देश भर की क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं का जैसा जमावड़ा 23 मई को बेंगलुरू में एचडी कुमारस्वामी की शपथ के समय हुआ था उस तरह का एक जमावड़ा दिल्ली में करने की तैयारी हो रही है। बेंगलुरू में तो सारे नेता सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए इकट्ठा हुए थे पर दिल्ली में उनका एक सम्मेलन होगा, जिसमें आगे की राजनीतिक संभावनाओं और गठबंधन को लेकर चर्चा होगी।
बताया जा रहा है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इसकी पहल की है। खबरों के मुताबिक नायडू चाहते हैं कि अगले महीने जब संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो तो विपक्षी पार्टियों का एक सम्मेलन दिल्ली में हो। नायडू खुद इसकी मेजबानी करेंगे। भारत की राजनीति में यह संभवतः पहली बार हो रहा है कि दक्षिण भारत के नेता गठबंधन कराने की पहल कर रहे हैं और नेतृत्व दे रहे हैँ। इससे पहले उत्तर भारत के नेता यह काम करते रहे हैं। पर वह पहल हमेशा कांग्रेस के विरोध में होती थी। बहरहाल, कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी भी इस सम्मेलन में शामिल होगी। कांग्रेस के साथ तालमेल की अटकलों के बीच कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी भी इस बैठक में हिस्सा लेगी।
यह विपक्षी नेताओं का बहुत बड़ा इंद्रधनुषी जमावड़ा होगा, जिसमें एक दूसरे के विरोधी रहे नेता भी शामिल होंगे। लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस दोनों के नेता इसमें हिस्सा लेंगे तो सपा और बसपा के नेता भी शामिल होंगे। तेलुगू देशम पार्टी, जेडीएस, तेलंगाना राष्ट्र समिति और डीएमके यानी दक्षिण भारत की चार बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों के नेता इसमें हिस्सा लेंगे। बताया जा रहा है कि इसमें अगले साल होने वाले आम चुनाव की रणनीति पर चर्चा हो सकती है। सारी विपक्षी पार्टियों को यह तय करना है कि वे कहां चुनाव पूर्व गठबंधन करेंगे और कहां चुनाव के बाद गठबंधन होगा। यह भी बताया जा रहा है कि किस राज्य में और किस पार्टी के साथ सीटों की एडजस्टमेंट करनी है यानी अंदरखाने रणनीतिक तालमेल करना है इस बारे में भी एक सहमति इस सम्मेलन में बन सकती है।
बताया जा रहा है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इसकी पहल की है। खबरों के मुताबिक नायडू चाहते हैं कि अगले महीने जब संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो तो विपक्षी पार्टियों का एक सम्मेलन दिल्ली में हो। नायडू खुद इसकी मेजबानी करेंगे। भारत की राजनीति में यह संभवतः पहली बार हो रहा है कि दक्षिण भारत के नेता गठबंधन कराने की पहल कर रहे हैं और नेतृत्व दे रहे हैँ। इससे पहले उत्तर भारत के नेता यह काम करते रहे हैं। पर वह पहल हमेशा कांग्रेस के विरोध में होती थी। बहरहाल, कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी भी इस सम्मेलन में शामिल होगी। कांग्रेस के साथ तालमेल की अटकलों के बीच कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी भी इस बैठक में हिस्सा लेगी।
यह विपक्षी नेताओं का बहुत बड़ा इंद्रधनुषी जमावड़ा होगा, जिसमें एक दूसरे के विरोधी रहे नेता भी शामिल होंगे। लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस दोनों के नेता इसमें हिस्सा लेंगे तो सपा और बसपा के नेता भी शामिल होंगे। तेलुगू देशम पार्टी, जेडीएस, तेलंगाना राष्ट्र समिति और डीएमके यानी दक्षिण भारत की चार बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों के नेता इसमें हिस्सा लेंगे। बताया जा रहा है कि इसमें अगले साल होने वाले आम चुनाव की रणनीति पर चर्चा हो सकती है। सारी विपक्षी पार्टियों को यह तय करना है कि वे कहां चुनाव पूर्व गठबंधन करेंगे और कहां चुनाव के बाद गठबंधन होगा। यह भी बताया जा रहा है कि किस राज्य में और किस पार्टी के साथ सीटों की एडजस्टमेंट करनी है यानी अंदरखाने रणनीतिक तालमेल करना है इस बारे में भी एक सहमति इस सम्मेलन में बन सकती है।

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