बुधवार, 14 नवंबर 2018

अठारह साल का हुआ झारखंड


जयपुर । देश के 28वें राज्य के रूप में झारखंड का निर्माण प्रदेश की असीम संभावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए हुआ. छोटे राज्यों से विकास एवं सुशासन का मार्ग प्रशस्त होगा, इसी सोच के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने झारखंड, उत्तराखंड एवं छत्तीसगढ़ के निर्माण पर अपनी मुहर लगायी थी। अलग राज्य की मांग के साथ चले लंबे जनांदोलन से निकले झारखंड प्रदेश की आंखों में भविष्य के लिए सुनहरे सपने थे और हो भी क्यों नहीं जब इस प्रदेश को प्रकृति ने हर तरह से सजाया-संवारा हो।


खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड की धरती हरे-भरे वनों से आच्छादित है। यहां कहीं पहाड़ हैं, तो कहीं नदियां हैं। कहीं धान के खेत हैं, तो कहीं कोयलें गुनगुना रही हैं। लौह-अयस्क हैं, तो साथ ही बेशुमार खनिजों की खदानें भी हैं। कोयला, लोहा, तांबा, बाक्साईट आदि खनिजों से भरी हुई रत्नगर्भा झारखंड की भूमि ने साल, गंभार, सागवान के वनों की चुनरी ओढ़ रखी है।


शायद यह भी एक कारण है कि प्रकृति को पूजने वाले झारखंड के लोगों का जन-जीवन खेती-किसानी से लेकर जंगल से प्राप्त वन संपदा पर निर्भर है। विविधतापूर्ण लोक-संस्कृति एवं लोक कलाओं से ओत-प्रोत झारखंड राज्य की मेहनकश जनता के लिए अलग राज्य अपने सुनहरे भविष्य को साकार करने का एक सशक्त रास्ता था।

झारखंड में देश को अग्रणी राज्य बनने की सभी संभावनाएं मौजूद हैं। सवा तीन करोड़ की जनसंख्या वाला यह प्रदेश देश को प्रतिभाशाली युवा तो देता ही है, साथ ही देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ी और मेधावी छात्र एवं बुद्धिजीवी भी देता है। मेहनतकश किसान एवं मजदूर किसी भी मायने में देश के अन्य भाग से कम नहीं।


यह एक ऐसा प्रदेश है जहां देश की कुल खनिज का 40 प्रतिशत उत्पादन होता है, देश में यह लौह अयस्क, तांबा, अभ्रक, एस्बेस्टस एवं यूरेनियम के उत्पादन में प्रथम है तथा कोयला और थोरियम के उत्पादन में तीसरा स्थान रखता है. यह एक विडंबना ही थी कि जिस प्रदेश से देश का 40 प्रतिशत खनिज उत्पादन होता रहा, वहां की लगभग 40 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा के नीचे रही।


यह स्पष्ट था कि एक समृद्ध प्रदेश की जनता गरीब रही और इस प्रदेश के अकूत संसाधनों के दोहन के बाद भी यहां शिक्षा, विकास, सुशासन पर सरकार का ध्यान नहीं रहा. यहां के जनजातीय, किसान, श्रमिक, छात्र, आमजन उपेक्षा एवं अदूरदर्शिता के शिकार होते रहे।


 अलग राज्य बनने के बाद झारखंड को लंबे समय तक राजनीतिक झंझावातों से जूझना पड़ा। चुनाव-दर-चुनाव खंडित जनादेश के कारण राजनीतिक अस्थिरता का लंबे दौर चला। सरकार बनाने एवं गिराने का खेल चलता रहा, राजनीति में आयाराम-गयाराम का खेल चलने लगा। राजनीतिक विश्वसनीयता लोगों के बीच समाप्त होने लगी।


स्थिति यहां तक पहुंच गयी कि सत्ता के खेल में एक निर्दलीय विधायक कुछ प्रमुख दलों के समर्थन से मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हो गया। इस तरह की सत्ता केंद्रित राजनीति में भ्रष्टाचार तो पनपना ही था। राजनीतिक अस्थिरता एवं भ्रष्टाचार, मानो कोढ़ में खाज के समान हो। ऐसे वातावरण में दृढ़ संकल्प वाला दूरदर्शी नेतृत्व का उभरना कठिन हो गया था। चाहकर भी राजनीतिक नेतृत्व के हाथ बंधे रहे। राजनीति को व्यापार मानने वाले नेता बन बैठे, जिसके फलस्वरूप प्रदेश को भारी लूट एवं भ्रष्टाचार के दौर से गुजरना पड़ा।


