गुरुवार, 1 नवंबर 2018

वसुंधरा राजे और अमित शाह के बीच तलवारें खिंची

चुनाव के मैदान में दोबारा जीत का परचम लहराने के प्रयास में जुटी भाजपा के भीतर टिकट को लेकर वसुंधरा राजे और अमित शाह के बीच तलवारें खिंचने की नौबत पैदा हो गई है. प्रत्याशियों के चयन के मामले में दोनों ने पहली बैठक के दौरान ही एक-दूसरे को तेवर दिखा दिए हैं।





जयपुर । प्रदेशाध्यक्ष के मुद्दे पर राउंड 1 होने के बाद अब राजस्थान में गरमाए चुनावी माहौल के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच राउंड -2.0 की बिसात बिछ गई है. इसकी शुरुआत राजस्थान के प्रत्याशियों की पहली लिस्ट को लेकर अमित शाह के साथ हुई बैठक में हो गई. वसुंधरा की ओर से पेश किए गए लिस्ट को देखने के बाद शाह का पारा चढ़ गया. उन्होंने सूची को ठुकारते हुए दोबार मंथन करने के निर्देश दे डाले. वहीं, अपने खासमखास विधायकों की टिकट पर तलवार लटकता देख वसुंधरा ने भी तेवर कड़े कर लिए और बैठक से बाहर आ गई। शाह और वसुंधरा के फिर से आमने सामने होने के बाद से पार्टी के भीतर दोनों खेमों के बीच करंट दौड़ गया है।


दरअसल, चुनावी मैदान में फिर जीत का झंडा लहराने के लिए भाजपा जिताऊ उम्मीदवारों पर मंथन में जुटी है. राज्य में रणकपुर और जयपुर में 12 हजार कार्यकर्ताओं से हुई रायशुमारी के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 90 से अधिक सीटों पर सिंगल नामों का पैनल तैयार कराया. इन नामों की लिस्ट को लेकर वसुंधरा दिल्ली पहुंची. इस दौरान चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी, प्रदेश संगठन मंत्री चंद्रशेखर, चुनाव प्रबंधन समिति संयोजक गजेंद्र सिंह शेखावत, राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव, वी सतीश, अशोक परनामी राजेंद्र सिंह राठौड़ भी पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक  यहां पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से पहले चुनावी चर्चा की गई। इसके बाद वसुंधरा राजे ने 90 से अधिक नामों के सिंगल पैनल की लिस्ट को रखा. जिसे देखने के साथ ही शाह ने रिजेक्ट कर दिया. उन्होंने इतनी सीटों पर सिंगल पैनल पर विचार करने से साफ तौर पर मना कर दिया है।


वहीं, शाह के तेवर को देख वसुंधरा राजे ने भी पहले की तरह अड़ियल रुख अख्तियार कर लिया है. सूत्रों ने बताया कि जिन सीटों पर सिंगल नामों का पैनल तैयार किया गया है। उनमें से अधिकतर नाम वसुंधरा के खास मंत्रियों और विधायकों के हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि इस लिस्ट में उन विधायकों के नाम भी शामिल हैं, जिनकी परफोर्मेंस सर्वे और फीडबैक के दौरान खराब मिली है. जबकि, इस बार चुनाव में जीत के लिए समीकरण बिठा रहे शीर्ष नेतृत्व ने खराब परफोर्मेंस वाले मौजूदा विधायकों के टिकट काटने के निर्देश दे रखे हैं। इसके बाद भी इन विधायकों के नाम पहली सूची में सिंगल पैनल में होने पर लिस्ट को देखते ही शाह खफा हो गए। उन्होंने दोबारा से सूची को तैयार करने के निर्देश वसुंधरा को दे दिए हैं। सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान वसुंधरा भी अपने विधायकों के टिकट को बचाने के लिए ढाल बनकर खड़ी हो गई। उन्होंने कहा कि जो लोग पार्टी के साथ हमेशा खड़े रहते हैं उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।


जबकि, शाह ने सीधे तौर पर इतनी सीटों पर सिंगल पैनल के नामों पर विचार करने से मना कर दिया है. बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान यह भी प्रश्न खड़ा हुआ है कि जब हजारों कार्यकर्ताओं से रायशुमारी की गई तो फिर एक ही नाम का पैनल इतनी सीटों पर कैसे बन गया.  शाह की दो-टूक के बाद वसुंधरा राजे अपने विधायकों के साथ बैठक से बाहर आ गई। वहीं, इसके बाद वसुंधरा राजे की प्रकाश जावड़ेकर के साथ उनके आवास पर चर्चा हुई। देर रात चली इस बैठक के दौरान सभी सीटों पर आम सहमति बनाने को लेकर कवायद चलती रही । लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकल सका है।सूत्रों ने बताया कि शाह के साथ पहली बैठक में सामने आई खींचतान के बाद अब माना जा रहा है कि टिकट को लेकर एक बार फिर शाह और वसुंधरा के बीच बवाल होना तय है। इस बैठक के बाद शाह और वसुंधरा खेमा भी फिर से एक्टिव हो गया है। वहीं, बैठक के बाद बाहर आए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अभी नामों को लेकर शाह के साथ प्राथमिक रूप से चर्चा हुई है। 



प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है।उन्होंने किसी भी तरह के खींचतान से इनकार किया है। लेकिन, अपने बयानों से यह भी साफ कर दिया है कि टिकट की सूची पर निर्णय अब दिपावली के बाद ही होगा. उन्होंने कहा कि अभी एक बैठक और होगी, उसके बाद जब सीईसी समय देगा तब बैठक में शामिल होंगे। वड़ेकर ने बड़ी साफगोई से कहा कि कहीं कोई विवाद नहीं है । लेकिन, पहली बैठक में ही शाह और वसुंधरा के आमने-सामने होने चर्चा के साथ ही सियासत गरमाती जा रही है। आपको बता दें कि इससे पहले प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति के मामले में भी वसुंधरा और शाह आमने-सामने हो चुके हैं. शाह अपने विश्वसनीय केंद्रीय राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाहते थे. लेकिन,वसुंधरा अड़ गई थी, वे अंतिम समय तक शेखावत के नाम पर तैयार नहीं हुई। आखिरकार 74 दिन तक चले खींचतान के बाद शाह को ही बीच का रास्ता निकालना पड़ा. इसके बाद बतौर प्रदेशाध्यक्ष  मदनलाल सैनी को कमान सौंपी गई ।

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