गुरुवार, 26 अक्टूबर 2017

अमित शाह हुए बदनाम, कैसे

भाजपा की अंदरूनी खलनायकी से! वैसे ही जैसे नितिन गडकरी बतौर अध्यक्ष हुए थे। कई कारण है जिनसे अमित शाह का मामला भाजपा के एक और अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण जैसा नहीं है। बंगारू लक्ष्मण को तहलका ने ताना-बाना बुन फंसाया था जबकि ‘द वायर’ में जिस पत्रकार ने अमित शाह के बेटे की रिपोर्ट दी उसका आधार खुद सरकारी रिकार्ड से निकाला हुआ दस्तावेज है। मतलब अरूण जेटली के कॉरपोरेट मंत्रालय की आरओसी विभाग में में दाखिल हुए रिर्टन का यह दस्तावेज है। अमित शाह के बेटे की फर्म ने जो रिटर्न जमा किए वहीं खबर की बुनियाद है। तभी बुनियादी सवाल है कि पत्रकार को इसका आइडिया, हिंट, टिप किसने दिया? पत्रकार ने खुद कहीं से टिप मिलने की बात कही है। बाद में आरओसी के कागज डाउनलोड करने, समझने, रिसर्च का उसने काम जरूर किया। दरबार में पैंठ रखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार ने मुझे बताया है कि यह टिप तो छह महीने से चल रहा था। सुझाया जा रहा था जय शाह आजकल क्या कर रहा है पहले तो वह...
सो पैटर्न वहीं है जो नितिन गडकरी के वक्त था। शातिर सियासी दिमाग ने गडकरी की पूर्ति कंपनी में वकील की तरह कागजों में खोजा कि वह क्या है जिससे बात का बतंगड बन सकें। पीछे खोखा कंपनियों की लिस्ट से गौरखधंधा होने की मीडिया को बात लीक हुई। तब एक चैनल से बात का बतंगड बना और नितिन गडकरी हो गए बदनाम!सोचे, नितिन गडकरी तब किसकी आंखों की किरकिरी थे? उनके बढ़ते ग्राफ के आगे अपने को कौन बौना महसूस कर रहा था? तब चैनल की एंकर किसके घर बैठी रहती थी? तब भी जानने वाले नए साल की दावतों में उस एकंर की वैसी ही अंतरगता महसूस करते थे जैसे मौजूदा भंड़ाफोड़ पत्रकार भी तब उन दावतों में वैसा ही महत्व लिए दिखती थी। अपन तब भी बतंगड़ देख रहे थे। मैंने तब भी लिखा था कि नितिन गडकरी का इस्तीफा हुआ नहीं कि सब शांत हो जाएगा। अंत में बात का बतंगड साबित हुआ। मगर अमित शाह वैसे डाउन होते है या नहीं, यह वक्त बताएगा। अमित शाह के बेटे जय शाह का मामला कुल मिला कर बात का बतंगड है मगर एंगल जबरदस्त हिट है। सोचे, कितनी बारीकी से अमित शाह के परिवार पर फोकस बना डाला गया। उस वक्त जब पूरी दुनिया अमित शाह के रौब से थरथराएं हुई थी। तब जय शाह को लगी यह नजर। उनकी कंपनी की खबर। खबर के साल-दर साल रिटर्न का रिकार्ड और फिर उसमें से वकीलाना अंदाज
में यह निकलना कि ऐसे होता है एक और एक ग्यारह! 
गंभीर बात यह कि उस वक्त यह सनसनी जब गुजरात चुनाव सिर पर है। याद करें, जब दुबारा अध्यक्ष बनना था तभी नितिन गडकरी का कथित भंड़ाफोड़ हुआ था! अब गुजरात में अमित शाह और उनके बनवाएं विजय रूपानी की प्रतिष्ठा दांव पर है तब वहां घर-घर यह चर्चा करा दी गई है देखों जय शाह ने क्या किया! 
तभी जान ले इस बात को कि अमित शाह के लिए बेटे की यह बदनामी सियासी जीवन का सबसे बड़ा झटका, सदमा है। अमित शाह दिखावे के लिए कितना ही आत्मविश्वास दिखाएं मगर वे मन ही मन बुरी तरह हिले हुए होंगे। चुनाव में गड़बड़ हुई तो उन पर ठिकरा और जीते तो नरेंद्र मोदी की वाह कि इतनी बदनामी के बाद भी जीतवा दिया। सो अपना उस आइिडया वाले को, टिप देने वाले को सलाम जिसने ऐसी जगह वह वायर जोड़ा जो दिखने में घोर दुश्मन दिखें मगर अंग्रेजीदा-लिबरल भाईचारे से अदंरखाने में दुश्मन के दुश्मन दोस्त!

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