जयपुर । 15वीं विधानसभा के लिए चुनकर आए अधिकतर जनप्रतिनिधियों ने विधानसभा के भीतर आते ही मौन व्रत धारण कर लिया है। प्रदेश के 70 फ़ीसदी से अधिक विधायकों ने इस बार विधानसभा में सरकार से पूछने के लिए कोई भी सवाल लगाया ही नहीं। वहीं जिन विधायकों ने सवाल लगाए हैं, उनमें से सर्वाधिक सवाल चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के विभागों से जुड़े हैं।
राजस्थान में लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा है। यह जन समस्याओं को उठा कर सरकार को घेरने का सबसे बड़ा मंच है। बावजूद इसके विधानसभा में इस बार केवल 35 विधायकों ने ही करीब साढ़े 400 प्रश्न लगाए हैं। इनमें भी सर्वाधिक प्रश्न चिकित्सा महकमे और ग्रामीण विकास व पंचायती राज व पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट के हैं। मतलब सर्वाधिक सवालों के जवाब मंत्री रघु शर्मा और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को ही देने हैं। अब तक जो सवाल लगाए गए हैं उनमें 74 तारांकित और अतारांकित सवाल पूछे जाने की अनुमति दी गई है। लेकिन पूछे गए सवालों से साफ हो गया है कि प्रदेश में तेजी से फैल रहे स्वाइन फ्लू व अन्य मौसमी बीमारियों को लेकर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को घेरा जाएगा। अकेले 40 से अधिक सवाल उन्हीं के डिपार्टमेंट के हैं। वहीं करीब 38 सवाल उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट से जुड़े विभागों के हैं।
कर्ज माफी पर सहकारिता मंत्री से 11 सवाल लगाए गए हैं, जिस में यूरिया किल्लत से जुड़े सवाल भी शामिल हैं। कुल 450 सवालों में से 232 तारांकित और 218 सवाल अतारांकित श्रेणी में है। जिस तरह मौजूदा सरकार के पहले ही विधानसभा सत्र में सवाल लगाए गए हैं। उसके बाद यह साफ है कि अधिकतर जनप्रतिनिधि या तो सवाल लगाने में रुचि नहीं रखते या फिर उन्हें संसदीय प्रक्रियाओं की पूर्ण जानकारी नहीं है। जिसके चलते वह चाह कर भी सवाल नहीं लगा पाए। हालांकि मौजूदा विधायकों में 80 से अधिक नए हैं। वहीं, वरिष्ठ विधायकों का मानना है कि सरकार ने कामकाज शुरू ही किया है। वहीं सरकार से पूछने के लिए ज्यादा कुछ ना तो विपक्ष के पास है और ना ही नए विधायकों के पास है। लिहाजा विधानसभा के पहले सत्र में सवाल कम ही लगाए गए हैं।

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