें आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ सभी पर बल दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये आर्थिक पैकेज कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, लघु-मंझोले उद्योग, एमएसएमई के लिए है जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है और जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार है। अब उनके पैकेज से ये आधार कितना मजबूत होता है, यह देखने पर नजर रहेगी।  

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