छुट्टी पर भेजे जाने से पहले सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा राफेल सौदा से लेकर स्टर्लिंग बायोटेक जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच कर रहे थे. इनमें से एक मामला ऐसा है जिसमें प्रधानमंत्री के सचिव आरोपी हैं.
राफेल सौदा मामले से लेकर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया रिश्वत मामला, कोयला खदान आवंटन मामले में कथित रुप से आईएएस अधिकारी भास्कर कुल्बे की भूमिका से लेकर स्टर्लिंग बायोटेक मामला, जिसमें राकेश अस्थाना की कथित भूमिका की जांच की जानी थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ये कुछ बेहद महत्वपूर्ण मामले थे जो कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा द्वारा जांच प्रक्रिया में थे. हालांकि बीते बुधवार को केंद्र सरकार ने उन्हें अचानक से छुट्टी पर भेज दिया.
आलोक वर्मा ने सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है और कल यानि कि शुक्रवार को इस पर सुनवाई होगी. वर्मा में अपनी याचिका में ये भी कहा है कि वे कुछ बेहद संवेदनशील मामलों की जांच प्रक्रिया में थे. कानूनी रुप से सीबीआई निदेशक को उनकी नियुक्ति से लेकर दो साल तक नहीं हटाया जा सकता है.
अगर किसी विशेष परिस्थिति में निदेशक को हटाना है तो उस चयन समिति की सहमति लेनी होती है जिसने सीबीआई निदेशक के नियुक्ति की सिफारिश की थी. इस चयन समिति में भारत के प्रधानमंत्री, संसद में विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होते हैं.
विपक्षी दलों ने भी केंद्र की मोदी पर निशाना साधा है कि राकेश अस्थाना को बचाने और राफेल सौदे की जांच से बचने के लिए आलोक वर्मा को अचानक छुट्टी पर भेज दिया गया.
कुछ ऐसे बेहद संवेदनशील मामलों के बारे में बता रहे हैं जिस पर आलोक वर्मा या तो जांच कर रहे थे या फिर जांच की शुरुआत करने वाले थे.
1 इसमें सबसे मुख्य मामला है कथित राफेल सौदा घोटाला: पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिंहा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस मामले को लेकर चार अक्टूबर को सीबीआई में 132 पेज का शिकायत पत्र सौंपा था, जिसे आलोक वर्मा ने स्वीकार किया था. इस शिकायत की सत्यापन प्रक्रिया एजेंसी के अंदर चल रही थी. सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस पर जल्द ही फैसला लिया जाना था.
2 सीबीआई मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया रिश्वत मामले में हाई-प्रोफाइल लोगों की भूमिका की जांच कर रही थी. इस मामले में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आईएम कुद्दूसी को गिरफ्तार किया गया था. सूत्रों ने बताया कि कुद्दूसी के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर ली गई थी और सिर्फ आलोक वर्मा का हस्ताक्षर होना बाकी था.
3 मेडिकल एडमिशन में कथित भ्रष्टाचार मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला आरोप थे और एजेंसी ने इस मामले को अपनी जांच में शामिल किया था. सूत्रों ने बताया कि प्राथमिक जांच पूरी हो गई थी और इस पर सिर्फ आलोक वर्मा के हस्ताक्षर बाकी थे.
4 भाजेपी सांसद सुब्रामन्यम द्वारा वित्त और राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया के खिलाफ की गई शिकायत भी सीबीआई जांच के दायरे में थी.
5 प्रधानमंत्री के सचिव आईएएस अफसर भास्कर कुल्बे की कोयला खदानों के आवंटन में कथित भूमिका को लेकर सीबीआई जांच कर रही है.
6 एक अन्य मामले में दिल्ली स्थिति एक बिचौलिए के यहां अक्टूबर के पहले महीने में छापा मारा गया था. इस दौरान लोगों को किए गए भुगतान की एक कथित सूची और तीन करोड़ रुपये कैश में बरामद हुआ था. सीबीआई को ये बताया गया था कि इस व्यक्ति ने पीएसयू में सीनियर पदों पर नियुक्ति के लिए नेता और अधिकारियों को रिश्वत दिया था.
7 सीबीआई नितिन संदेसरा और स्टर्लिंग बायोटेक मामले की जांच खत्म करने वाले थी. इस मामले में सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की कथित भूमिका को लेकर जांच की गई थी.
सीबीआइ में अधिकारियों की एक बड़ी संख्या है और इनका काम भी बहुत जोखिम और सूझबूझ वाला है. सीबीआइ में डेढ़-दो सौ एसपी हैं, चार हजार के करीब डिप्टी एसपी हैं और अन्य अधिकारी हैं, दो दर्जन से ज्यादा डीआईजी हैं, एक दर्जन संयुक्त निदेशक हैं, और शीर्ष पदों पर निदेशक और विशेष निदेशक हैं.
यानी कुल मिलाकर देखें, तो साढ़े चार-पांच हजार के करीब अधिकारियों का यह महकमा है, जिसमें एक से बढ़कर एक ईमानदार अधिकारी हैं. ऐसे में महज दो लोगों के बीच उभरे विवाद के चलते पूरी सीबीआइ को कठघरे में कैसे खड़ा किया जा सकता है
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