जयपुर। प्रदेश में बजरी के अवैध खनन को लेकर घमासान मचा हुआ है। सड़क से लेकर विधानसभा तथा प्रशासनिक गलियारों में अवैध खनन, बजरी माफिया की ही गूंज है। मुख्य सचिव डीबी गुप्ता शुक्रवार वीडियो कांफ्रेंस के जरिए जिला कलेक्टर्स से रूबरू हुए और उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना करने के निर्देश दिए। इस दौरान जिला कलेक्टर ने अवैध बजरी खनन, परिवहन और भंडारण की जुर्माना राशि बढ़ाने की मांग की। सरकार बजरी माफिया में डर बैठाने के लिए भी कठोर कार्रवाई करेगी।
राजस्थान में बजरी के अवैध खनन की समस्या काफी गहरा गई है। प्रदेश में 16 नवम्बर 2017 तक 82 एलओआई होल्डर के पास बजरी खनन के वैध पटटे थे। कोर्ट में चैंलेज होने से और कोर्ट की रोक की वजह सरकार ने बजरी खनन लीज के पट्टे देने बंद कर दिए। ऐसे में साढ़े तीन साल में बजरी के अवैध खनन, परिवहन और भंडारण की समस्या प्रदेश के लिए नासूर बन गई। सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों हुई सुनवाई में सरकार ने अपना पक्ष रखा। सरकार ने कोर्ट से कहा कि जल्द ही कोई निर्णय नहीं किया गया तो प्रदेश में बजरी माइनिंग पर अंकुश लगाना दुश्कर साबित हो सकता है।
प्रदेश में अवैध बजरी खनन रोकने के लिए खान, पुलिस और परिवहन विभाग की संयुक्त टास्क फोर्स गठित कर रखी है। टॉस्क फोर्स ने साढ़े तीन साल में कार्रवाई भी की है, लेकिन फिर भी अवैध बजरी खनन नहीं रुक पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के भी बजरी के अवैध खनन पर प्रभावी कार्रवाई के लिए जिला कलेक्टर-एसपी को निर्देश देने को कहा था। ऐसे में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए उन्हें कोर्ट के निर्देशों की जानकारी दी गई। इधर 5 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित सीईसी की बैठक है। बैठक में अवैध बजरी खनन को लेकर सरकार, एनजीओ, लीज होल्डर सभी का पक्ष जाना जाएगा। मुख्य सचिव ने कलेक्टर्स से कहा कि वो अपनी समस्याएं लिखकर खान विभाग अधिकारियों को दें ताकि सीईसी में उन्हें रखा जा सके।
कोर्ट ने 16 नवम्बर 2017 को बजरी खनन पर लगाई रोक थी। 17 नवंबर 2017 से 31 मार्च 2018 तक 4216 केस दर्ज हुए हैं। वर्ष 2018-19 में 14475 केस दर्ज हुए हैं। वर्ष 2019-20 में 25 फरवरी तक 93298 के हुए। कुल मिलाकर अवैध बजरी खनन, परिवहन और भंडारण पर प्रदेश में 28 हजार से ज्यादा के दर्ज हो चुके हैं। जुर्माना राशि कम होने से माफिया में डर नहीं है। कलेक्टर्स बोले, जुर्माना राशि बढ़ाई जाए।
राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर प्रशासन तंत्र से सबकी मंशा है कि वैध रूप से लीज आवंटित की जाए ताकि लोगों को राहत मिले। कोर्ट से भी यही मांग की जा रही है। वैकल्पिक उपाय किए जा रहे हैं। कुछ जगह खातेदारी में लीज दी गई है। इनसे कुछ नहीं हो रहा, क्योंकि इनकी तुलना में मांग बहुत ज्यादा है। वर्ष 2013-14 में 69.37 मिलीयन टन उत्पादन है, जो घटता घटना 10.86 मिलीयन टन आ गया. डिमांड के आधार पर पचास से साठ मिलीयन टन बजरी की जरूरत है, जो अवैध रूप से परिवहन हो रही है।

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