सोमवार, 25 जून 2018

पार्टी से नाराज घनश्याम तिवाड़ी ने दिया भाजपा से इस्तीफा

जयपुर। लंबे समय से पार्टी से नाराज़ चल रहे भाजपा नेता व सांगानेर विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने सोमवार को भाजपा से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भेज दिया। तिवाड़ी कई बार सार्वजनिक मंचों से पार्टी और प्रदेश नेतृत्व को लेकर टिप्पणियां कर चुके हैं।

तिवाड़ी ने इस्तीफा उस समय दिया जब केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने उनकी नई बनाई पार्टी भारत वाहिनी पार्टी
को विधिवत रूप से पंजीयन कर दिया। इसके अगले दिन ही उन्होंने भाजपा छोड़ दी और अपना इस्तीफा अमित शाह को भेज दिया।


भारत वाहिनी पार्टी के अध्यक्ष व संस्थापक घनश्याम तिवाड़ी के बेटे अखिलेश तिवाड़ी हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि घनश्याम तिवाड़ी की नई पार्टी भारत वाहिनी पार्टी प्रदेश में तीसरे विकल्प के रूप में कांग्रेस और भाजपा को कितनी बड़ी चुनौती देगी?

श्री अमित शाहजी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी
प्रिय अमित शाहजी,
आशा है आप स्वस्थ व प्रसन्नचित्त होंगे।
बिना राग-द्वेष की भावना से प्रभावित हुए, लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं और नीति की अपनी समझ के अनुसार, देश तथा राजस्थान प्रदेश के हित को ध्यान में रखते हुए यह पत्र आपको लिख रहा हूँ।
क्योंकि आप पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं इसलिए यह पत्र आपको सम्बोधित है। आपके स्थान पर  कोई अन्य होते तो उन्हें सम्बोधित करता। इसलिए आशा है इस पत्र को आप निजी तौर पर नहीं
लेकर देश और राजस्थान की राजनीति के व्यापक परिपेक्ष्य में देखेंगे। यह भी आशा है कि जो सुधार आपके द्वारा किए जाने सम्भव हैं उन्हें लागू करेंगे। इसमें पार्टी और देश दोनों का हित होगा। आपको उसका सुयश ही प्राप्त होगा। शेष आपकी मर्जी, स्वभाव, और भाग्य के अधीन है।
 मुझे याद नहीं बचपन में मैं कब संघ की शाखा में जाने लगा... शायद 6 या 7 वर्ष का था तभी से।
संघ में तृतीय वर्ष शिक्षित हुआ, उसके बाद विद्यार्थी परिषद, युवासंघ, जनसंघ, जनता पार्टी, युवा मोर्चा, जनता युवा मोर्चा, और भारतीय जनता पार्टी में काम करते हुए विचार परिवार में ही मेरा सारा जीवन व्यतीत हुआ। जीवन के 66 वर्ष, यानी लगभग सारे जीवन भर, एक संस्था एक परिवार से जुड़कर काम करने के बाद उससे अलग होते हुए किसी के भी मन में जो पीड़ा और दुःख की भावना होगी वह मेरे मन में भी है। हो सकता है अन्य किसी व्यक्ति के लिए उसका कोई मोल न हो लेकिन मेरे लिए यह दुःख और पीड़ा भी हृदय में संजो कर रखने की चीज़ है। ऐसे समय में किस-किस को याद करूँ और किस-किस को भूल जाऊँ...
आपातकाल के दो रूप और दो आंदोलन
...खैर, आज 25 जून का दिन है। कांग्रेस द्वारा 1975 में देश पर थोपे गए आपातकाल के ख़िलाफ़ पार्टी दिवस मना रही है। यह ठीक भी है। देश की जनता, विशेषकर युवा वर्ग के सामने, आपातकाल के बारे में जानकारी लाना एक अच्छी बात है। उस प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण घटना की पुनरावृत्ति को रोकने में इस प्रकार के दिवस मनाए जाने से कुछ जागृति ही पैदा होती है।
आपको संभवतः ध्यान होगा कि संघ के स्वयंसेवक और जनसंघ के युवा पदाधिकारी के रूप में मैंने भी आपातकाल के ख़िलाफ़ आंदोलन में भाग लिया था। देश में सिर उठाती तानाशाही का स्व. जयप्रकाश नारायण और श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हमने मुक़ाबला किया था। इसके कारण जिन अमानवीय यातनाओं से मुझे गुज़रना पड़ा उसका मैं यहाँ विवरण नहीं करना चाहता। संघ और पार्टी के पुराने लोगों को वे सब विदित हैं। मुझे दी गयी उन यातनाओं के विरोध में जे०पी० और अटलजी सहित देश भर की जेलों में बंद नेताओं ने दो दिन का उपवास किया था। चाहे कितनी भी यातनाएँ मुझे सहनी पड़ी हों पीछे देखने पर मन में इस बात का संतोष होता है कि मैं उस आंदोलन का हिस्सा बना। आपातकाल के बाद चुनाव हुए और देश में जनता पार्टी की सरकार बनी। उस सरकार ने देश के संविधान और क़ानूनों में भविष्य में आपातकाल लगाए जाने को लेकर संशोधन किए। यह लोकतंत्र की बहुत बड़ी जीत थी। उन संशोधनों के कारण ही आज यह दृढ़ स्थिति है कि तानाशाही की मनोवृत्ति वाले नेता नया आपातकाल लगा कर भारत के नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकते। इन संशोधनों के कारण आज देश में आपातकाल घोषित किया जाना अत्यंत दुष्कर हो गया है। लेकिन पिछले चार वर्ष में देश के ध्यान में यह बात आयी है कि घोषित आपातकाल चाहे अब नहीं लगाया जा सके एक अघोषित आपातकाल देश में लगाया जा सकता है, बल्कि लगाया जा चुका है।
घोषित आपातकाल से अधिक ख़तरनाक है देश-प्रदेश में चल रहा अघोषित आपातकाल
राजस्थान प्रदेश और देश में आज जो अघोषित आपातकाल लागू है वह घोषित आपातकाल से अधिक ख़तरनाक है। इस अघोषित आपातकाल के ख़िलाफ़ जनता की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष करने को मैं तत्पर हैं और कमर कस कर तैयार हूं। ईश्वर का मैं शुक्रगुज़ार हूँ कि उसने मुझे 1975 के घोषित आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष का अवसर दिया। वर्तमान में देश-प्रदेश में लगे अघोषित आपातकाल के विरुद्ध ईश्वर मुझे मैदान में उतार रहे हैं यह भी उनकी कृपा ही है। पिछले आपातकाल के बाद यह सुनिश्चित हुआ कि कोई अपने राजनीतिक स्वार्थ के कारण देश में लोकतंत्र
का दमन न कर सके। वर्तमान में अघोषित आपातकाल के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ हम यह सनिशित करेंगे कि भविष्य में कोई अहंकारोन्मादी अपनी सत्ता लोलुपता में लोकतांत्रिक संस्थाओं का गला न घोंट सके और देश की आगे आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर समाज और एक बेहतर देश-दुनिया मिले


