ज्वाइंट सेक्रेटरी ने रोक दी कैबिनेट की अप्रूव्ड फाइल
दो बार कहने के बाद भी रेगुलर नहीं किया एलडीसी के 37 कार्मिकों को
जयपुर। आईएएस अफसरों को अक्सर विधायकों-मंत्रियों की अनसुनी करने की खूब सुनी थी, लेकिन संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक आरएएस अधिकारी पूरी कैबिनेट की बात का ही उल्लंघन कर दे। दो बार कैबिनेट के द्वारा कहने के बाद, मंत्री के कहने के बाद और मुख्य सचिव के द्वारा फाइल वापस भेजने के बाद भी आरएएस अधिकारी ने वह नहीं किया, जो करने के लिए कहा गया। दो बार फाइल ठीक वैसे ही भेज दी, जैसा उनका मन किया।
मामला शासन सचिवालय में एलडीसी का है। यहां पर साल 2013 में एलडीसी भर्ती से 37 जनों का चयन हुआ था। एक कार्मिक ने बताया कि उनका फिक्सेसन करने के लिए कैबिनेट ने दो बार कह दिया। एक बार पंचायती राज मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने भी 7 दिन में काम करने को कह दिया। यहां तक की मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने भी फाइन पर सही नोटिंग करने को कहा, लेकिन आरएएस अधिकारी महेंद्र कुमार, जो कि वित्त विभाग में ज्वाइंट सेके्रटरी हैं ने नियमों का हवाला देकर मना कर दिया। सभी पीड़ित 37 कार्मिक सीएस से मिले, लेकिन उन्होंने ने भी हाथ खड़े कर दिए।
यह है मामला
जानकारी के अनुसार 2011 में 2 सौ से ज्यादा पदों के लिए भर्ती निकाली गई थी। जिसकी 2013 में नियुक्ति हो गई। इनमें से 37 जनों को सचिवालय सेवा में लगाया गया। अन्य सभी का प्रोबेशन पीरियड पूरा हो चुका है, लेकिन सचिवालय वाले सभी आज भी फिक्सेसन के लिए चक्कर काट रहे हैं। कार्मिकों का कहना है कि हाई कोर्ट की डबल बेंच ने भी 2016 में सरकार के द्वारा इनका फिक्सेसन करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन एक आरएएस अधिकारी की तानाशाही से सारा मामला अटका हुआ है।
दो बार कहने के बाद भी रेगुलर नहीं किया एलडीसी के 37 कार्मिकों को
जयपुर। आईएएस अफसरों को अक्सर विधायकों-मंत्रियों की अनसुनी करने की खूब सुनी थी, लेकिन संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक आरएएस अधिकारी पूरी कैबिनेट की बात का ही उल्लंघन कर दे। दो बार कैबिनेट के द्वारा कहने के बाद, मंत्री के कहने के बाद और मुख्य सचिव के द्वारा फाइल वापस भेजने के बाद भी आरएएस अधिकारी ने वह नहीं किया, जो करने के लिए कहा गया। दो बार फाइल ठीक वैसे ही भेज दी, जैसा उनका मन किया।
मामला शासन सचिवालय में एलडीसी का है। यहां पर साल 2013 में एलडीसी भर्ती से 37 जनों का चयन हुआ था। एक कार्मिक ने बताया कि उनका फिक्सेसन करने के लिए कैबिनेट ने दो बार कह दिया। एक बार पंचायती राज मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने भी 7 दिन में काम करने को कह दिया। यहां तक की मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने भी फाइन पर सही नोटिंग करने को कहा, लेकिन आरएएस अधिकारी महेंद्र कुमार, जो कि वित्त विभाग में ज्वाइंट सेके्रटरी हैं ने नियमों का हवाला देकर मना कर दिया। सभी पीड़ित 37 कार्मिक सीएस से मिले, लेकिन उन्होंने ने भी हाथ खड़े कर दिए।
यह है मामला
जानकारी के अनुसार 2011 में 2 सौ से ज्यादा पदों के लिए भर्ती निकाली गई थी। जिसकी 2013 में नियुक्ति हो गई। इनमें से 37 जनों को सचिवालय सेवा में लगाया गया। अन्य सभी का प्रोबेशन पीरियड पूरा हो चुका है, लेकिन सचिवालय वाले सभी आज भी फिक्सेसन के लिए चक्कर काट रहे हैं। कार्मिकों का कहना है कि हाई कोर्ट की डबल बेंच ने भी 2016 में सरकार के द्वारा इनका फिक्सेसन करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन एक आरएएस अधिकारी की तानाशाही से सारा मामला अटका हुआ है।

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