गुरुवार, 17 जनवरी 2019

पत्रकार हत्या: डेरा प्रमुख को उम्रकैद

वर्ष 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रामचंद्र ने अपने अख़बार ‘पूरा सच’ में प्रकाशित एक लेख में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था।


 पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की 16 साल पहले हुई हत्या के मामले में स्वयंभू बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह (51) समेत चार आरोपियों को सीबीआई की विशेष अदालत ने मंगलवार को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई। दोषियों पर 50-50 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

अदालत में गुरमीत सहित सभी दोषियों की वीडियो काॅन्‍फ्रेंसिंग के जरिये पेश किया गया। गुरमीत राम रहीम अपनी दो अनुयायियों से बलात्कार करने के मामले में फिलहाल 20 साल की कैद की सज़ा काट रहा है। ख़बरों के मुताबिक, उम्रक़ैद की सज़ा इस सज़ा के पूरी होने के बाद शुरू होगी।




रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने कहा, ‘यह सच की जीत है। हमें आज राहत मिली है। अभियोजन ने सज़ा-ए-मौत की मांग की थी, लेकिन जो सज़ा दी गई हम उससे संतुष्ट हैं।’

गौरतलब है कि वर्ष 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की उनके आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दरअसल उनके अखबार ‘पूरा सच’ ने एक पत्र प्रकाशित किया था, जिसमें सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय में गुरमीत पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था।

इससे पहले बीते 11 जनवरी को मामले में गुरमीत राम रहीम और समेत चारों आरोपियों को दोषी क़रार दिया था। तीन अन्य आरोपी- कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और कृष्ण लाल हैं।

सीबीआई के वकील एचपीएस वर्मा ने बताया कि सभी चारों आरोपियों को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक साजिश रचने) के तहत दोषी ठहराया। इस मामले में निर्मल सिंह और कृष्ण लाल को शस्त्र अधिनियिम के तहत भी दोषी ठहराया गया है।

छत्रपति के परिवार ने 2003 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख़ कर यह मामला सीबीआई को सौंपने की मांग की थी। इसकी जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गई। जांच एजेंसी ने जुलाई, 2007 में आरोपपत्र दाखिल किया था।

गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम को 28 अगस्त, 2017 में दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई थी। अभी वे जेल में हैं।

गुरमीत को दोषी ठहराए जाने के बाद पंचकुला और पंजाब एवं हरियाणा के कुछ अन्य हिस्सों में हिंसा हुई थी। पंचकुला में हिंसा में करीब 30 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में से ज्यादातर गुरमीत के समर्थक थे।

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