ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार यह नहीं चाहती है कि विपक्षी पार्टियां भी राहत के काम में शामिल हों। हालांकि सरकार यह जरूर चाहती है कि देश भर के लोग खुल कर दान दें, गरीबों की मदद करें, मजदूरों को मदद करे, अपने कर्मचारियों को वेतन समय पर दें, किराएदारों से किराया न लें आदि। पर यह नहीं चाहती कि विपक्षी पार्टियां इसी तरह के काम करें। तभी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेताओं को राहत के कामों में शामिल होने से रोका जा रहा है। राहुल गांधी जब प्रवासी मजदूरों से मिलने और उनकी मदद करने गए तो उनका विरोध भी इसी राजनीति के तहत हुआ।
कांग्रेस की महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने राज्य सरकार से एक हजार बसें चलवाने की अनुमति मांगी थी पर सरकार ने उन्हें इजाजत नहीं दी। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी की ओर से पांच सौ बसें चलाई गईं, जिनमें बैठ कर मजदूर राज्य की सीमा पर पहुंच गए, लेकिन उनको सीमा में घुसने से रोक दिया गया। कांग्रेस नेता इसकी मांग करते रहे कि मजदूरों को कम से कम पैदल ही जाने दिया जाए और कई घंटे तक मजदूरों को बस में ही रोके रखा गया। इसी तरह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी को दिल्ली पुलिस ने रविवार को घंटों तक घर में नजरबंद रखा और उनके ऊपर मुकदमा कर दिया। अनिल चौधरी का कहना है कि वे दिल्ली छोड़ कर जा रहे मजदूरों की मदद कर रहे हैं इसलिए पुलिस ने उनके साथ यह बरताव किया।

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