पिछले साढ़े चार वर्षों में राजस्थान का कदम-दर-कदम अपमान हुआ
क़रीब चार वर्ष छह माह पहले, कांग्रेस पार्टी के शासन से परेशान होकर, राजस्थान की जनता ने विधानसभा में प्रचंड बहुमत प्रदान कर भाजपा के हाथ में प्रदेश की बागडोर सौंपी थी। इसके बाद मई 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भी राजस्थान की जनता ने राज्य की 25 में से 25 सीटें भाजपा को जिता कर देश में सत्ता परिवर्तन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। केंद्र में और राज्य में दोनों जगह इस प्रकार का ऐतिहासिक बहमत देने के बाद आज हालात यह है कि राजस्थान ठगा महसूस कर रहा है। वर्तमान भाजपा सरकार ने बीते साढ़े चार साल में, केंद्र के कुछ नेताओं की मिलीभगत से, चरागाह समझ कर राजस्थान को लूटने का काम किया है। प्रदेश में सरकार की मुखिया के नेतृत्व में कुछ मंत्रियों तथा अफसरों की एक ऐसी मंडली बन गयी है जिसका एक सूत्री लक्ष्य है - जनता की जेब कतरना और राज्य की सम्पदा पर डाका डालना।
राजस्थान में भाजपा सरकार की मुखिया द्वारा प्रतिदिन भ्रष्टाचार की नयी-नयी योजनाएँ ईजाद की जा रही हैं। कभी अपने चहेतों को मलाईदार प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति देकर तो कभी राजनीतिक नियुक्तियाँ देकर प्रदेश भर से पैसा वसूली का काम किया जा रहा है। फिर कभी इन भ्रष्टों को संरक्षण देने के लिए प्रदेश में “काला कानून” लाया जाता है तो कभी तुग़लकी फ़रमान जारी करते हुए राज्य की जनता की सम्पत्ति पर आजन्म क़ब्ज़े के मंसूबों को अंजाम दिया जा रहा है (जैसे कि 13 सिवल लाइंस के 2000 करोड़ से भी अधिक के सरकारी बंगले पर आजन्म क़ब्जे का “मंत्री वेतन संशोधन विधेयक)। इतना ही नहीं प्रदेश की सभी प्रमुख संवैधानिक संस्थाओं - विधानसभा का सदन, विधानसभा की समितियाँ, राजभवन, राजस्थान लोक सेवा आयोग, मंत्रिमंडल, इत्यादि - की शक्ति और गरिमा को निजी हितों की पूर्ति के लिए दाँव पर लगा दिया गया है। भय और दमन का ऐसा तंत्र बिछाया गया है कि कोई भी अपना स्वतंत्र विचार या मत रखने के लिए तैयार नहीं होता। जो होता है उसे प्रताड़ित किया जाता है, उस पर झूठे केस-मुक़द्दमें चलाए जाते हैं, उसका और उसके परिवार का दमन करने का प्रयास किया जाता है। स्थिति यहाँ तक है कि वे समाचार पत्र जो मीडिया की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं, जो जनता के हितों के लिए काम कर रहे हैं, उनपर भी सरे आम आर्थिक और राजनीतिक दमन का तंत्र चलाया जाता है।
पिछले चार वर्ष में कई बार मैं आपके ध्यान में राजस्थान के भ्रष्टाचार और कुशासन की बात लाया हूँ। मैं लगातार आपके यह भी ध्यान में लाता रहा हूँ कि राजस्थान की भाजपा को किस प्रकार एक व्यक्ति के द्वारा हथिया लिया गया है। किस प्रकार राजस्थान भाजपा एक व्यक्ति की निजी दुकान में बदल गयी है। मैं आपको यह भी बतलाता रहा हूं कि इससे राजस्थान प्रदेश का भी अहित हो रहा है और राजस्थान में पार्टी का भी। लेकिन आपने कभी कुछ नहीं किया। उलटे सत्ता के ग़ख्र में आपने पार्टी के निष्ठावान लोगों को ही प्रताडित और बदनाम करने की कोशिश की। स्पष्ट है कि पहले राजस्थान के भ्रष्टाचार के साथ आपका समझौता हुआ और अब आपने उसके सामने घुटने भी टेक दिए हैं।

