रविवार, 10 जून 2018

सरकारी नौकरियों की इतनी मांग क्यों है

भारत में रोजगार की चल रही बहस के बीच एक मीडिया घराने ने यह समझने के लिए सर्वे कराया कि आखिर अपने देश में सरकारी नौकरियों की इतनी मांग क्यों है? इससे जो बातें सामने आईं, वो गौरतलब हैं। विश्लेषकों के मुताबिक भारत में सरकारी नौकरी का मतलब है, आमदनी की गारंटी। साथ ही मकान और मुफ़्त में इलाज जैसी सुविधाएं। इसके अलावा सरकारी नौकरी करने वाले और उसके परिजनों को घूमने या कहीं आने-जाने के लिए पास भी मिलता है। 2006 में छठें वेतन आयोग की सिफ़ारिशें लागू होने के बाद भारत में सरकारी कर्मचारियों की तनख़्वाह भी निजी सेक्टर की नौकरियों से मुक़ाबले में आ गई थी। इसके अलावा सरकारी नौकरी की दूसरी सुविधाएं भी हैं।

यही वजह है कि भारत में सरकारी नौकरियों की वैकेंसी निकलने पर हज़ारों और कई बार तो लाखों लोग एक साथ आवेदन कर देते हैं। रेलवे और पुलिस की नौकरी के लिए तो बड़े पैमाने पर लोग अर्जी देते हैं। पिछले दिनों रेलवे ने क़रीब 30 बरस के अंतराल के बाद इसी साल एक लाख नौकरियों की वैकेंसी निकाली थी। इनमें ट्रैक मैन, कुली और इलेक्ट्रिशियन की नौकरियां शामिल हैं। एक लाख नौकरियों के लिए क़रीब दो करोड़ तीस लाख लोगों ने अर्ज़ी दी। और ऐसा नहीं है कि अर्ज़ियों की ये बाढ़ सिर्फ़ रेलवे की नौकरियों के लिए आती हैं। कुछ समय पहले देखने को मिला कि मुंबई पुलिस में 1,137 सिपाहियों की भर्ती के लिए दो लाख लोगों ने अप्लाई कर दिया। जबकि सिपाही पुलिस का सबसे छोटा पद है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में 2015 में सचिवालय क्लर्क के 368 पदों के लिए दो करोड़ तीस लाख आवेदन आए थे। यानी एक पद के लिए 6,250 अर्ज़ियां! तब इतने ज़्यादा लोगों ने आवेदन दे दिया था कि सरकार को भर्ती को रोकना पड़ा। बताया गया कि सभी लोगों के इंटरव्यू लिए जाएं तो उसमें चार साल लग जाएंगे। बहुत-सी ऐसी साधारण नौकरियों के लिए ख़ूब पढ़े-लिखे लोग भी आवेदन करते हैं।

इंजीनियरिंग या एमबीए की पढ़ाई करने वाले भी क्लर्क और चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन कर देते हैं। जाहिर है, ऐसा वे मज़बूरी के कारण करते हैँ। वे ऐसे पद पाने की होड़ में उतर जाते हैं, जिसके लिए दसवीं पास होना या उससे भी कम की शिक्षा जरूरी हो। ऐसी होड़ की पहली वजह जॉब सिक्योरिटी है। सरकारी सुविधाएं दूसरी वजह हैं। और एक बड़ी वजह ये भी बताई जाती है कि सरकारी नौकरी करने वालों को ख़ूब दहेज़ मिलता है!

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