बुधवार, 16 जनवरी 2019

सुप्रीम कोर्ट में जज की 'नियुक्ति' पर विवाद

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा दो हाई कोर्टों के चीफ जस्टिसों को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की सिफारिश पर यू-टर्न लेने के बाद विवाद बढ़ गया है। कॉलेजियम ने इनकी जगह दो अन्य हाईकोर्ट के जस्टिसों को जज बनाने की अनुशंसा की है।

जिन दो जजों के नामों की सिफारिश की गई है, वे हैं कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना।

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में भेजे जाने की अनुशंसा पर विवाद हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने कॉलेजियम के फैसले को लेकर मुख्य न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को चिट्ठी लिखी है।  

पत्र के अनुसार वरिष्ठता के क्रम में आगे राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग पर जस्टिस खन्ना को वरियता देना ठीक नहीं है। पत्र में कहा गया है कि कॉलेजियम के इस फैसले से गलत संदेश जाएगा। 

जस्टिस कौल ने खन्ना पर सवाल नहीं उठाए हैं। 

कॉलेजियम ने इसके पहले जिन दो नामों की सिफारिश की थी, वे थे -- राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति राजेन्द्र नंद्राजोग और दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन।

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस कैलाश गंभीर ने भी राष्ट्रपति को खत लिखकर कॉलेजियम के इस फैसले (माहेश्वरी और खन्ना) पर पुनर्विचार करने की अपील की थी। 

जस्टिस कैलाश गंभीर ने 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की कथित अनदेखी करते हुए न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में भेजे जाने की कॉलेजियम की सिफारिश के खिलाफ राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है।

यह पत्र सोमवार को लिखा गया है, जो दो पन्नों का है। इसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि न्यायमूर्ति खन्ना दिवंगत न्यायामूर्ति एच आर खन्ना के भतीजे हैं, जिन्होंने आपातकाल के दौरान असहमति वाला एक फैसला दिया था।



इसके बाद उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करके किसी और को प्रधान न्यायाधीश बनाया गया था। दरअसल, उन्होंने इस विचार का समर्थन नहीं किया था, कुछ खास परिस्थितियों में मूल अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है।

इसमें कहा गया है कि जिस तरह से न्यायमूर्ति एचआर खन्ना की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर अन्य न्यायाधीश को प्रधान न्यायाधीश बनाए जाने को भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ‘काला दिन’ बताया जाता है।

इसी तरह 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करके न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को न्यायाधीश बनाया जाना सही नहीं होगा।

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