स्थिति ऐसी बनी की पूरे देश में झारखंड की राजनीति को भ्रष्टाचार एवं लूट के पर्याय के रूप में देखा जाने लगा। इसके साथ-साथ राजनीतिक नेतृत्व की कमजोरी से नक्सल-माओवाद चरमपंथ को भी अपने फन फैलाने का अवसर मिला। झारखंड के संसाधन को हर तरफ से लूटा जाने लगा और प्रदेश की असहाय जनतायह सब देखने की मजबूर हो गयी. प्रदेश के विकास के लिए कोई दूरगामी कोई नीति नहीं बन पाई तथा झारखंड के कदम लड़खड़ाने लगे। यह एक ऐसा दौर था जब राजनीतिक अनिश्चितता के वातावरण में नकारात्मकता एवं निराशा आम आदमी के मन में घर करने लगी।


 राजनीतिक अस्थिरता एवं भ्रष्टाचार के दौर के बीच प्रदेश की जनता ने शायद अपना मन बना लिया था जिसका परिणाम था स्पष्ट बहुमत वाली सरकार। राजनीतिक स्थिरता का परिणाम आज सबके सामने है। एक तरफ जहां प्रदेश के खदानों से संसाधनों की खुली लूट पर लगाम कसी गयी, वहीं, दूसरी ओर आज अनेक कल्याणकारी योजनाओं का भी परिणाम सामने आने लगा है।


झारखंड की छवि देश में तेजी से बदल रही है। विकास एवं सुशासन के अनेक मानदंडों पर झारखंड अपनी छाप छोड़ रहा है। नक्सलवादी-माओवाद आतंक पर शिकंजा कसा जा चुका है। गुजरात के बाद झारखंड सबसे तेज गति से विकास करने वाला प्रदेश बन चुका है तथा मजबूती से अपने कदम आगे बढ़ा रहा है। डोभा निर्माण, दुधारू गायों की योजना, कृषि सिंगल विंडो, कौशल विकास कार्यक्रम, जन-वन योजना, जन-धन योजना, मुद्रा योजना जैसे अनेक अभिनव योजनाओं के माध्यम से पूरे प्रदेश की तस्वीर बदली जा रही है।


‘मोमेंटम झारखंड’ के अंतर्गत सैकड़ों औद्योगिक परियोजनाएं प्रदेश में विकास एवं युवाओं को रोजगार के नये द्वार खोल रहे हैं. गांव-गांव का तेजी से विद्युतीकरण के बाद अब घर-घर बिजली पहुंचायी जा रही है। ‘जोहार योजना’ के माध्यम से प्रदेश से गरीबी खत्म करने का सराहनीय प्रयास हो रहा है। लाखों युवाओं को सरकार ने नौकरियां भी देने में सफलता प्राप्त की है।


केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं, एयरपोर्ट एवं सड़क निर्माण से झारखंड उच्च स्तरीय विकास दर के लिए अब तैयार है। कुल मिलाकर एक स्थिर सरकार से विकास की दिशा स्पष्ट हुई है तथा प्रदेश में विकास ने अपनी गति पकड़ी है।


 झारखंड एक ऐसा प्रदेश है, जिसके पास सब कुछ है। हर प्रकार के संसाधनों से यह प्रदेश समृद्ध है. इसमें न केवल एक अग्रणी प्रदेश बनने की क्षमता है, बल्कि यह पूरे देश में विकास एवं सुशासन के नये मानदंड रख सकता है. राजनीतिक अस्थिरता के दौर से यह प्रदेश अब उबर चुका है और भ्रष्टाचार एवं घोटालों के दलदल से भी बाहर आया है।


यह समय है कि झारखंड के लिये एक दीर्घकालिक ‘रोडमैप’ तैयार हो तथा इसके संसाधनों का लाभ इस प्रदेश को अधिक से अधिक मिल पाये, इसकी योजना बननी चाहिए. प्रदेश में कृषि भी एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें अपार संभावनाएं हैं। सौभाग्य से वर्तमान सरकार का ध्यान इस ओर गया है. यदि सिंचाई के अत्याधुनिक तकनीक के साथ-साथ खेती के नये प्रयोग किये जाये तो प्रदेश से गरीबी दूर की जा सकती है. इसी प्रकार पर्यटन के क्षेत्र में भी अपार संभावानाएं हैं।


झारखंड उत्तर-पूर्व, उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश की तरह वनों एवं पहाड़ों से आच्छादित एक बहुत ही सुंदर प्रदेश है. यहां पर यदि पर्यटन के लिए उच्च-स्तरीय आधारभूत संरचना का निर्माण किया जाय, तब इस प्रदेश के नौजवानों को रोजगार के लिये दूसरे प्रदेशों का मुंह नहीं देखना पड़ेगा। उच्च-स्तरीय शिक्षा के क्षेत्र में कार्य हुआ है और अधिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देकर मेधावी युवाओं को पूर्ण अवसर मिले, ऐसा वातावरण तैयार करना पड़ेगा। आज जब पूरा प्रदेश अपनी स्थापना का 19वां वर्ष मना रहा है, झारखंड के नये विकास की गाथा लिखने के लिए सभी को संकल्प लेना पड़ेगा।

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