गुरुवार, 17 जनवरी 2019

विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की सीबीआई से छुट्टी

केंद्र सरकार ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार अधिकारियों- एके शर्मा, एमके सिन्हा, जयंत जे. नाइकनवरे का कार्यकाल ख़त्म कर दिया है।

 केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार अधिकारियों का कार्यक्रम ख़त्म कर दिया है।

राकेश अस्थाना के अलावा जिन अधिकारियों का कार्यकाल ख़त्म किया गया है उनमें एके शर्मा, एमके सिन्हा, जयंत जे. नाइकनवरे हैं। एके शर्मा सीबीआई में जॉइट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे। एमके सिन्हा डीआईजी और जयंत जे. नइकनवरे एसपी पद पर थे।

सीबीआई के चारों अधिकारियों का कार्यकाल ख़त्म करने संबंधी आदेश पत्र.
मालूम हो कि सीबीआई के निदेशक रहे आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच मचे घमासान के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले साल 24 अक्टूबर को दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था। दोनों अधिकारियों ने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।



हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में मीट कारोबारी मोईन क़ुरैशी को क्लीनचिट देने में कथित तौर पर घूस लेने के आरोप में सीबीआई ने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने मोईन क़ुरैशी मामले में हैदराबाद के एक व्यापारी से दो बिचौलियों के ज़रिये पांच करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी।

जिसके बाद राकेश अस्थाना ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर ही इस मामले में आरोपी को बचाने के लिए दो करोड़ रुपये की घूस लेने का आरोप लगाया था। दोनों अफसरों के बीच मची रार सार्वजनिक हो गई तो केंद्र सरकार ने दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था।

इस बीच सीबीआई के डीआईजी एमके सिन्हा ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल पर गंभीर आरोप लगाए थे।

सिन्हा ने अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में हुए अपने तबादले को ‘मनमाना और दुर्भावनापूर्ण’ बताते हुए शीर्ष अदालत में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी।

सीबीआई अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा राकेश अस्थाना केस की जांच का नेतृत्व कर रहे थे और सीबीआई अधिकारी एके बस्सी के साथ उनका भी तबादला कर दिया गया था।

उनका यह भी आरोप था कि उनका तबादला सिर्फ इस उद्देश्य से हुआ क्योंकि उनके द्वारा की जा रही जांच से कुछ ताकतवर लोगों के खिलाफ सबूत सामने आ गए थे।

शीर्ष अदालत में डाली गयी याचिका में उन्होंने एनएसए अजीत डोभाल पर इस मामले की जांच को रोकने की कोशिश करने की भी बात कही थी।

उन्होंने कहा था कि अजीत डोभाल के मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद से नजदीकी रिश्ते हैं- मनोज और सोमेश का नाम मोईन कुरैशी रिश्वत मामले में बिचौलिए के रूप में सामने आया है।

सिन्हा ने इस याचिका में यह भी आरोप लगाया था कि मोईन कुरैशी रिश्वत मामले की जांच कर रहे कुछ विशेष अधिकारियों द्वारा चलाये जा रहे ‘वसूली’ रैकेट द्वारा मोदी कैबिनेट में कोयला और खान राज्यमंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी को जून 2018 के पहले पखवाड़े में ‘कुछ करोड़ रुपये’ दिए गए थे।

हालांकि उस समय विधि सचिव और सीवीसी दोनों ने सिन्हा के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया था।

वहीं आलोक वर्मा ने भी उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बीते आठ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को उनके अधिकारों से वंचित कर छुट्टी पर भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को ख़ारिज कर दिया था।

इसके दो दिन बाद 10 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की एक बैठक के बाद आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटा दिया गया।

अधिकारियों ने बताया कि 1979 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया है। पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा को अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया गया था। हालांकि आलोक वर्मा ने इस पद को संभालने से मना कर दिया था।

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