बुधवार, 6 जून 2018

जल स्वावलंबन से राजस्थान बना जलसंपन्न राज्य

गांवों में वर्षा का पानी बहकर बाहर जाने की बजाय गांवों के ही निवासियों, पशुओं और खेतों के काम आए, इसी सोच के साथ 27 जनवरी 2016 से ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान’ की शुरुआत की गई। बारिश के पानी की एक-एक बूंद को सहेजकर गांवों को जल आत्मनिर्भरता की ओर बढा़ना इस अभियान का मूल उद्देश्य है।

पहला चरण
अभियान के पहले चरण (27 जनवरी 2016 से 30 जून 2016 तक) में प्रदेश की 295 पंचायत समितियों के 3 हज़ार 529 गांवों का चयन किया गया। अभियान के अन्तर्गत चयनित गांवों में पारंपरिक जल संरक्षण के तरीकों जैसे तालाब, कुंड, बावड़ियों, टांके आदि का मरम्मत कार्य एवं नई तकनीकों से एनिकट, टांके, मेड़बंदी आदि का निर्माण किया गया है। इन जल संरचनाओं के निकट 26.5 लाख से ज़्यादा पौधारोपण भी किया गया है साथ ही इन पौधों का अगले 5 सालों तक संरक्षण भी इस अभियान में शामिल है। इसमें भू-संरक्षण, पंचायतीराज, मनरेगा, कृषि, उद्यान, वन, जलदाय, जल संसाधन एवं भूजल ग्रहण आदि 9 राजकीय विभागों, सामाजिक धार्मिक समूहों एवं आमजन की भागीदारी सुनिश्चित की गई।

मुख्यमंत्री की दूरगामी सोच और बारिश के जल की एक-एक बूंद को सहज कर भूमि में समाहित करने की परिकल्पना अब साकार रूप लेने लगी है। अभियान के पहले चरण में 1270 करोड़ रुपये की लागत से करीब 94 हज़ार निर्माण कार्य पूरे किये गए। अभियान में बनी जल संरचनाओं से लम्बे समय के लिए पानी इकट्ठा हुआ है और गांव जल आत्मनिर्भर बने हैं।

दूसरा चरण
9 दिसम्बर 2016 से शुरू हुए दूसरे चरण में 4 हज़ार 200 नए गांवों का चयन किया गया व 66 शहरों (प्रत्येक ज़िले से 2) को भी अभियान में शामिल किया गया। शहरी क्षेत्रों में पूर्व में निर्मित बावड़ियों, तालाबों, जोहडों आदि की मरम्मत का कार्य किया गया। इस चरण में रूफ़ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के अलावा परकोलेशन टेंक भी बनाये गए हैं।

इस चरण में 2100 करोड़ रुपये की लागत से जल संरचनाओं में सुधार कार्य करवाए गए हैं।


राजस्थान देश का सबसे विकट परिस्थितियों वाला प्रदेश हैं यहां गर्मियों में भयंकर 50 डिग्री तापमान में लोहे को पिघला देने वाली गर्मी पड़ती हैं तो सर्दियों में हाड़ कंपा देने वाली सर्दी। ऐसे में राजस्थान का विकास कर पाना किसी भी सरकार के लिए बेहद मुश्किल सिद्ध होता हैं। राजस्थान में अक्सर किसानों और दूर-दराज के गांव-कस्बों में रहने वाले लोगों को पेयजल की समस्या से जूझते हुए देखा जा सकता हैं लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान को आत्मसंबल प्रदान किया हैं। मुख्यमंत्री राजे ने प्रदेश में पानी कि किल्लत को दूर करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जिससे राजस्थान के पानी से ही प्रदेशवासियों की प्यास बुझ सके। मुख्यमंत्री राजे ने खुद की देख-रेख में महत्वकांक्षी जल स्वावलंबन अभियान शुरू किया। इस अभियान से प्रदेश जल क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ हैं।  प्रदेश के 25 जोन को छोड़कर सभी जोन सुखा ग्रस्त थे वही जल स्वावलंबन अभियान के बाद 50 जोन ऐसे है जो जलसंपन्न हो गये हैं। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में मई 2016 तक 3421 गांवों में प्रतिदिन 1552 पानी के टैंकरों से जल सप्लाई की जाती थी जो जल स्वावलंबन अभियान के बाद मई 2017 में मात्र 674 से भी कम हो गई हैं। यह आंकड़ा साफ जाहिर करता हैं कि पानी के लिए यह अभियान प्रदेश के लिए वरदान साबित हुआ हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस अभियान से राजस्थान को किसी भी पड़ोसी राज्य के सामने पानी के लिए हाथ नही फैलाने पड़ते।  पहले  प्रदेश के गांवों की स्थिती पानी की समस्या के चलते पलायन की हो जाती थी वहीं आज वो गांव खुशहाली के साथ बारिश के पानी का भरपूर इस्तेमाल कर आजिविका चला रहे है। मुख्यमंत्री राजे के इन प्रयासों को देश-विदेश में सराहा गया व कई राज्यों ने प्रदेश के इस अभियान को अपनाया हैं।



आंकड़ो पर एक नज़र
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान से वास्तविकता में राजस्थान को आत्मनिर्भरता तो मिली ही है साथ ही प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को बड़े स्तर पर राहत मिली हैं। आज जो गांव पानी की कमी से पलायन कर रहे थे वे फिर से आबाद हो गये हैं। आज एक बार फिर उन गांवों को जिंदगी मिली हैं। लोगों को पीने का पानी मिला है और खेतों को सिंचाई के लिए। आंकड़ों पर नज़र डाले तो ग्रामीण जलदाय विभाग जहां अप्रैल 2016 में 577 गांवों में 1991 पानी के टैंकरों से जल आपूर्ति करता था वही मई महीने में यह आंकड़ा करीब 6 गुना बढ़ जाता था। मई 2016 के आते आते ग्रामीण जलदाय विभाग 3025 गांवों में 5450 टैंकरों के द्वारा जल आपूर्ति करता था। यह आकंड़ा मात्र दो माह का प्रदेश के सभी जिलों का है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि प्रदेश में गर्मी की प्रचंड़ता कितनी भयानक होती थी। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन के बाद इस आंकडे में एक सकारात्मक सूधार आया हैं। अप्रैल 2017 में 2016 की तुलना में गांवों की संख्या में भी कमी आई तो पानी के टैंकरों में भी। 2017 अप्रैल में मात्र 225 गांवों में 585 टैंकरों से जलदाय विभाग ने जल आपूर्ति की है। इसके अलावा मई माह में भी जलदाय विभाग ने 853 गांवों में1421 टैंकरों से जल सप्लाई की हैं। अब इस आंकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि राजस्थान जल क्षेत्र में कितना आत्मनिर्भर हुआ हैं।

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