शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017

बहुत कंफ्यूजन है प्रधानमंत्री कर्ण हैं या अर्जुन ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा लग रहा है कि महाभारत के महान योद्धाओं में से एक शल्य का गलत संदर्भ अपने भाषण में दे दिया है। उन्होंने कंपनी सेक्रेट्ररीज ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में बुधवार को कहा कि कुछ लोगों को महाभारत के शल्य की तरह नकारात्मकता और गंदगी फैलाने में आनंद आता है। सवाल है कि प्रधानमंत्री ने शल्य किन लोगों को कहा? क्या उनका इशारा अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा की ओर था? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि अगर वे अपनी सरकार की आलोचना कर रहे भाजपा नेताओं को शल्य कह रहे थे और उनको नकारात्मकता फैलाने वाला मान रहे थे तो क्या वे खुद को कर्ण बता रहे थे?
महाभारत की कथा के अनुसार शल्य पांडवों के रिश्तेदार थे। वे पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के भाई और इस तरह नकुल व सहदेव के मामा थे। वे गदा युद्ध में माहिर थे और बहुत अच्छे सारथी थे। वे पांडवों की ओर से लड़ने गए थे लेकिन दुर्योधन ने साजिश करके उनको अपनी ओर कर लिया था। पर युद्ध से पहले उन्होंने युधिष्ठिर को जीत का आशीर्वाद दिया था। सो, उनकी जिम्मेदारी थी कि वे पांडवों की जीत के लिए काम करें। तभी वे कौरवों के खेमे में होकर भी पांडवों के लिए काम कर रहे थे।
वे युद्ध के 16वें और 17वें दिन वे कर्ण के सारथी बने थे और उसी समय उन्होंने नकारात्मकता फैलाई थी ताकि पांडव जीत सकें। वे कर्ण का रथ चलाते हुए कर्ण को हतोत्साहित कर रहे थे और पांडवों खास कर अर्जुन की तारीफ कर रहे थे। इसका मतलब है कि अपने अंतिम लक्ष्य के लिहाज से शल्य अच्छा और सही काम कर रहे थे।
तभी सवाल है कि क्या मोदी सरकार की आलोचना करने वाले कथित शल्य लोग भी अच्छा काम कर रहे हैं या मोदी ने गलत मिसाल दे दी? अगर उनकी सरकार के आलोचक शल्य हैं तब तो वे आलोचना करके सही काम कर रहे हैं। वे गलत तब होंगे, जब प्रधानमंत्री मोदी अपने को कर्ण मानें और अगर वे खुद को कर्ण मानते हैं तब भी यह मिसाल गलत हो जाएगी क्योंकि महाभारत के अंत में तो कर्ण मारा गया था। सो, बहुत कंफ्यूजन है। प्रधानमंत्री कर्ण हैं या अर्जुन? उनकी आलोचना करने वाले शल्य कौन हैं और उन्होंने किस संदर्भ में यह मिसाल दी?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें