रविवार, 1 अक्टूबर 2017

संवैधानिक मर्यादाओं का हर पल ख्याल रखेंगे - (गंगा प्रसाद, )

 बिहार में भाजपा की बुनियाद रखने वाले नेताओं में से एक गंगा प्रसाद चौरसिया राजनीति के गलियारे में गंगा बाबू के नाम से प्रसिद्ध हैं। सादा-सरल जीवन और धार्मिक-सामाजिक मनोभाव। आर्य समाज से लेकर गायत्री परिवार तक की सेवा में संलिप्त रहे। निष्ठा और समर्पण के साथ संगठन (संघ से लेकर भाजपा तक) कार्य में डटे रहने का परिणाम है कि उन्हें मेघालय के राज्यपाल का दायित्व मिला है। भाजपा के लिए इसका उद्देश्य बेशक राजनीतिक है, लेकिन चौरसिया समाज के लिए तो यह पहली उपलब्धि है।
गंगा बाबू अभी आर्य समाज के कार्यक्रम के सिलसिले में हरिद्वार की यात्रा पर हैं। वहीं उन्हें यह सूचना मिली, जिसे वे प्रभु की इच्छा बता रहे। दूरभाष पर उन्होंने संगठन और जन-सेवा के लिए सतत समर्पित रहने की प्रतिबद्धता जताई। कहा कि राज्यपाल के पद पर रहते हुए वे संवैधानिक मर्यादाओं का हर पल ख्याल रखेंगे। थोड़ी देर के लिए वे भाव-विह्वïल हो गए। कहा कि चौरसिया समाज को इतना सम्मान पहली बार मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के प्रति यह समाज कृतज्ञ है।
बिहार से भाजपा के तीसरे राज्यपाल
बिहार से राज्यपाल बनने वाले गंगा प्रसाद तीसरे भाजपाई हैं। इससे पहले कैलाशपति मिश्र राज्यपाल नियुक्त किए गए थे। बिहार भाजपा का पितामह कहे जाने वाले कैलाशपति मिश्र इस दुनिया में नहीं रहे। बतौर राज्यपाल दूसरी उपलब्धि मृदुला सिन्हा के खाते में दर्ज हैं। वे अभी गोवा की राज्यपाल हैं। गंगा प्रसाद को राज्यपाल नियुक्त कर भाजपा बिहार में अति पिछड़ा समाज को गोलबंद करने की अपनी रणनीति पर आगे बढ़ रही है। सनद रहे कि पिछले चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने में सवर्णों के साथ अति पिछड़ा मतदाताओं की प्रबल भूमिका रही है।
संघ से भाजपा तक एकनिष्ठ
जीवन के प्रारंभिक काल से ही गंगा प्रसाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों में सहभागी बनते रहे। आपातकाल के समय पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में काम किए। कुर्की-जब्ती के बाद गिरफ्तारी हुई।
पटना के बेली रोड स्थित मुंदर सिंह कोल्ड स्टोरेज कभी भाजपा के लिए एक कार्यालय की तरह हुआ करता था। वहां दिन-रात भाजपाइयों का जमावड़ा लगता और पार्टी को बुलंदी पर ले जाने की रणनीति बनाई जाती। बिहार में भाजपा की सफलता से जुड़े कई फैसले उन्हीं बैठकों में लिए गए। संगठन की जड़ें मजबूत करने से लेकर राम जन्मभूमि आंदोलन में सहभागिता तक की वहां रणनीति बनी।
राजनीतिक जीवन और मुकाम

भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी के रूप में वे 1967, 1969 और 1985 में दानापुर विधानसभा से चुनाव लड़े। जीत बेशक नहीं मिली, लेकिन अपने व्यक्तित्व के दम पर पार्टी का परचम बुलंद रखे। सन् 1994 में पहली बार बिहार विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए। 18 साल तक विधान पार्षद रहे। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार के दौर में विधान परिषद के नेता का भी दायित्व निभाया। उसके बाद सत्तारूढ़ दल के उप नेता रहे। पांच वर्षों तक नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी का निर्वहन किया।
पद, प्रतिष्ठा और परिवार
बिहार में राजग की पहली सरकार में ही गंगा प्रसाद मंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन मुखर कभी नहीं हुए। राजनीतिक समीकरणों के कारण वे मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए गए। उन्हें किसी निगम-बोर्ड में अध्यक्ष पद मिलने की संभावना भी जताई गई। वैसा नहीं हुआ।

2015 के विधानसभा चुनाव में उनके बड़े पुत्र डॉ. संजीव चौरसिया को दीघा से पार्टी का टिकट मिला। संजीव चौरसिया अभी विधायक हैं। छोटे बेटे दीपक चौरसिया की पत्नी मधु चौरसिया पटना नगर निगम में सशक्त स्थायी समिति की सदस्य हैं। मधु जिस वार्ड की पार्षद हैं, नगर निगम में उसका प्रतिनिधित्व पहले दीपक किया करते थे।

जीवन-वृत्त 
(गंगा प्रसाद, राज्यपाल, मेघालय)
पिता : स्वर्गीय मुंदर साह
पता : मुंदर साह कोल्ड स्टोरेज, खाजपुरा, बेली रोड, पटना, बिहार
वर्तमान दायित्व और पद
1. सदस्य, भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति
2. अध्यक्ष, कैलाशपति मिश्र न्यास समिति
3. राज्य प्रधान, बिहार राज्य आर्य प्रतिनिधि सभा, बिहार प्रदेश
4. अध्यक्ष, बिहार राज्य खाद्यान्न व्यवसायी संघ, बिहार प्रदेश
5. प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन, बिहार इकाई
6. संरक्षक, अखिल भारतीय चौरसिया महासभा
7. प्रदेश अध्यक्ष, दधीचि देहदान समिति, बिहार
पूर्व के दायित्व और पद   भाजपा का बिहार प्रदेश निधि प्रमुख , भाजपा के बिहार प्रदेश महामंत्री  ,. संघ के अनुषांगिक संगठन (लघु उद्योग भारती) में बिहार और झाखंड के क्षेत्रीय अध्यक्ष
 भारतीय चौरसिया महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें