रविवार, 20 जनवरी 2019

बीजेपी कार्यालय में वसुन्धरा राजे आज भी राजस्थान की मुख्यमंत्री

सेवादारनी का मोह नहीं छूट रहा महारानी की कुर्सी से
जयपुर। विशेष संवाददाता। 13 दिसम्बर 2018 को राजस्थान सरकार बदल गई। मुख्यमंत्री बदल गये। अब वसुन्धरा राजे मुख्यमंत्री नहीं रही। वसुन्धरा राजे  दो बार मुख्यमंत्री रहकर इस बार सेवादारनी बनना चाह रही थी। मीडिया में काफी छपा जब वसुन्धरा राजे ने कहा कि मैं जनता की सेवादारनी हूं।

 जनता ने भी जान लिया कि अब इससे सेवा ही कराई जाये क्योंकि मुख्यमंत्री बनने लायक यह है नहीं। मुख्यमंत्री बनकर इसने सेवा नहीं की, तो इसको विपक्ष में बैठा दिया जाये। और जनमत ने बहुमत से इसे मुख्यमंत्री से सेवादारनी बना दिया कि अब सेवा कर, लेकिन आश्चर्य तब हुआ जब जनता ढूंढती रही कि हमारी सेवादारनी चुनावों के बाद कहां चली गई । सेवादारनी तो जनता से दूर चली गई, शायद वह सेवा करना ही नहीं चाहती थी। वह तो जुमला था। 

लेकिन बीजेपी कार्यालय के लोग जुमलेबाज के आदेशानुसार शायद आज तक उसे मुख्यमंत्री ही मान रहे है। और उन्होंने 20 जनवरी, 2019 तक भी बीजेपी कार्यालय से वसुन्धरा राजे, मुख्यमंत्री की नेमप्लेट नहीं हटाई है। यह किसके कहने पर हो रहा है, यह जांच का विषय है। क्या जनता के मुख्यमंत्री तो अशोक गहलोत है और बीजेपी की मुख्यमंत्री आज भी वसुन्धरा राजे है, सच्चाई सामने आनी चाहिये।

 बीजेपी आज विपक्ष में हैं लेकिन उसे अपने ही पार्टी कार्यालय में इतनी बडी जानबूझकर या अन्जाने में की गई गलती नहीं दिख रही तो यह विपक्ष का रोल भी सही ढंग से अदा कर पायेगी, इसमें संशय है। क्या आज की बीजेपी के पदाधिकारी बीजेपी का नाम राजस्थान से मिटाकर ही दम लेंगे।

 जगजाहिर ने पहले भी चेताया था कि अशोक लाहोटी और वसुन्धरा राजे के मीडिया सलाहकार महेन्द्र भारद्वाज लगे है भाजपा की लुटिया डुबोने में। और उन्होंने लुटिया डुबो भी दी। अब वसुन्धरा राजे का अहंकार लगता है राजस्थान से बीजेपी की सफाई ही कर देगा। शायद वह दिखाना चाहती है कि राजस्थान में बीजेपी उसी की वजह से जीवित थी, उसके जाते ही बीजेपी फिर से जीरो पर आ गई। यह पार्टी के अंदरूनी घात के खेल है, केन्द्र में बैठी इसी पार्टी की सरकार को इसकी जांच करनी चाहिये।

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