सिस्टम में व्याप्त विद्रूपताओं से खिन्न राजेंद्र सिंह गहलाेत ने फुटपाथी यतीम काे बनाया नाटक का मुख्य अतिथि ।
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| सर्वेश भट्ट, वरिष्ठ कला समीक्षक |
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के तत्वावधान में रंगकर्मी राजेंद्र सिंह गहलोत ने बुधवार को रविंद्र मंच पर स्वदेश दीपक लिखित नाटक जलता हुआ रथ का मंचन किया। जलता हुआ रथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों में सिखों के नरसंहार से उपजे दर्द की कहानी है। गहलाेत का कहना है कि जनता के वाेट से बनने वाले सिस्टम के आगे आम आदमी याचक बनकर रह जाता है, वहां व्यक्तिगत रूप से उसकी काेई हैसियत नहीं हाेती है। सिस्टम में व्याप्त इसी विद्रूपता का प्रतिकार करने के लिए उन्हाेंने अजमेरी गेट के फुटपाथ पर जीवन बसर करने वाले कर्नाटक के सुरेंद्र से इस नाटक का उद्घाटन करवाया। इतना ही नहीं उन्हाेंने इस व्यक्ति काे सम्मान में उन्हें माणक अलंकरण में मिला शाॅल ओढ़ाया, उसे नकद राशि और लंच मुहैया करवाया। इसके बाद सम्मानपूर्वक उसे उसके स्थान पर छुड़वाया भी।
ये है नाटक की कहानी
ये थे नाटक के कुछ संवेदनशील संवाद
संवादाें की अदायगी ने की आंखें नम
नाटक में अधेड़ बाबा की मुख्य भूमिका राजेंद्र सिंह गहलाेत ने निभाई। हादसे के दाैरान जीवंत हुए मंजर से और उसके बाद बेटे की हत्या से पगलाए व्यक्ति के किरदार काे गहलाेत ने बहुत ही मार्मिक अंदाज में जिया। उनकी आंखाें से टपकती लाचारी और चेहरे पर आते-जाते हाव-भाव ही इस नाटक का सबसे बेहतरीन पक्ष थे। नाटक में मुकेश धर दुबे, डाॅ. चंद्रदीप हाड़ा, करण सिंह गहलाेत और सीतादेवी लेटानी सहित करीब एक दर्जन कलाकाराें ने अभिनय किया।
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