राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री तो सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक सीपी जोशी के लिए यह खास जिम्मेदारी बचा कर रखी थी।
जयपुर। राजस्थान की पन्द्रहवीं विधानसभा के अध्यक्ष नाथद्वारा से विधायक सीपी जोशी होंगे। मुख्य सचेतक हवामहल से विधायक महेश जोशी को और उप मुख्य सचेतक नावा से विधायक महेन्द्र चौधरी को बनाया जाएगा। इनके नामों का एलान राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने किया। आज विधानसभा का पहला सत्र शुरू होगा। इसके बाद नाथद्वारा से विधायक जोशी विधानसभा अध्यक्ष के लिए नामांकन पत्र दाखिल करेंगे और चुनाव बुधवार को होंगे। इसके बाद ही विधानसभा के मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक के घोषणा होगी।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री तो सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक सीपी जोशी के लिए यह खास जिम्मेदारी बचा कर रखी थी।
राजस्थान में दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इसके बाद राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हुई थी। कुछ जानकार वरिष्ठता की हैसियत से अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने की बात कर रहे थे, तो कुछ युवा चेहरे के तौर पर सचिन पायलट पर नजर गड़ाए बैठे थे।
उस दौरान मुख्यमंत्री पद गहलोत और पायलट के इर्द-गिर्द ही घूम रहा था। इसके लिए जयपुर से लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक कई दौर का मंथन हुआ। राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा इसका फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हाथ में ही था। वे भी सिर्फ गहलोत और पायलट के नाम पर ही विभिन्न नेता और विधायकों की राय ले रहे थे।
लेकिन इन सबके बीच दिल्ली से दक्षिण-पश्चिम की ओर करीब 700 किलोमीटर दूर मेवाड़ अंचल में कुछ लोग कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक सीपी जोशी के मुख्यमंत्री बनने की आस लगाए बैठे थे। इनमें कुछ कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भी थे। उन्हें लग रहा था कि कहीं न कहीं सीपी जोशी भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से मुख्यधारा की राजनीति से ओझल हो चुके सीपी जोशी खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर होने के संकेत ही दे रहे थे।
इसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री पद के नाम पर अशोक गहलोत के नाम पर मुहर लगा दी। साथ ही पीसीसी चीफ सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बना दिया। इसके बाद मेवाड़ के लोगों को लगा कि पार्टी आलाकमान ने सीपी जोशी की अनदेखी की है। दबी जुबान में जोशी के समर्थन में विरोध के स्वर भी उठे लेकिन उसकी आवाज दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय तक नहीं पहुंच पाई। इसके बाद गहलोत कैबिनेट में भी उन्हें कोई जगह नहीं मिली। सबको लगा कि सीपी जोशी का राजनीतिक करियर अब हाशिए पर पहुंच गया है।
इसके बाद कयास ये भी लगाए जा रहे थे कि सीपी जोशी को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। लेकिन ऐसा भी सिर्फ कुछ लोगों का ही मानना था। क्योंकि सीपी जोशी ने पहले भले ही पार्टी स्तर पर बड़ी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है। लेकिन अब उनमें वो बात नहीं रही कि उन्हें चुनाव के मद्देनजर केंद्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सके।
कांग्रेस आलाकमान भी सीपी जोशी जैसे दिग्गज नेता को नजरअंदाज कर उनके समर्थक और जनता को नाराज नहीं करना चाहता है। इसी वजह से पार्टी ने उनके लिए राजस्थान में एक बड़ा पद बचाकर रखा हुआ था। कांग्रेस आलाकमान ने सोमवार को राजस्थान में विधानसभा अध्यक्ष के पद पर सीपी जोशी के नाम का ऐलान कर दिया।

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