महेन्द्र भारद्वाज पर हमेशा यह भी आरोप रहा है कि वह स्वंय कभी भी एक स़िद्धहस्त पत्रकार नही रहे बल्कि मीडिया मैनेजर की भूमिका मे ही रहे हैं और इसी भूमिका के कारण वसुन्धरा राजे ने उन्हें अपना मीडिया सलाहकार नियुक्त किया, और उन्होनें मीडिया सलाहकार बनते ही चाटुकार, चापलूस मीडिया संस्थानों और पत्रकारों के अलावा किसी का नियमानुसार काम नहीं किया।
जयपुर। जगजाहिर विशेष संवाददाता। प्रदेश में अगली सरकार की तैयारियां शुरू हो चुकी है। सरकार भी अब सरकार नहीं रही, चुनाव आयोग के हाथ में अधिकतर शक्तियां स्थानांतरित हो चुकी है। दोनों ही प्रमुख दल जनता के समक्ष याचक की मुद्रा में नजर आ रहे हैं, लेकिन भाजपा के नेता शायद अभी भी सत्ता के नशे से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
वाकया रविवार को प्रदेश मीडिया सेन्टर में आयोजित दीपावली स्नेह मिलन समारोह का है। जहां प्रदेश भाजपा के सभी कार्यक्रमों और विभिन्न बयानों को प्रदेश भाजपा मीडिया सेन्टर जारी करता रहा है। इन दिनों चुनाव को लेकर होने वाली विभिन्न नेताओं की प्रेस वार्ताओं के न्यौते भी भाजपा मीडिया सेन्टर की ओर से सभी पत्रकार व पत्र संस्थानों को भेजे जाते हैं, लेकिन रविवार को हुए दीपावली स्नेह मिलन समारोह के निमंत्रण की सूची मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के मीडिया सलाहकार महेन्द्र भारद्वाज द्वारा तय किए जाने पर अनेक सवाल खड़े हो रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री ने पांच साल तक अपने पास ही रखा है और समय की कमी के चलते इस विभाग के सभी फैसले महेन्द्र भारद्वाज ही करते आए हैं। अब जब सरकार का रोल समाप्त हो गया है तो सभी कार्यक्रम प्रदेश मीडिया सेन्टर में ही हो रहे हैं। इसके बावजूद महेन्द्र भारद्वाज द्वारा कुछ चुनिन्दा चाटुकार पत्रकारों को ही दीपावली स्नेह मिलन समारोह में बुलाया जाना समझ से परे है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि प्रदेश् में सरकार के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी भी है और पत्रकारों में भी सरकार के खिलाफ खासी नाराजगी रही है। सरकार में सूचना जनसम्पर्क विभाग के पांच साल के कार्य देखें तो रूटीन की फाइलें भी जो विभागीय मंत्री के साइन के लिए भेजी गई, वे भी पांच साल से अब तक लौटने के इंतजार में हैं। महेन्द्र भारद्वाज पर हमेशा यह भी आरोप रहा है कि वह स्वंय कभी भी एक स़िद्धहस्त पत्रकार नही रहे बल्कि मीडिया मैनेजर की भूमिका मे ही रहे हैं और इसी भूमिका के कारण वसुन्धरा राजे ने उन्हें अपना मीडिया सलाहकार नियुक्त किया, और उन्होनें मीडिया सलाहकार बनते ही चाटुकार, चापलूस मीडिया संस्थानों और पत्रकारों के अलावा किसी का नियमानुसार काम नहीं किया।
ऐसे में पुन: मीडिया व पत्रकारों को दीपावली मिलन समारोह में बुलाने के चयन का अधिकार महेन्द्र भारद्वाज को देना और उनके द्वारा फिर से अनेक प्रमुख मीडिया व पत्रकारों को समारोह में प्रवेश से वंचित करना भाजपा एवं वसुन्धरा राजे के प्रति एक नई नाराजगी को जन्म दे रहा है।
अव्वल तो असल पत्रकारों को इस समारोह के लिए निमंत्रण ही नहीं भेजा गया और जब वे प्रेस ब्रीफ व प्रेस नोट के लिए रोज की तरह मीडिया सेन्टर पहुंचे तो वहां नजारा ही कुछ और देखने को मिला। वहां महेन्द्र भारद्वाज की बनाई सूची लिए गार्डों ने पत्रकारों को गेट में ही नहीं घुसने दिया जबकि नियमित रूप से ये ही पत्रकार मीडिया सेन्टर की प्रेस नोट व नेताओं की कवरेज अपने संस्थानों में प्रकाशित करवा रहे हैं। वहां गेट पर खडे गार्डों ने साफ कहा कि उन्हें महेन्द्र भारद्वाज ने केवल सलेक्टेड लोगों की ही सूची दी है, जिन्हें वे अंदर जाने देंगे। ऐसे ही कारनामों को महेन्द्र भारद्वाज पहले भी अंजाम दे चुके हैं। मुख्यमंत्री आवास पर मीडिया मिलन समारोह रखा गया था वहां भी यही हथकंड़े अपनाये गये थे जो वर्तमान में अपनाये जा रहे है। ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार की पूरी लुटिया डुबोकर ही छोडेंगे मीडिया सलाहकार महेन्द्र भारद्वाज।

बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंVery true
जवाब देंहटाएं