गुरुवार, 26 अक्टूबर 2017

शारदा सिन्हा के गीतों के बिना अधूरा है छठ...

 बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भगवान भास्कर की उपासना की जा रही है। छठ की बात करें तो पद्मश्री शारदा सिन्हा के गीतों के बगैर छठ पूजा अधूरी है। दिवाली के बाद से ही हर गली मुहल्ले में शारदा सिन्हा के गाए छठ गीत आज भी गूंज रहे हैं। छठ के गीत अनेक गायकों ने गाया लेकिन शारदा सिन्हा के गाए गीत आज भी सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं।
लोक आस्था के महापर्व छठ की पूजा के तीसरे दिन आज भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। 24 अक्टूबर से शुरू हुआ यह पर्व सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की कामना पूर्ण करने के लिए किया जाता है। इस पर्व में छठ गीतों का अपना खास महत्व होता है। गीतों में ही पूजा का पूरी विधि और महत्ता बताई गई है।
शारदा सिन्हा ने इस पर्व के लिए एक से बढ़कर एक गीत गाए हैं। बिहार की लोक-गायिका शारदा सिन्हा छठ के गानों के लिए मशहूर हैं। 1980 में उन्होंने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत की थी। पद्मश्री से सम्मानित हो चुकीं शारदा सिन्हा अब तक 62 छठ के गानों को आवाज दे चुकी हैं।

 5 प्रमुख छठ गीतों पर जो छठ की महिमा बताते हैं....
1. पहला गाना...केलवा के पात पर उगेलन सुरूज देव ढांके-ढूके....ये गीत सुबह के अर्घ्य के समय जरूर सुनाई देता है, इस गाने में सूर्योदय के समय भगवान भास्कर की उपासना की गई है।
2. दूसरा गाना-हे छठी मईया...हे छठी मईया, इस गाने में छठ माता की महिमा का गुणगान किया है।
3. उग हो सुरूज देव अर्घ्य के बेर...इस गाने में सूर्य देवता को जल्द दर्शन देने का अनुनय-विनय किया गया है, ताकि छठ व्रती अर्घ्य दे सकें।
4.दर्शन दिहीं ना अापन हे छठी मईया...छठी मईया को अपनी कृपा बनाए रखने और दर्शन देने की मिन्नत की गई है।
5. केलवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंडराय...इस गाने में तोते को हिदायत दी जाती है कि अगर पवित्रता भंग की तो इसका बुरा फल मिलेगा।

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