नव गति, नव लय, ताल, छंद नव...
कई बार ईश्वर किसी समाज या देश को जब आगे बढ़ाना चाहते हैं तो पहले जो गलत है उसको उभार कर सामने लाते हैं। गलत को अच्छे से देख और अनुभव कर लिए जाने के बाद फिर ईश्वर ही व्यक्ति, समाज, या देश को उससे उबरने और अच्छाई की तरफ़ आगे बढ़ने की शक्ति भी प्रदान करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में देश-प्रदेश में अनीति पूर्ण, तानाशाही और स्वेच्छाचारिता की राजनीति एक बड़ा आकार लेकर उभरी। इस दैत्याकार राजनीति ने भाजपा को तो पूर्णरूप से ग्रसित कर ही लिया राजस्थान को और देश को भी विभिन्न प्रकार के संकटों में उलझा दिया। लेकिन ये संकट देश में नयी परिस्थितियों को जन्म देंगे जो एक बेहतर राजनीति और समाज की ओर हमें ले जाएँगी। इसी आशा और विश्वास को अपनी पीड़ा और दुःख के साथ अपने हृदय में संजोते हुए, अपने 55 वर्ष के सार्वजनिक जीवन और 45 वर्ष की राजनीतिक तपस्या को एक नए युगधर्म में प्रवेश करवाते हुए, मैं भारतीय जनता पार्टी से अपना त्यागपत्र देता हूँ। यह करते हुए मैं एक नए संकल्प और नयी ऊर्जा के साथ राजस्थान और सम्भव हुआ तो देश की राजनीति को सच्चाई और अच्छाई की ओर आगे बढ़ाने का कार्य अपने हाथ में लेता हूँ। ईश्वर इस कार्य में मेरी सहायता करें।
आप भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इस पत्र के माध्यम से मेरा भारतीय जनता पार्टी से त्यागपत्र आपको प्रस्तुत है। स्वीकार कर अनुग्रहित करें।
सादर,
घनश्याम तिवाड़ी
 मातृमंदिर, जयपुर

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