शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2020

बिहार में उभर रही है नई लीडरशिप

दिल्ली के बाद राजनीति का केंद्र बिहार शिफ्ट हो जाएगा। सबका फोकस बिहार पर बनेगा। इस बार बिहार में नया नेतृत्व उभरने की गुंजाइश देखी जा रही है। ध्यान रहे बिहार में पिछले 30 साल से राजनीति जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़े रहे नेताओं के ईर्द-गिर्द घूम रही है। तीन शीर्ष पार्टियों के नेता जेपी आंदोलन से निकले हैं। राजद के लालू प्रसाद, जदयू के नीतीश कुमार और भाजपा के सुशील कुमार मोदी तीनों जेपी आंदोलन के नेता हैं। राजद में तो आधिकारिक रूप से नेतृत्व का हस्तांतरण हो गया है और लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी पार्टी की राजनीति संभाल रहे हैं। लालू के साथ रहे तमाम पुराने नेताओं ने तेजस्वी यादव को नेता मान लिया है।   

जनता दल यू में फिलहाल नीतीश कुमार का विकल्प नहीं है। पर भाजपा में नया नेतृत्व आगे किया जा रहा है। अमित शाह और भूपेंद्र यादव ने नित्यानंद राय को बिहार भाजपा का चेहरा बनाया है। उनके बाद मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी नेतृत्व की दावेदारी में हैं। इनके अलावा बिहार की राजनीति में इस बार दो लोगों पर खास नजर रहेगी। जदयू से निकाले गए प्रशांत किशोर और सीपीआई के कन्हैया कुमार। कन्हैया इस समय बिहार में दौरा कर रहे हैं और हर शहर में उनकी रैलियों में भारी भीड़ जुट रही है। उनके दम पर सीपीआई अपने पुराने दिन हासिल करने की उम्मीद कर रही है।

प्रशांत किशोर 11 या 12 फरवरी को पटना में कुछ बड़ा ऐलान करने वाले हैं। वे अपनी पार्टी बना सकते हैं या आम आदमी पार्टी को बिहार में लांच कर सकते हैं या कांग्रेस-राजद गठबंधन के साथ जुड़ सकते हैं, जिसमें लेफ्ट पार्टियां भी होंगी। वे जो भी करेंगे, उससे बिहार की राजनीति पर बड़ा असर होगा। बताया जा रहा है कि वे उपेंद्र कुशवाहा के भी संपर्क में हैं। कुशवाहा भी ऐसे नेता हैं, जिन पर नजर रखने की जरूरत है। वे भी बिहार की राजनीति पर असर डालेंगे।

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