सबको आवास देने की सरकारी योजना में निजी क्षेत्र की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है ताकि योजना के लक्ष्य को समय से प्राप्त कर लिया जाए। इसके लिए निजी क्षेत्र को सरकार की ओर से प्रोत्साहन देने की योजना है। निजी भूखंड पर बने मकान और फ्लैट के उपभोक्ताओं को भी ब्याज सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर निजी बिल्डरों के बनाये जाने वाले रियायती दर के मकानों पर मदद का पहले ही एलान किया गया है।वर्ष 2022 तक सबको आवास देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने निजी क्षेत्र का सहयोग लेने का निश्चय किया है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सरकारी निजी सहयोग (पीपीपी) से बनने वाली आवासीय परियोजनाओं के लिए आठ विकल्पों की घोषणा की है। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत पीपीपी के प्राइवेट भूमि पर बनाये जाने वाले रियायती दर वाले मकानों के लिए लिये जाने वाले आवासीय ऋण के ब्याज में ढाई लाख रुपये तक की मदद दी जाएगी। दूसरे विकल्प में निजी जमीन पर बनाये जाने वाले बिना बैंक लोन के मकानों के लिए भी डेढ़ लाख रुपये की मदद दी जायेगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बाकी छह विकल्पों के बारे में सभी पक्षकारों से गंभीर विचार-विमर्श करके योजनाएं लागू की जाएंगी। इसमें सरकारी जमीनों पर निजी बिल्डरों को रियायती दर पर आवास बनाने की अनुमति दी जा सकती है। प्रस्तावित तीसरे विकल्प डीबीटी मॉडल में सरकारी जमीनों पर प्राइवेट बिल्डर अपनी डिजाइन से मकान बनाकर उपभोक्ताओं को सौंपेंगे। इसी तरह के अन्य विकल्पों पर भी सरकार फैसला ले सकती है।
शहरी विकास मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ही देश में 10 लाख अथवा इससे अधिक की आबादी वाले 53 शहरों के भवनों की ऊंचाई व आकार के साथ आसपास छोड़ी जाने वाली जमीन के मानक को लेकर समीक्षा बैठक की। इस दौरान शहरी क्षेत्रों में खाली पड़ी जमीनों के सदुपयोग पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में शहरी क्षेत्रों से लगे गांवों में भी आवासीय परियोजनाएं शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। इस संबंध में शहरी विकास मंत्रालय ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ बातचीत भी की है।
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