तब जब चुनाव सामने है। इसके कोई फर्क नहीं पड़ता की यह क्या करते हैं कौन सा जुमला देते हैं। कोई भी इस सरकार को बचा नहीं सकता।
जयपुर । लोकसभा चुनाव में 100 दिन से भी कम समय बचा है और इस बीच नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। साल 2019 की पहली कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए मोदी सरकार पिछड़े सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने जा रही है।
संविधान में संशोधन की तैयारी
यह आरक्षण सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए कोटा मौजूदा 50 प्रतिशत के अलावा होगा। ऐसे में आरक्षण का कोटा 50% से बढ़कर 60% हो सकता है। सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कोटा पर संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को संसद में ला सकती है। इसके लिए संविधान में संशोधन की तैयारी कर ली गयी है।
संविधान का प्रावधान
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है। बशर्ते, यह साबित किया जा सके कि वे औरों के मुकाबले सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं। इसे तय करने के लिए कोई भी राज्य अपने यहां पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करके अलग-अलग वर्गों की सामाजिक स्थिति की जानकारी ले सकता है।
किन्हें मिलेगा नये आरक्षण का फायदा
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की परिभाषा भी स्पष्ट कर दी गयी है, यानी आरक्षण का फायदा किसे मिलेगा, इसका भी निर्धारण कर दिया गया है। अगर आप सवर्ण हैं, तो आयेंगे आरक्षण के दायरे में । सालाना आमदनी आठ लाख रुपये से कम हो । कृषि भूमि है, तो वह 5 हेक्टेयर से कम हो । घर हो, तो 1000 वर्ग फीट से कम का हो । निगम क्षेत्र में आवासीय प्लॉट है, तो वह 109 यार्ड से कम का हो । निगम से बाहर प्लॉट है, तो 209 यार्ड से कम जमीन हो ।आप अगर ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार, बनिया, कायस्थ, जाट, गुर्जर को इस श्रेणी में आरक्षण मिलेगा। इस आरक्षण का लाभ शिक्षा (सरकार या प्राइवेट), सार्वजनिक रोजगार में मिलेगा।
पिछड़े वर्ग की आबादी 50% से ज्यादा
1931 के बाद देश में सरकार की तरफ से कभी जातिगत जनगणना नहीं हुई है। हालांकि, 1990 के दशक में गठित किये गये मंडल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पिछड़े वर्ग की आबादी 50% से ज्यादा बतायी गयी थी।
125 लोकसभा सीटों पर सवर्ण भारी
2007 में सांख्यिकी मंत्रालय के एक सर्वे में यह बात निकल कर आयी थी कि हिंदू आबादी में पिछड़ा वर्ग की संख्या 41% और सवर्णों की संख्या 31% है। 2014 के एक अनुमान के मुताबिक 125 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां हर जातिगत समीकरणों पर सवर्ण उम्मीदवार भारी पड़ते हैं।
50% से ज्यादा न हो आरक्षण
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, आम तौर पर 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता। शीर्ष न्यायालय के फैसले के अनुसार, कोई भी राज्य 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकता।
यह है आरक्षण की स्थिति
आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था के तहत एससी के लिए 15, एसटी के लिए 7.5 और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण है। यहां आर्थिक आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। इसीलिए अब तक जिन राज्यों में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की कोशिश हुई उसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदन से इस बिल को दो तिहाई बहुमत से पारित कराना होगा। लोकसभा से इसे पास कराने के लिए 348 और राज्यसभा से पास कराने के लिए 163 मतों की जरूरत होगी।

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